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    Maharashtra News: जीएन साईबाबा को बरी किए जाने के खिलाफ याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में होगी सुनवाई

    By Jagran NewsEdited By: Sachin Kumar Mishra
    Updated: Fri, 14 Oct 2022 09:20 PM (IST)

    Maharashtra News माओवादियों से संबंध रखने के आरोप में उम्र कैद की साज काट रहे दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व सहायक प्रोफेसर जीएन साईबाबा सहित पांच अन्य लोगों को मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ ने बरी कर दिया है। सर्वोच्च न्यायालय इस मामले में शनिवार को सुनवाई होगी।

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    जीएन साईबाबा को बरी किए जाने के खिलाफ याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में होगी सुनवाई। फाइल फोटो

    मुंबई, राज्य ब्यूरो। Maharashtra News: माओवादियों से संबंध रखने के आरोप में उम्र कैद की साज काट रहे दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व सहायक प्रोफेसर जीएन साईबाबा (GN Saibaba) सहित पांच अन्य लोगों को मुंबई उच्च न्यायालय (Bombay High Court) की नागपुर खंडपीठ ने बरी कर दिया है। इस बीच, जीएन साईबाबा को बरी करने के बंबई उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगाने के लिए महाराष्ट्र सरकार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) शनिवार को सुबह 11 बजे सुनवाई करने के लिए सहमत हो गया है।

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    जानें, क्या है मामला

    नक्सलियों के साथ कथित संबंधों व देश विरोधी गतिविधियों में शामिल रहने के आरोप में महाराष्ट्र की गढ़चिरौली अदालत ने 2017 में पूर्व सहायक प्रोफेसर गोकरकोंडा नागा साईबाबा व पांच अन्य लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। सजा पाए चार अन्य लोग थे–महेश के.तिर्की, हेम केशवदत्त मिश्रा, प्रशांत राही, विजय नान तिर्की एवं पांडुर पोरा नरोटे। पांडुर पोरा नरोटे की इसी साल अगस्त में मृत्यु हो चुकी है। शुक्रवार को मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ के न्यायमूर्ति रोहित देव व न्यायमूर्ति अनिल पानसरे ने इन सभी को उन सभी आरोपों से बरी कर दिया, जिसके कारण इन्हें निचली अदालत से आजीवन कारावास की सजा मिली थी। इससे पहले उच्च न्यायालय ने भी उन्हें यूएपीए के प्रावधानों के तहत दोष सिद्धि व सजा के विरुद्ध अपील की अनुमति भी प्रदान की थी।

    2014 में हुई थी गिरफ्तारी

    साईबाबा सहित सभी छह आरोपितों को 2014 में गिरफ्तार कर उन पर आइपीसी व यूएपीए की विभिन्न धाराओं के तहत मुकदमा चलाया गया था। मार्च, 2017 में गढ़चिरौली सत्र न्यायालय ने प्रतिबंधित माओवादी संगठनों से संबंध रखने, देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने व साजिश रचने जैसे आरोपों में उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। प्रतिबंधित संगठनों से संबंध रखने के आरोप में ही दिल्ली विश्वविद्यालय के रामलाल आनंद कालेज ने भी सहायक प्रोफेसर के पद से बर्खास्त कर दिया था। जीएन साईबाबा पोलियो व पक्षाघात से भी पीड़ित हैं। वह व्हीलचेयर की मदद से ही चल-फिर सकते हैं।

    सुप्रीम कोर्ट ने कही ये बात

    शुक्रवार को नागपुर खंडपीठ का फैसला आने के तुरंत बाद अभियोजक एजेंसी एनआइए ने सर्वोच्च न्यायालय ने इस फैसले के खिलाफ अपील करनी चाही, लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने उच्च न्यायालय के फैसले पर तत्काल रोक लगाने से इनकार कर दिया। सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ व न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने सालिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि अदालत बरी करने के आदेश पर रोक नहीं लगा सकती। क्योंकि सारे पक्ष उसके सामने नहीं हैं। यदि एजेंसी चाहे तो मामले को तत्काल सूचीबद्ध किए जाने के लिए भारत के प्रधान न्यायाधीश के प्रशासनिक निर्णय के लिए रजिस्टार के समक्ष आवेदन कर सकते हैं। हालांकि बाद में सुप्रीम कोर्ट इस याचिका पर शनिवार को सुनवाई करने के लिए सहमत हो गया है। न्यायमूर्ति एमआर शाह और न्यायमूर्ति बेला व एम त्रिवेदी की पीठ इस मामले की सुनवाई करेगी।

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