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Maharashtra Politics: प्रफुल्ल पटेल बोले, शरद पवार का अधूरा स्वप्न होगा पूरा

Maharashtra प्रफुल्ल पटेल ने शरद पवार के 80वें जन्मदिवस समारोह के अवसर पर पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि शरद पवार दो बार प्रधानमंत्री बनते-बनते रह गए। लेकिन यह अधूरा स्वप्न अभी भी पूरा किया जा सकता है।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Sat, 12 Dec 2020 08:42 PM (IST)Updated: Sat, 12 Dec 2020 08:42 PM (IST)
Maharashtra Politics: प्रफुल्ल पटेल बोले, शरद पवार का अधूरा स्वप्न होगा पूरा
प्रफुल्ल पटेल बोले, शरद पवार का अधूरा स्वप्न होगा पूरा। फाइल फोटो

मुंबई, राज्य ब्यूरो। Maharashtra: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के वरिष्ठ नेता प्रफुल्ल पटेल ने शनिवार को शरद पवार के 80वें जन्मदिवस समारोह के अवसर पर पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि शरद पवार दो बार प्रधानमंत्री बनते-बनते रह गए। लेकिन यह अधूरा स्वप्न अभी भी पूरा किया जा सकता है। प्रफुल पटेल ने पवार के 80 वर्ष पूर्ण करने के अवसर पर एक लेख लिखा है। पत्रकारों द्वारा उसी लेख के संदर्भ में उन्हें कुरेदा गया था। जिसका जवाब देते हुए पटेल ने कहा कि पवार दो बार प्रधानमंत्री बनने का अवसर चूके। वह बनते-बनते रह गए। अब यदि पूरा महाराष्ट्र उनके पीछे खड़ा हो, तो यह स्वप्न पूरा किया जा सकता है।

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पटेल ने अपने लेख में विस्तार से उल्लेख किया है कि 1991 में राजीव गांधी के निधन के बाद कांग्रेस के कार्यकर्ताओं एवं नेताओं में यह विचार चल रहा था कि शरद पवार को पार्टी का अध्यक्ष बनाया जाए। लेकिन कांग्रेस की दरबारी संस्कृति वाले लोगों ने पीवी नरसिंह राव को अध्यक्ष बनाने की पहल कर दी, जबकि राव उस समय बीमार थे। वह लोकसभा चुनाव भी नहीं लड़े थे। वह राजनीति से सेवानिवृत्ति लेकर हैदराबाद जाने वाले थे। उन्हें सिर्फ पवार के विरोध में पार्टी का अध्यक्ष बनने के लिए राजी कर लिया गया। तब चुनाव के बाद प्रधानमंत्री बनने के लिए भी कांग्रेस का एक बड़ा वर्ग शरद पवार के पक्ष में था। लेकिन तभी दरबारी संस्कृति वालों ने सोनिया गांधी के नाम का दुरुपयोग कर नरसिंह राव का नाम प्रधानमंत्री पद के लिए भी प्रस्तावित करवा दिया।

इसी प्रकार 1996 में जब कांग्रेस 145 सीटें जीतकर आई थी, तब एचडी देवेगौड़ा, मुलायम सिंह, लालू यादव व वाम दलों के नेता कह रहे थे कि शरद पवार को प्रधानमंत्री बनाए जाने पर ही वह कांग्रेस का समर्थन करेंगे। लेकिन तब भी राव ने उनकी बात नहीं सुनी और कांग्रेस को प्रधानमंत्री पद के लिए एचडी देवेगौड़ा को समर्थन करना पड़ा। जब नरसिंह राव ने कांग्रेस अध्यक्ष का पद छोड़ा, तो पवार को इस पद से दूर रखने के लिए ही उन्होंने सीताराम केसरी का नाम इस अध्यक्ष पद के लिए प्रस्तावित कर दिया। पटेल अपने लेख में कहते हैं कि दो-दो बार प्रधानमंत्री पद से दूर हो जाना शरद पवार का व्यक्तिगत नुकसान तो था ही, यह महाराष्ट्र और देश का भी नुकसान था। 


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