Maharashtra: एनएसइएल से जुड़े मनी लांड्रिंग मामले में शिवसेना विधायक प्रताप सरनाइक की संपत्ति कुर्क
Maharashtra ईडी ने एनएसइएल से जुड़े मनी लांड्रिंग मामले में शिवसेना विधायक प्रताप सरनाइक की 11.35 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क की है। ईडी ने बताया कि प्रिवेंशन आफ लांड्रिंग मामले एक्ट के तहत ठाणे में सरनाइक की संपत्ति की कुर्की के लिए आदेश जारी किया।
नई दिल्ली, प्रेट्र। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने नेशनल स्पाट एक्सचेंज लिमिटेड (एनएसइएल) से जुड़े मनी लांड्रिंग मामले में शिवसेना विधायक प्रताप सरनाइक की 11.35 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क की है। ईडी ने शुक्रवार को बताया कि प्रिवेंशन आफ लांड्रिंग मामले एक्ट (पीएमएलए) के तहत ठाणे में सरनाइक की संपत्ति की कुर्की के लिए आदेश जारी किया। ईडी ने कहा कि एनएसईएल मामले में आरोपितों ने लगभग 13000 निवेशकों को धोखा देने के लिए आपराधिक साजिश रची थी। जांच में पाया गया कि विभिन्न निवेशकों से मिले धन को अन्य गतिविधियों जैसे रियल एस्टेट और बकाया कर्ज की अदायगी के लिए डायवर्ट किया गया। सरनाइक और उनकी कंपनियों की भूमिका के बारे में कहा कि आस्था ग्रुप नामक एक फर्म जो एनएसईएल की एक डिफाल्ट सदस्य है, पर एक्सचेंज के प्रति 242.66 करोड़ रुपये की देनदारी है।
आस्था ग्रुप ने 2012-13 के दौरान विहंग आस्था हाउसिंग प्रोजेक्ट्स एलएलपी के 21.74 करोड़ रुपये डायवर्ट किए। विहंग आस्था हाउसिंग प्रोजेक्ट्स एलएलपी द्वारा प्राप्त 21.74 करोड़ रुपये की राशि में से 11.35 करोड़ रुपये विहंग एंटरप्राइजेज और विहंग इन्फ्रा प्राइवेट लि. को हस्तांतरित किए। ये दोनों फर्म प्रताप सरनाइक और उनके परिवार के सदस्यों द्वारा नियंत्रित हैं।
गौरतलब है कि शिवसेना विधायक प्रताप सरनाइक के पुत्र विहंग सरनाइक मनी लांड्रिंग मामले में पूछताछ के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के सामने पेश हुए थे। ईडी ने प्रताप सरनाइक, टॉप्स समूह और इसके प्रमोटर राहुल नंदा और कुछ अन्य की मुंबई एवं ठाणे में स्थित 10 संपत्तियों की तलाशी ली थी। ईडी के अधिकारियों ने विहंग से पूछताछ भी की थी। पिछले महीने ईडी ने प्रताप सरनाइक के सहयोगी अमित चंडोले और टाप्स समूह के प्रबंध निदेशक एम.शशिधरन को मनी लांड्रिंग रोकथाम अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया था। यह मामला टाप्स समूह के पूर्व कर्मचारी रमेश अय्यर द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत से संबंधित है। अय्यर ने आरोप लगाया कि 2014 में मुंबई मेट्रोपोलिटन क्षेत्रीय विकास प्राधिकरण के साथ करार किया गया था। इसमें 350 से 500 सुरक्षा गार्डो की आपूर्ति की जानी थी। सिक्यूरिटी फर्म ने केवल 70 फीसद गार्ड ही मुहैया कराए। इसके एवज में भुगतान की गई राशि में से कुछ आरोपितों के निजी खाते में गई थी।