PM Modi Pictures: पुणे में संत तुकाराम के मंदिर और मुंबई में क्रांति गाथा संग्रहालय का उद्घाटन, देखें दोनों की खासियतें
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पुणे में संत तुकाराम के शिला मंदिर का उद्घाटन किया। इसी शिला पर बैठकर संत तुकाराम ने तपस्या की थी। मुंबई स्थित राजभवन में ‘क्रांति गाथा संग्रहालय’ के उद्घाटन के बाद मोदी ने कहा हमें पता भी नहीं चला कि इसके नीचे कोई बंकर भी है।

मुंबई, आनलाइन डेस्क। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पुणे के देहू गांव में संत तुकाराम के शिला मंदिर का उद्घाटन किया। इसी शिला पर बैठकर संत तुकाराम ने तपस्या की थी। मोदी ने इस समारोह में बड़ी संख्या में एकत्र हुए वारकरी संप्रदाय के लोगों को संबोधित भी किया। प्रधानमंत्री ने वारकरी संप्रदाय द्वारा हर साल आषाढ़ के महीने में निकाली जानेवाली पालकी के मार्ग पर 350 किलोमीटर के महामार्ग निर्माण की घोषणा भी की।
खुद को धन्य महसूस कर रहा हूं
प्रधानमंत्री ने खुद ट्वीट कर कहा था कि मैं देहू स्थित जगद्गुरु श्रीसंत तुकाराम महाराज के मंदिर के उद्घाटन का अवसर पाकर खुद को धन्य महसूस कर रहा हूं। संत तुकाराम की दैवीय शिक्षाओं से हम सभी प्रेरणा पाते रहते हैं। खासतौर से समाज की सेवा एवं दबे-कुचले लोगों के उत्थान के प्रति उनके विचारों को लेकर।
बता दें कि संत तुकाराम सत्रहवीं शताब्दी के एक महान संत कवि हैं। उनका जन्म पुणे के देहू नामक गांव में हुआ था। उनके मुख से समय-समय पर निकलनेवाली उपदेशात्मक वचनों को अभंग के नाम से जाना जाता है। जीवन के उत्तरार्द्ध में उनके द्वारा गाए गए, तथा उसी समय उनके शिष्यों द्वारा लिख लिए गए 4000 से अधिक अभंग आज भी मराठी भक्ति साहित्य की अनमोल धरोहर माने जाते हैं। महाराष्ट्र में बड़ी संख्या रखनेवाला वारकरी संप्रदाय प्रतिवर्ष आषाढ़ मास में अपने संतों के स्थान से पालकी लेकर पंढरपुर स्थित भगवान विट्ठल के मंदिर में पहुंचता है।
‘क्रांति गाथा संग्रहालय’ एवं ‘जल भूषण’ भवन का उद्घाटन
मुंबई स्थित राजभवन में ‘क्रांति गाथा संग्रहालय’ एवं ‘जल भूषण’ भवन का उद्घाटन करने के बाद प्रधानमंत्री ने कहा कि सात दशक से राजभवन में गतिविधियां चल रही हैं, और हमें पता भी नहीं चला कि इसके नीचे कोई बंकर भी है। इससे अपनी विरासत के प्रति हमारी उदासीनता का पता चलता है। हमें अपने इतिहास के पन्नों को खोज-खोज कर उन्हें समझने की जरूरत है। मोदी ने कहा कि इन बंकरों का इस्तेमाल कभी अंग्रेजों द्वारा हथियार रखने के लिए किया जाता था। जिनका उपयोग वह हमारे ही क्रांतिकारियों के विरुद्ध किया करते थे।
आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष के दौरान अब उसी बंकर में बना ‘क्रांति गाथा संग्रहालय’ अब हमारे क्रांतिकारी वीरों की वीरगाथाएं याद दिलाएगा। बता दें कि राजभवन में इसी वर्ष दो नए भवनों का निर्माण कार्य पूरा हुआ है। कुछ माह पहले ही नए दरबार हाल का उद्घाटन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने किया था। मंगलवार को राज्यपाल के नए आवास ‘जल भूषण’ का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया। इन दोनों विशाल भवनों का निर्माण कार्य राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी के ही कार्यकाल में पूरा हुआ है।
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