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    Maharashtra: एड्स पीड़ित महिला की रिहाई समाज के लिए खतरनाकः कोर्ट

    By Sachin Kumar MishraEdited By:
    Updated: Sat, 16 Oct 2021 09:28 PM (IST)

    Maharashtra मुंबई के न्यायालय ने एचआइवी पाजिटिव महिला की जेल से रिहाई से इन्कार कर दिया है। गिरफ्तारी से पहले यह महिला देह व्यापार में शामिल थी। न्यायालय ने कहा है कि उसकी रिहाई से समाज में एड्स संक्रमण का खतरा पैदा हो सकता है।

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    एड्स पीड़ृित महिला की रिहाई समाज के लिए खतरनाकः कोर्ट। फाइल फोटो

    मुंबई, प्रेट्र। महाराष्ट्र में मुंबई के एक सत्र न्यायालय ने एचआइवी पाजिटिव महिला की जेल से रिहाई से इन्कार कर दिया है। गिरफ्तारी से पहले यह महिला देह व्यापार में शामिल थी। न्यायालय ने कहा है कि उसकी रिहाई से समाज में एड्स संक्रमण का खतरा पैदा हो सकता है। इसलिए महिला की रिहाई समाज के लिए हितकर नहीं होगी। महिला के वकील के अनुसार, वह एक अभिनेत्री है और उसके पिता पुलिस विभाग में हैं। सत्र न्यायालय ने मजिस्ट्रेट के आदेश को इस महीने की शुरुआत में ही बरकरार रखा था, लेकिन यह आदेश शुक्रवार को सामने आया है। पुलिस ने इस महिला को देह व्यापार करते हुए रंगे हाथ पकड़ा था और अनैतिक आचरण (रोकथाम) अधिनियम के तहत उसका चालान किया था। कानून के अनुसार, मजिस्ट्रेट को इस तरह की महिलाओं को नारी संरक्षण गृह या जेल भेजने का अधिकार होता है। मजिस्ट्रेट के अधिकार के विरोध में महिला के वकील ने डिंदोशी के सत्र न्यायालय में उसकी रिहाई के लिए अर्जी दी।

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    महिला के वकील ने कही ये बात

    महिला के वकील ने कहा कि महिला के पिता उसकी देखभाल करने में सक्षम हैं और पीड़िता का परिवार आर्थिक रूप से भी मजबूत है। इसलिए उस पर लगाया गया देह व्यापार का आरोप झूठा है। उसे गलतफहमी के चलते पकड़ा गया है। जबकि अभियोजन पक्ष के वकील ने मजिस्ट्रेट के अभिरक्षा में भेजने के फैसले को सही बताया। दोनों पक्षों को सुनने के बाद अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश एसयू बागले ने कहा, यौन संबंधों को लेकर दोनों पक्षों के दावे परस्पर विरोधी हैं, लेकिन महिला के एचआइवी पाजिटिव होने को लेकर कोई शक नहीं है। इसलिए यौन संबंधों से इस संक्रमण के फैलने का खतरा है। इसलिए महिला का आजाद रहना समाज के लिए खतरनाक है। महिला को एकांतवास में रखे जाने की जरूरत है, जिससे कि उसकी उचित देखभाल हो सके और वह भविष्य में सामान्य जीवन व्यतीत करने लायक बन सके। न्यायालय ने मजिस्ट्रेट के आदेश को उचित करार दिया।

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