Maharashtra Politics: नारायण राणे का दावा, शिवसेना उद्धव गुट के चार विधायक मेरे संपर्क में
Maharashtra Politics केंद्रीय मंत्री व भाजपा नारायण राणे का कहना है कि उद्धव ठाकरे गुट की शिवसेना के चार विधायक उनके संपर्क में हैं। वह कभी भी उद्धव का साथ छोड़ सकते हैं। हालांकि उन्होंने इन चारों विधायकों का नाम बताने से इनकार कर दिया।

मुंबई, राज्य ब्यूरो। Maharashtra Politics: केंद्रीय मंत्री व भाजपा नारायण राणे (Narayan Rane) का कहना है कि उद्धव ठाकरे गुट की शिवसेना के चार विधायक उनके संपर्क में हैं। वह कभी भी उद्धव का साथ छोड़ सकते हैं। केंद्रीय मंत्री राणे शनिवार को मुंबई में आयोजित रोजगार मेला में भाग लेने का बाद पत्रकारों से बात कर रहे थे।
राणे बोले, उद्धव की राजनीति सिर्फ मातोश्री के इर्द-गिर्द तक सिमटी
नारायण राणे ने कहा कि शिवसेना के 56 विधायकों में से पांच-छह विधायक ही अब उद्धव ठाकरे के साथ बचे हैं। वह भी अब बाहर निकलना चाहते हैं। चार विधायक मेरे संपर्क में भी हैं, लेकिन मैं अभी उनके नाम नहीं बताऊंगा। राणे ने कहा कि उद्धव ठाकरे की राजनीति अब सिर्फ मातोश्री ( उद्धव ठाकरे का निजी निवास) और शिवसेना भवन के इर्द-गिर्द सिमटकर रह गई है।
राणे ने इसलिए छोड़ी थी शिवसेना
शिवसेना का कोई हिस्सा उनके साथ अब नहीं बचा है। नारायण राणे भी कभी शिवसेना के वरिष्ठ नेता हुआ करते थे। 1995 में पहली बार बनी शिवसेना-भाजपा गठबंधन सरकार में राणे कुछ महीने मुख्यमंत्री भी रहे थे, लेकिन उद्धव ठाकरे से ही पटरी ने खाने के कारण उन्होंने शिवसेना छोड़ दी थी। नारायण राणे कांग्रेस से होते हुए अब भाजपा में आ चुके हैं। शिवसेना का मजबूत गढ़ समझे जाने वाले कोकण क्षेत्र में राणे का मजबूत आधार माना जाता है।
राणे के जरिए कोकण में अपनी पैठ बढ़ाना चाहती है भाजपा
अब शिवसेना में दोफाड़ होने के बाद भाजपा नारायण राणे के जरिए कोकण में अपनी पैठ बढ़ाना चाहती है। शिवसेना के दीपक केसरकर जैसे नेता भी अब शिंदे गुट के साथ आ चुके हैं। भविष्य के चुनावों में विशेषकर कोकण क्षेत्र में राणे और केसरकर जैसे नेताओं के कारण शिवसेना के उद्धव गुट का सबसे मजबूत किला कोकण भी उसके हाथ से जा सकता है।
शिवसेना में जून में हुई थी बड़ी टूट
गत जून में हुए विधान परिषद चुनाव के तुरंत बाद शिवसेना को बड़ी टूट का सामना करना पड़ा था। शिवसेना के 40 विधायकों ने टूटकर अलग गुट बना लिया था। इस गुट के उद्धव ठाकरे से अलग होने के बाद उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र देना पड़ा था और इस गुट के नेता एकनाथ शिंदे ने भाजपा के साथ मिलकर नई सरकार बनाई थी। उसके बाद लोकसभा में भी दो तिहाई सांसद उद्धव ठाकरे का साथ छोड़ चुके हैं। शिंदे गुट और उद्धव गुट में पार्टी पर अधिकार का झगड़ा अब चुनाव आयोग में भी लंबित है। आयोग ने हाल ही में अपने अंतरिम फैसले में शिवसेना के दोनों गुटों को नया नाम और नया चुनाव चिह्न आवंटित किया है। उद्धव गुट को नया नाम शिवसेना उद्धव बाला साहब ठाकरे व चुनाव निशान मशाल मिला है, जबकि एकनाथ शिंदे गुट को नया नाम बालासाहबबांचे शिवसेना (बासा साहब की शिवसेना) व चुनाव निशान दो तलवारों के साथ ढाल मिला है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।