नियमों की धज्जियां उड़ाकर की गई न्यू इंडिया कोऑपरेटिव बैंक की दुर्गति, 122 करोड़ रुपयों के ‘गबन’ की जांच शुरू
बैंक के कार्यवाहक मुख्य कार्यकारी अधिकारी देवर्षि घोष ने शुक्रवार को ही दादर पुलिस थाने में महाप्रबंधक हितेश मेहता एवं उनके सहयोगियों के विरुद्ध प्रभादेवी एवं गोरेगांव कार्यालयों की तिजोरियों से 122 करोड़ रुपयों के गबन की शिकायत दर्ज कराई थी। इसी शिकायत के आधार पर मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा शनिवार को अपने कार्यालय में मेहता से पूछताछ कर रही है।

ओमप्रकाश तिवारी, मुंबई। मुंबई के न्यू इंडिया कोऑपरेटिव बैंक के कामकाज पर भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा प्रतिबंध लगाए जाने के बाद अब पुलिस ने बैंक में 122 करोड़ रुपयों के ‘गबन’ की जांच शुरू कर दी है।
कई नियमों की धज्जियां उड़ाई गई
इस मामले में बैंक के महाप्रबंधक एवं लेखा प्रमुख हितेश मेहता से पुलिस पूछताछ कर रही है। लेकिन बैंकिंग के जानकारों का मानना है कि इतना बड़ा गबन बैंक के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स एवं बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट की जानकारी के बगैर हो ही नहीं सकता। अर्थात, बैंक के इस स्थिति तक पहुंचने में कई नियमों की धज्जियां उड़ाई गई होंगी।
रिजर्व बैंक द्वारा न्यू इंडिया कोऑपरेटिव बैंक की जमा-निकासी पर प्रतिबंध लगाने के साथ ही सहकारी बैंक के बोर्ड को एक साल के लिए भंग कर दिया था, और इसके कामकाज के प्रबंधन के लिए प्रशासक की नियुक्ति कर दी थी।
122 करोड़ रुपयों के गबन की शिकायत दर्ज कराई थी
बैंक के कार्यवाहक मुख्य कार्यकारी अधिकारी देवर्षि घोष ने शुक्रवार को ही दादर पुलिस थाने में महाप्रबंधक हितेश मेहता एवं उनके सहयोगियों के विरुद्ध प्रभादेवी एवं गोरेगांव कार्यालयों की तिजोरियों से 122 करोड़ रुपयों के गबन की शिकायत दर्ज कराई थी। इसी शिकायत के आधार पर मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा शनिवार को अपने कार्यालय में मेहता से पूछताछ कर रही है।
मेहता एवं उनके साथियों के विरुद्ध माला भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 316(5) (लोकसेवकों, बैंकरों और विश्वास के पदों पर बैठे अन्य लोगों द्वारा आपराधिक विश्वासघात) एवं धारा 61(2) (आपराधिक साजिश) के तहत दर्ज किया गया है।
ग्राहकों का कहना है कि पिछले दो दिनों से बैंक ने अपने ग्राहकों को सर्वर खराब होने का बहाना कर प्रिंटेड स्टेटमेंट देना बंद कर दिया था। ग्राहकों का बैलेंस कागज पर लिखकर दिया जा रहा था। बैंक ने एक दिन पहले तक ग्राहकों से पांच-दस लाख तक की जमा राशियां लेने एवं उनका एफडी करने से भी मना नहीं किया।
दो शाखाओं से 122 करोड़ की निकासी होना सामान्य बात नहीं
लेकिन बैंकिंग व्यवसाय से जुड़े लोगों का मानना है कि किसी सहकारी बैंक में इतना बड़ा गबन किसी महाप्रबंधक एवं उसके साथियों द्वारा तब तक नहीं किया जा सकता, जब तक कि ‘बोर्ड आफ डायरेक्टर्स’ एवं ‘बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट’ की सहमति न हो। क्योंकि किसी सहकारी बैंक की एक शाखा की तिजोरी में 50 करोड़ की नकदी होना एवं सिर्फ दो शाखाओं से 122 करोड़ की निकासी होना सामान्य बात नहीं हो सकती।
सवाल इस बात पर भी उठाए जा रहे हैं कि यदि इतनी बड़ी निकासी दो शाखाओं से की गई, तो बैंक के बोर्ड आफ मैनेजमेंट की क्या भूमिका थी। क्योंकि बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट बैंक की रोजमर्रा की गतिविधियों पर निगाह रखने के लिए बनाया जाता है। उसमें बैंकिंग की जानकारी रखनेवाले बैंक के बाहर के लोग शामिल होते हैं। यह बैंकों में ‘वाच डॉग’ की भूमिका में होता है। इसलिए इतनी बड़ी निकासी बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट एवं ट्रेजरी विभाग के बड़े अधिकारियों की जानकारी के बिना नहीं की जा सकती।
बैंक के ग्राहकों में हड़कंप मच गया है
बता दें कि बैंक पर रिजर्व बैंक द्वारा कई गई कार्रवाई के बाद से बैंक के ग्राहकों में हड़कंप मच गया है। मुंबई और पुणे स्थित बैंक की सभी शाखाओं के बाहर अपनी गाढ़ी कमाई का पैसा निकालने के लिए उसके ग्राहकों की भीड़ देखी जा रही है।
लोगों की जीवन भर की कमाई जमा है
बैंक के ज्यादातर ग्राहक मध्यम वर्ग एवं निम्न मध्यम वर्ग से आते हैं। कभी ‘वन रुपी बैंक’ के नाम से विख्यात रहे इस सहकारी बैंक में ऐसे ही लोगों की जीवन भर की कमाई जमा है। बैंक के बाहर खड़े ज्यादातर ग्राहकों का कहना है कि रिजर्व बैंक को इस बैंक के ग्राहकों को अपना पैसा निकालने का मौका देने के बाद ही उस पर कोई अनुशासनिक कार्रवाई करनी चाहिए।
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