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Lok Sabha Election 2024: मराठा नेता मनोज जरांगे ने लोकसभा चुनाव को लेकर दी ये सलाह, महाराष्ट्र में समुदाय का 18 क्षेत्रों पर प्रभाव

मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने रविवार को मराठा समुदाय से आगामी लोकसभा चुनाव में निर्दलीय के रूप में लड़ने के लिए उम्मीदवारों का चयन 30 मार्च से पहले करने की अपील की है। उन्होंने दावा किया कि मराठा समुदाय का महाराष्ट्र में 17-18 लोकसभा क्षेत्रों पर प्रभाव है। जरांगे ने कहा कि अपने प्रभाव से वे न केवल मुसलमानों और वंचित समुदायों का समर्थन हासिल कर सकते हैं।

By Jagran News Edited By: Siddharth Chaurasiya Published: Sun, 24 Mar 2024 03:04 PM (IST)Updated: Sun, 24 Mar 2024 03:04 PM (IST)
पात्र कुनबी (ओबीसी) मराठों को प्रमाण पत्र जारी करने के लिए जनवरी में मसौदा अधिसूचना जारी की गई थी।

पीटीआई, जालना। मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने रविवार को मराठा समुदाय से आगामी लोकसभा चुनाव में निर्दलीय के रूप में लड़ने के लिए उम्मीदवारों का चयन 30 मार्च से पहले करने की अपील की है। उन्होंने दावा किया कि मराठा समुदाय का महाराष्ट्र में 17-18 लोकसभा क्षेत्रों पर प्रभाव है।

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जरांगे ने कहा कि अपने प्रभाव से वे न केवल मुसलमानों और वंचित समुदायों का समर्थन हासिल कर सकते हैं, बल्कि समाज के व्यापक वर्ग का भी समर्थन हासिल कर सकते हैं। जरांगे ने यह बातें अपने पैतृक अंतरवाली सरती गांव में राज्य भर से आए मराठा समुदाय के सदस्यों से कही।

बता दें कि महाराष्ट्र की 48 लोकसभा सीटों पर पांच चरणों में 19 अप्रैल, 26 अप्रैल, 7 मई, 13 मई और 20 मई को चुनाव होंगे और वोटों की गिनती 4 जून को होगी।

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जरांगे ने कहा, "मैं राजनीति नहीं जानता और इसमें मेरी कोई दिलचस्पी नहीं है।" उन्होंने कहा कि मराठा समुदाय के सदस्य 30 मार्च से पहले जाति और धर्म और किसी भी राजनीतिक दल से संबंधित नहीं होने के बावजूद उम्मीदवारों का चयन करते हैं।

उन्होंने कहा कि उन्हें निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतारने पर फैसला बाद में लिया जाएगा। कार्यकर्ता ने कहा कि वह एक निर्वाचन क्षेत्र में मराठा समुदाय के कई उम्मीदवारों को मैदान में उतारने के खिलाफ हैं क्योंकि इससे समुदाय को नुकसान होगा और वोट विभाजित होंगे।

जरांगे ने कहा कि 'सेज सोयर' (कुनबी मराठों के रक्त संबंधी) पर मसौदा अधिसूचना के कार्यान्वयन का मुद्दा मुख्य रूप से केंद्र के बजाय राज्य सरकार का है। उन्होंने सुझाव दिया कि मराठा समुदाय आरक्षण की मांग पर दबाव बनाने के लिए विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार उतारे। लेकिन समुदाय के लोगों ने बैठक के दौरान मांग की, कि इस मुद्दे को लोकसभा चुनाव के दौरान उठाया जाए।

जरांगे तब इस बात पर सहमत हुए कि लोकसभा चुनाव में उम्मीदवारों को निर्दलीय के रूप में मैदान में उतारा जाना चाहिए। पात्र कुनबी (ओबीसी) मराठों को प्रमाण पत्र जारी करने के लिए जनवरी में मसौदा अधिसूचना जारी की गई थी।

जरांगे ने कहा कि मराठा समुदाय का मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के प्रति गहरा स्नेह है, लेकिन उन पर विश्वास के बावजूद मसौदा अधिसूचना लागू नहीं की गई है। मराठा उद्धरण मुद्दे से निपटने के राज्य सरकार के तरीके पर असंतोष व्यक्त करते हुए जरांगे ने उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर आरक्षण आंदोलन को दबाने के लिए रणनीति अपनाने का आरोप लगाया।

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उन्होंने मराठा आरक्षण की मांग कर रहे प्रदर्शनकारियों के खिलाफ मामले दर्ज किये जाने की निंदा की। उन्होंने सरकार पर रविवार को अंतरवाली सराती में बैठक में मराठा समुदाय के सदस्यों की भागीदारी में बाधा डालने का प्रयास करने का भी आरोप लगाया। जरांगे ने हाल ही में महाराष्ट्र विधानमंडल द्वारा एक विशेष श्रेणी के तहत मराठा समुदाय को दिए गए 10 प्रतिशत आरक्षण पर अपना विरोध जताया था। इसके बाद उन्होंने कहा था कि वे अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी के तहत आरक्षण चाहते हैं।


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