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    72 साल बाद स्वप्निल कुसाले ने रचा इतिहास, कांस्य पर साधा निशाना; सीएम शिंदे ने की एक करोड़ रुपये देने की घोषणा

    Updated: Thu, 01 Aug 2024 08:08 PM (IST)

    पेरिस ओलंपिक के 50 मीटल राइफल थ्री पोजीशंस में कांस्य पदक जीतनेवाले स्वप्निल कुसाले को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने फोन कर बधाई दी है। स्वप्निल कुसाले भी पश्चिम महाराष्ट्र के ही कोल्हापुर जिले के कंबलवाड़ी गांव के मूल निवासी हैं लेकिन उनका जन्म छह अगस्त 1995 को पुणे में हुआ था। वह भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को अपना आदर्श मानते हैं।

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    पेरिस ओलंपिक में स्वप्निल कुसाले ने दिलाया देश को तीसरा ब्रॉन्ज मेडल। फाइल फोटो।

    राज्य ब्यूरो, मुंबई। पेरिस ओलंपिक के 50 मीटल राइफल थ्री पोजीशंस में कांस्य पदक जीतनेवाले स्वप्निल कुसाले (Swapnil Kusale) की इस सफलता से पूरा महाराष्ट्र प्रसन्न और गदगद दिख रहा है। क्योंकि महाराष्ट्र के किसी व्यक्ति ने 72 वर्ष बाद व्यक्तिगत रूप से ओलंपिक में कोई पदक जीता है।

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    सीएम शिंदे ने दी बधाई

    स्वप्निल से पहले 1952 में हेलसिंकी के उन्हाली ओलंपिक में सातारा के रहनेवाले खाशाबा जाधव ने फ्री स्टाइल कुश्ती में कांस्य पदक जीता था। यही कारण है कि स्वप्निल की उपलब्धि पर आज महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने फोन करके उनके परिवार से बात की, और उन्हें बधाई दी। उन्होंने स्वप्निल कुसाले को एक करोड़ रुपये देने की घोषणा की है।

    पुणे में हुआ था स्वप्निल कुसाले का जन्म

    संयोग से स्वप्निल कुसाले भी पश्चिम महाराष्ट्र के ही कोल्हापुर जिले के कंबलवाड़ी गांव के मूल निवासी हैं, लेकिन उनका जन्म छह अगस्त, 1995 को पुणे में हुआ था। उनके पिता एवं बड़े भाई किसान होने के साथ-साथ अध्यापक भी हैं। 28 वर्षीय स्वप्निल ने 2009 में महाराष्ट्र सरकार के खेल विकास कार्यक्रम क्रीड़ा प्रबोधिनी से अपनी खेल यात्रा शुरू की। एक साल तक गहन शारीरिक प्रशिक्षण के बाद उन्होंने शूटिंग को अपना पसंदीदा खेल चुना।

    कई संघर्षों से भी गुजरना पड़ा

    इससे पहले 22 अक्टूबर 2022 को स्वप्निल ने मिस्र के काहिरा में विश्व चैंपियनशिप में पुरुषों की 50 मीटर राइफल 3-पोजिशन स्पर्धा में चौथा स्थान हासिल करके ओलंपिक कोटा स्थान हासिल किया था। 2022 में जब उन्होंने कोटा अर्जित किया, तबसे 2024 में हुए ट्रायल में शीर्ष दो में स्थान प्राप्त करने तक स्वप्निल को कई संघर्षों से गुजरना पड़ा है।

    उनकी सबसे कठिन चुनौती एक पुरानी टॉन्सिल की समस्या से निपटना था, जिसके कारण उन्हें अत्यधिक दर्द, बुखार और कमजोरी का सामना करना पड़ता था। तब किसी भी तरह का दुग्ध पदार्थ खाने पर उनकी समस्या बढ़ जाती थी, और उन्हें कई दिनों तक बुखार में रहना पड़ता था।

    इस खिलाड़ी को मानते हैं अपना आदर्श

    स्वप्निल शूटिंग में तो कई खिलाड़ियों को अपना आदर्श मानते ही हैं, लेकिन भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को न सिर्फ पसंद करते हैं, बल्कि अपने आप में उनसे कई समानताएं भी पाते हैं। जैसे धोनी की ही भांति उन्होंने भी 2015 में भारतीय रेलवे में टिकट कलेक्टर के रूप में नौकरी शुरू कर दी थी। वह मध्य रेलवे में कार्यरत हैं।

    कुसाले कहते हैं कि धोनी की कहानी मेरे दिल को छू जाती है। उनका अटूट ध्यान और भारी दबाव में भी अच्छा प्रदर्शन करने की क्षमता ऐसी खूबियां हैं, जिनका मैं प्रशंसक हूं। हालांकि, मैं शूटिंग की दुनिया में कई लोगों को अपना आदर्श मानता हूं, लेकिन धोनी का सफर खास तौर पर प्रेरणादायक है। पेरिस ओलंपिक में स्वप्निल के कांस्य पर निशाना साधने के बाद से उनके गांव में जश्न का माहौल है।

    बेटे का संघर्ष सार्थक हो गयाः माता-पिता

    आज दोपहर उनके गांव के स्कूल में बच्चों ने उनकी प्रतियोगिता बड़ी स्क्रीन लगाकर देखी। स्वप्निल के जीतने के बाद सभी छात्रों एवं गांवों के लोगों ने तिरंगा झंडा एवं स्वप्निल की तस्वीर लेकर जुलूस भी निकाला। उनकी उपलब्धि पर स्वप्निल के माता-पिता का कहना है कि बेटे का संघर्ष सार्थक हो गया।

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