Maratha Reservation: आरक्षण कोटा पर मराठा और ओबीसी में तकरार जारी, मनोज जरांगे ने कहा- सरकार हमें रिजर्वेशन नहीं देगी तो...
कुनबी समाज को ओबीसी कोटे में आरक्षण देने का विरोध कर रहे ओबीसी कार्यकर्ता लक्ष्मण हाके एवं नवनाथ वाघमारे के अनशन का आज छठवां दिन था। वह अपनी इस मांग पर अड़े हैं कि ओबीसी कोटे में मराठा से कुनबी बने लोगों को आरक्षण नहीं दिया जाना चाहिए। उनका आरोप है कि सरकार उनकी मांगों को नजरंदाज कर रही है।
राज्य ब्यूरो, मुंबई। महाराष्ट्र में मराठा और ओबीसी आरक्षण आंदोलनकारियों के बीच तकरार शुरू हो गई है। मराठों को ओबीसी कोटे के तहत आरक्षण की मांग कर रहे मनोज जरांगे पाटिल का कहना है कि ओबीसी आरक्षण के लिए मांग कर रहे लोग बदले की भावना से आंदोलन कर रहे हैं। जबकि ओबीसी कोटे में किसी अन्य को आरक्षण न देने की मांग लेकर अनशन कर रहे कार्यकर्ताओं का कहना है कि सरकार उनकी मांगों को नजरंदाज कर रही है।
कुनबी समाज को ओबीसी कोटे में आरक्षण देने का विरोध कर रहे ओबीसी कार्यकर्ता लक्ष्मण हाके एवं नवनाथ वाघमारे के अनशन का आज छठवां दिन था। वह अपनी इस मांग पर अड़े हैं कि ओबीसी कोटे में मराठा से कुनबी बने लोगों को आरक्षण नहीं दिया जाना चाहिए।
उनका आरोप है कि सरकार उनकी मांगों को नजरंदाज कर रही है। जबकि सभी मराठों को कुनबी (खेतिहर मराठा) का दर्जा देकर उन्हें ओबीसी कोटे के अंतर्गत ही आरक्षण देने की मांग कर रहे मनोज जरांगे पाटिल ने मंगलवार को कहा कि ओबीसी आरक्षण के समर्थन में अनशन कर रहे लोग बदले की भावना से ऐसा कर रहे हैं।
13 जून को अपना अनशन स्थगित करने के बाद छत्रपति संभाजी महाराज नगर के एक अस्पताल में अपना इलाज करा रहे मनोज जरांगे पाटिल का कहना है कि उन्होंने सरकार को अपनी मांगें मानने के लिए एक माह का समय दिया है। जरांगे का कहना है कि मराठा और ओबीसी में कोई अंतर नहीं है, तो उन्हें एक ही कोटे के तहत आरक्षण दिया जाना चाहिए। जबकि जरांगे की मांग के विरोध में अनशन कर रहे हाके और वाघमारे का कहना है कि वह मराठा आरक्षण के विरोधी नहीं हैं। लेकिन उन्हें ओबीसी कोटे में आरक्षण नहीं दिया जाना चाहिए।
राज्य के प्रमुख ओबीसी नेता एवं राज्य सरकार में मंत्री छगन भुजबल भी हाके एवं वाघमारे की मांगों का समर्थन करते हुए मराठा समाज को ओबीसी कोटे के तहत आरक्षण देने का विरोध कर रहे हैं। उन्होंने राज्य में जातीय जनगणना की मांग भी की है। ताकि अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के तहत आनेवाली जातियों की सही गणना कर उन्हें उनके अधिकार दिए जा सकें।
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