विधायकों की अयोग्यता मामला: उद्धव गुट के चीफ व्हिप सुनील प्रभु का बयान दर्ज; विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने की सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने मुख्यमंत्री शिंदे और उनके समर्थक विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग संबंधी उद्धव ठाकरे धड़े की अर्जियों पर निर्णय लेने में देरी को लेकर विधानसभा अध्यक्ष को आड़े हाथ लिया था। कहा गया था कि विधानसभा अध्यक्ष उसके आदेशों को निष्फल नहीं कर सकते। ऐसे ही आवेदन शिदे धड़े के विधायकों ने भी ठाकरे गुट के विधायकों के खिलाफ दाखिल करवाये थे।

पीटीआई, मुंबई। शिवसेना (उद्धव गुट) के नेता और पार्टी के मुख्य सचेतक सुनील प्रभु से अविभाजित शिवसेना के विधायकों को अयोग्य ठहराने से संबंधित एक मामले में मंगलवार को सवाल-जवाब किया गया। विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने यह सुनवाई की।
प्रभु से मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना का प्रतिनिधित्व कर रहे वकीलों ने सवाल-जवाब किया। राज्य विधानमंडल में सुनवाई के बाद मीडिया से बातचीत करते हुए शिवसेना (उद्धव गुट) के विधान परिषद सदस्य अनिल परब ने कहा कि बुधवार को भी यह सवाल-जवाब जारी रहेगा।
बयान मराठी में दर्ज किया जाए: सुनील प्रभु
उन्होंने कहा कि सुनील प्रभु से जिरह की गई। उन्होंने सभी सवालों के जवाब दिये। प्रभु ने मांग की थी कि उनका बयान मराठी में दर्ज किया जाए। इससे पहले उन्होंने आरोप लगाया था कि ऐसा किया जाना ठीक नहीं है। परब ने कहा कि हमने महसूस किया कि कई सवालों की जरूरत ही नहीं थी और यह देरी करने की तरकीब है।
उन्हें 31 दिसंबर तक फैसला देना है। ऐसी संभावना है कि वे और समय मांग सकते हैं लेकिन हम वह देना नहीं चाहते। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले माह महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष राहुल नार्वेकर को बागी शिवसेना विधायकों को अयोग्य ठहराये जाने के संबंध में 31 दिसंबर तक फैसला देने का निर्देश दिया था।
विधानसभा अध्यक्ष की कार्रवाई पर सुप्रीम कोर्ट ने जताई थी नाराजगी
सुप्रीम कोर्ट ने मुख्यमंत्री शिंदे और उनके समर्थक विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग संबंधी उद्धव ठाकरे धड़े की अर्जियों पर निर्णय लेने में देरी को लेकर विधानसभा अध्यक्ष को आड़े हाथ लिया था। कहा गया था कि विधानसभा अध्यक्ष उसके आदेशों को निष्फल नहीं कर सकते। ऐसे ही आवेदन शिदे धड़े के विधायकों ने भी ठाकरे गुट के विधायकों के खिलाफ दाखिल करवाये थे।
शिंदे धड़े ने जून 2022 में भाजपा से मिलाया था हाथ
अठारह सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने विधानसभा अध्यक्ष को शिंदे और उनके समर्थक विधायकों को अयोग्य ठहराने संबंधी आवेदनों पर निर्णय लेने के वास्ते समय सीमा बताने को कहा था। शिंदे धड़े ने जून 2022 में नई सरकार बनाने के लिए भाजपा के साथ हाथ मिला लिया था।
ठाकरे गुट ने सुप्रीम कोर्ट पहुंचकर अनुरोध किया था कि वह विधानसभा अध्यक्ष को समयबद्ध तरीके से याचिकाओं पर निर्णय लेने का निर्देश दे। शिंदे के नेतृत्व में विधायकों द्वारा बगावत करने और सरकार बनाने के लिए भाजपा के साथ हाथ मिलाने के बाद शिवसेना में विभाजन हो गया था।
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