दो हैदराबादी नेताओं ने उड़ाई महाविकास आघाड़ी की नींद, महाराष्ट्र में बढ़ी KCR और ओवैसी की राजनीतिक गतिविधियां
महाराष्ट्र की राजनीति में पड़ोसी राज्य तेलंगाना के दो नेताओं की बढ़ती हलचल यहां की महाविकास आघाड़ी के नेताओं को बिल्कुल रास नहीं आ रही है। केसीआर के नाम से जाने जाने वाले के.चंद्रशेखर राव की गतिविधियां तो महाराष्ट्र में इसी वर्ष फरवरी से बढ़ी हैं। लेकिन ओवैसी का महाराष्ट्र में आना-जाना करीब पांच वर्ष पहले ही शुरू हो गया था।

ओमप्रकाश तिवारी, मुंबई। महाराष्ट्र की राजनीति में पड़ोसी राज्य तेलंगाना के दो नेताओं की बढ़ती हलचल यहां की महाविकास आघाड़ी के नेताओं को बिल्कुल रास नहीं आ रही है। इनमें एक हैं आल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआइएमआइएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी, और दूसरे हैं भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के अध्यक्ष के.चंद्रशेखर राव।
औरंगाबाद की सीट जीतने में सफल हुए थे ओवैसी
केसीआर के नाम से जाने जाने वाले के.चंद्रशेखर राव की गतिविधियां तो महाराष्ट्र में इसी वर्ष फरवरी से बढ़ी हैं। लेकिन ओवैसी का महाराष्ट्र में आना-जाना करीब पांच वर्ष पहले ही शुरू हो गया था। उन्होंने 2019 का लोकसभा चुनाव प्रकाश आंबेडकर की पार्टी वंचित बहुजन आघाड़ी के साथ मिलकर लड़ा था और औरंगाबाद की सीट जीतने में भी सफल रहे थे।
कांग्रेस और राकांपा को हुआ था नुकसान
इस चुनाव में बाबासाहब भीम राव आंबेडकर के पौत्र प्रकाश आंबेडकर एवं ओवैसी ने मिलकर कांग्रेस और राकांपा को 14 सीटों पर नुकसान पहुंचाया था। राज्य की 48 में से 39 सीटों पर ये गठबंधन तीसरे स्थान पर रहा था। ये और बात है कि आंबेडकर की वंचित बहुजन आघाड़ी खुद एक भी सीट नहीं जीत सकी।
अभी से ही मेहनत कर रहे ओवैसी
खुद प्रकाश आंबेडकर अकोला और सोलापुर से चुनाव लड़कर भी ये दोनों सीटें हार गए थे। इसी खीझ में उन्होंने छह माह बाद हुए विधानसभा चुनाव में एआइएमआइएम से नाता तोड़ लिया था। लेकिन आंबेडकर का साथ मिले बिना भी एआइएमआइएम 2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में दो सीटें जीतने में सफल रही और आंबेडकर अकेले लड़कर एक भी सीट नहीं निकाल सके। पिछले परिणाणों को ध्यान में रखते हुए ही ओवैसी इस बार अभी से ज्यादा मेहनत कर रहे हैं। पिछले तीन दिन से वह महाराष्ट्र के उन जिलों में सभाएं व बैठकें कर रहे हैं, जहां उन्हें अपनी पार्टी की जड़ें आसानी से जमने की उम्मीद है।
फरवरी के बाद से पांच बार आ चुके हैं सीएम केसीआर
हैदराबाद के दूसरे नेता केसीआर भी फरवरी के बाद से अब तक महाराष्ट्र में पांच बार आ चुके हैं। कभी कार्यकर्ता सम्मेलन, तो कभी बड़ी रैलियों के जरिये लोगों से संवाद साध रहे हैं। जगह-जगह अपना पार्टी कार्यालय खोल रहे हैं।
महाविकास आघाड़ी को रास नहीं आ रहा केसीआर का प्रयास
मराठवाड़ा से लेकर विदर्भ तक कई स्थानों पर उनके राज्य तेलंगाना की सीमा महाराष्ट्र से मिलती है। ये दोनों क्षेत्र किसानों की आत्महत्याओं के कारण चर्चा में रहते आए हैं। इसलिए, केसीआर महाराष्ट्र में इसी समस्या को भुनाने की कोशिश कर रहे हैं। केसीआर का यह प्रयास महाविकास आघाड़ी को रास नहीं आ रहा है। एक दिन पहले प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने बीआरएस को भाजपा की बी टीम बताया था। अब शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत ने भी पटोले के ही शब्द दोहराए हैं।
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