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    क्या राज और उद्धव फिर होंगे साथ? BMC चुनावों से पहले BJP ने ठाकरे बंधुओं को दिया चैलेंज, कांग्रेस-NCP का भी आया रिएक्शन

    Updated: Sun, 20 Apr 2025 11:05 AM (IST)

    महाराष्ट्र में राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे के साथ आने की अटकलें जोरों पर है। राज ठाकरे ने साल 2005 में शिवसेना से अलग होकर अपनी नई पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना का निर्माण किया था। उद्धव और राज ठाकरे ने महाराष्ट्र की जनता को एक कड़ा संदेश दिया है कि राज्य के हित और मराठी संस्कृति राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता से ऊपर है।

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    राज और उद्धव ठाकरे आएंगे साथ (फाइल फोटो)

    एजेंसी, नई दिल्ली। महाराष्ट्र में राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे के साथ आने की अटकलें जोरों पर है और अगर दोनों साथ आते हैं तो ये महाराष्ट्र की राजनीति में एक नए अध्याय की शुरुआत होगी। दशकों बाद दोनों के साथ आने के संकेत मिल रहे हैं।

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    राज ठाकरे (Raj Thackrey) ने साल 2005 में शिवसेना से अलग होकर अपनी नई पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) का निर्माण किया था। इसके बाद से राज और उद्धव (Uddhav Thackrey) के बीच दूरियां आ गई थी। हालांकि, अब उद्धव और राज ठाकरे ने मराठी संस्कृति और पहचान के लिए कथित खतरों पर चिंताओं के बीच फिर से एक होने के संकेत दिए हैं।

    अलग-अलग कार्यक्रमों में बोलते हुए महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे और शिवसेना (UBT) के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने एक कॉमन मैसेज दिया है कि महाराष्ट्र के भाषाई और सांस्कृतिक हित राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता से ऊपर है।

    फिर से एक होने के मिले संकेत

    दरअसल, उद्धव और राज ठाकरे ने महाराष्ट्र की जनता को एक कड़ा संदेश दिया है कि राज्य के हित और मराठी संस्कृति राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता से ऊपर है। दोनों ने अलग-अलग कार्यक्रमों में बोलते हुए संकेत दिया है कि अगर दोनों साथ आ जाते हैं तो ये राज्य के लिए फायदेमंद होगा।

    राज ठाकरे का बयान

    एमएनएस प्रमुख राज ठाकरे ने उद्धव के साथ अपने रिश्ते पर बात करते हुए कहा कि उन दोनों के बीच मतभेद 'मामूली' है और इसका असर मराठी लोगों को पड़ रहा है। उन्होंने कहा, "मेरे और उद्धव ठाकरे के बीच मतभेद काफी कम है। महाराष्ट्र इन मतभेदों से ज्यादा अहम है। ये मतभेद महाराष्ट्र के अस्तित्व और मराठी लोगों के लिए महंगे साबित हो रहे हैं।"

    उन्होंने कहा, "एक साथ आना मुश्किल नहीं है। यह इच्छाशक्ति की बात है। यह सिर्फ मेरी इच्छा और स्वार्थ की बात नहीं है। अगर राज्य चाहता है कि वे एक साथ नजर आएं तो वो अपने अहंकार को बीच में नहीं आने देंगे।" लेकिन अगर वो उद्धव के साथ आते हैं तो इसका मतलब 2024 के चुनावों के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए उनके बिना शर्त समर्थन से हटना होगा।

    साथ आने के लिए उद्धव की शर्त

    शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने राज ठाकरे के साथ आने पर शर्त रखी है। उन्होंने कहा, "मैं छोटे-मोटे विवादों को दूर करने के लिए तैयार हूं, लेकिन एक शर्त है कि ऐसा न हो कि एक दिन हम उनका समर्थन कर रहे हैं और अगले दिन उनका विरोध कर रहे हैं और फिर समझौता कर रहे हैं। हम पाला नहीं बदल सकते और जो कोई भी महाराष्ट्र के हितों के खिलाफ काम करेगा मैं उनका स्वागत नहीं करूंगा, उन्हें घर नहीं बुलाऊंगा या उनके साथ नहीं बैठूंगा। पहले ये स्पष्ट हो जाए।"

    संजय राउत ने दिए संकेत

    उद्धव ठाकरे गुट के नेता और राज्यसभा सांसद संजय राउत (Sanjay Raut) ने दोनों नेताओं के बीच सुलह करने के लिए तैयार होने का संकेत दिया है। हालांकि, उन्होंने उद्धव ठाकरे की शर्त को भी दोहराया है। उन्होंने कहा, "राज ठाकरे को महाराष्ट्र और शिवसेना (यूबीटी) के दुश्मनों को जगह नहीं देनी चाहिए। ठाकरे भाइयों का फिर से एक होना महाराष्ट्र की राजनीति को नया आकार देगा।"

    बीजेपी ने क्या कहा?

    महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (CM Devendra Fadnavis) ने राज और उद्धव ठाकरे के एक होने के संकेत मिलने पर कहा, अगर ठाकरे भाई फिर से एकजुट हो जाएं तो खुशी होगी। लेकिन फिर भी वो आने वाले बीएमसी चुनावों में एनडीए (NDA) को हरा नहीं पाएंगे। अगर वे एक साथ आते हैं तो हमें खुशी होगी। बिछड़े हुए लोगों को फिर से एक होना चाहिए। अगर उनके बीच के विवाद खत्म हो जाएं तो यह अच्छी बात है।

    महाराष्ट्र के बीजेपी प्रमुख चंद्रशेखर बावनकुले (Chandrashekhar Bawankule) ने कहा, उनकी पार्टी इस तरह के पुनर्मिलन पर आपत्ति नहीं करेगी। उद्धव ठाकरे से हाथ मिलाना है या नहीं, यह राज ठाकरे का विशेषाधिकार है और वो अपनी पार्टी का भविष्य तय कर सकते हैं। बीजपी को इस पर कोई आपत्ति नहीं है।

    शिवसेना (शिंदे गुट) ने क्या कहा?

    पिछले हफ्ते महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) ने राज ठाकरे के घर जाकर मुलाकात की थी, जिसके बाद बीएमसी चुनावों के लिए संभावित गठबंधन की चर्चा गरम हो गई थी। हालांकि, उनकी तरफ से अभी तक दोनों के एक होने की बात पर कोई टिप्पणी सामने नहीं आई है।

    कांग्रेस और NCP ने दी प्रतिक्रिया

    उद्धव ठाकरे की सहयोगी पार्टी कांग्रेस (Congress) ने इस खबर पर अपनी प्रतिक्रिया दी है और इस पर कोई आपत्ति नहीं जताई है। प्रदेश कांग्रेस प्रमुख हर्षवर्द्धन सपकाल ने कहा कि राज ठाकरे इस बात का समर्थन करते दिख रहे हैं कि बीजेपी महाराष्ट्र की भाषा और संस्कृति को कमजोर करने की कोशिश कर रही है।

    शरद पवार की बेटी और NCP (SCP) की सांसद सुप्रिया सुले ने भी इस मामले पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा, "इस तरह की रीयूनियन का तहे दिल से स्वागत किया जाना चाहिए।" उन्होंने इसे खुशखबरी बताते हुए कहा कि अगल बाल ठाकरे आज जीवित होते तो बहुत खुश होते।

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