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Maharashtra Politics: मुंबई में शिवसेना के दोनों गुटों की दशहरा रैलियां आज, इस बात पर टिकी सभी की निगाहें

शिवसेना संस्थापक बालासाहब ठाकरे दशहरा रैली में जो संदेश देते थे वह शिवसैनिकों के लिए पूरे वर्ष का एजेंडा होता था। दोनों गुटों की रैलियां इसलिए महत्त्वपूर्ण हैं क्योंकि अगले वर्ष ही महाराष्ट्र में लोस और विधानसभा चुनाव के साथ ही मुंबई महानगरपालिका सहित राज्य के कई स्थानीय निकायों के भी चुनाव होने हैं।

By Jagran NewsEdited By: Mohammad SameerPublished: Tue, 24 Oct 2023 06:45 AM (IST)Updated: Tue, 24 Oct 2023 06:45 AM (IST)
मुंबई में शिवसेना के दोनों गुटों की दशहरा रैलियां आज (file photo)

राज्य ब्यूरो, मुंबई। शिवसेना के दोनों गुट मंगलवार को मुंबई के अलग-अलग स्थानों पर अपनी रैलियां करने जा रहे हैं। उद्धव गुट की रैली शिवाजी पार्क में तो शिंदे गुट की रैली दक्षिण मुंबई के आजाद मैदान में होगी। दोनों गुटों के नेताओं द्वारा दिए जाने वाले संदेशों पर सभी की नजरें टिकी हैं। शिवसेना की स्थापना के बाद से ही विजयदशमी के दिन शिवाजी पार्क में प्रति वर्ष उसकी रैली होती आ रही है।

इस रैली को शिवसेना संस्थापक बालासाहब ठाकरे संबोधित करते थे। उनके निधन के बाद इसे उनके राजनीतिक उत्तराधिकारी उद्धव ठाकरे संबोधित करने लगे। पिछले वर्ष शिवसेना में हुए विभाजन के बाद पहली बार दशहरा के दिन शिवसेना की दो रैलियां हुईं। उद्धव गुट की रैली उसके पारंपरिक स्थल शिवाजी पार्क में, जबकि शिंदे गुट की रैली बांद्रा कुर्ला कांप्लेक्स के एमएमआरडीए मैदान में हुई थी।

शिवाजी पार्क और आजाद मैदान में रैली

उद्धव गुट इस बार भी अपनी रैली शिवाजी पार्क में ही कर रहा है। जबकि शिंदे गुट दक्षिण मुंबई के आजाद मैदान में रैली करेगा। पिछले वर्ष शिवसेना के विभाजन को कुछ ही महीने हुए थे। तब शिवसेना के दोनों गुटों ने शिवाजी पार्क में ही रैली करने का आवेदन मुंबई महानगरपालिका में दिया था। लेकिन कानून-व्यवस्था बिगड़ने का कारण बताकर बीएमसी ने दोनों के आवेदन रद कर दिए थे।

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बाद में मुंबई हाई कोर्ट ने उद्धव गुट को शिवाजी पार्क में रैली करने की अनुमति दे दी थी। इस बार भी शुरुआत में दोनों गुटों ने शिवाजी पार्क के लिए आवेदन किया था। लेकिन, शिंदे गुट ने बाद में आवेदन वापस ले लिया। तब माना गया कि शिंदे गुट ने अनावश्यक टकराव टालने के लिए आवेदन वापस लिया। शिवसेना संस्थापक बालासाहब ठाकरे दशहरा रैली में जो संदेश देते थे, वह शिवसैनिकों के लिए पूरे वर्ष का एजेंडा होता था।

दोनों गुटों की रैलियां इसलिए महत्त्वपूर्ण हैं, क्योंकि अगले वर्ष ही महाराष्ट्र में लोस और विधानसभा चुनाव के साथ ही मुंबई महानगरपालिका सहित राज्य के कई स्थानीय निकायों के भी चुनाव होने हैं।


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