'महाराष्ट्र के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ...', CM फडणवीस की किस बात पर भड़कीं सुप्रिया सुले
महाराष्ट्र में भाषा को लेकर विवाद जारी है। सुप्रिया सुले ने फडणवीस सरकार पर हिंदी को मराठी से ऊपर रखने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस किसी के दबाव में ऐसा कर रहे हैं जो महाराष्ट्र के इतिहास में पहले कभी नहीं हुआ। राज ठाकरे ने निशिकांत दुबे के मराठी विरोधी बयान पर पलटवार करते हुए विवाद को और बढ़ा दिया है।

एएनआई, मुंबई। महाराष्ट्र में भाषा पर छिड़ी तकरार थमने का नाम नहीं ले रही है। राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे के बाद अब NCP-SCP नेता सुप्रिया सुले ने भी मराठी बनाम हिंदी भाषा पर फडणवीस सरकार को घेरना शुरू कर दिया है।
सुप्रिया सुले ने महाराष्ट्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि सीएम फडणवीस किसी के दबाव में हिंदी को मराठी से ऊपर रख रहे हैं। ऐसा महाराष्ट्र के इतिहास में पहले कभी नहीं हुआ।
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सुप्रिया सुले ने क्या कहा?
शनिवार को मीडिया से बातचीत के दौरान सुप्रिया सुले ने कहा, "मैं देवेंद्र जी के लिए चिंतित हूं। आखिर कौन उनपर दबाव बना रहा है? वो किसके दबाव में यह सबकुछ कर रहे हैं? यह इतिहास में पहली बार हुआ है कि महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री हिंदी को मराठी से ऊपर रख रहा है।"
#WATCH | Mumbai: On language row, NCP-SCP MP Supriya Sule says, "I am very concerned about Devendra (Fadnavis) Ji. Who is pressuring him?... Under whose pressure is he doing this? This is the first time that Maharashtra's Chief Minister is placing Hindi above Marathi..." (19.07) pic.twitter.com/pzcH4aYCor
— ANI (@ANI) July 19, 2025
राज ठाकरे बनाम निशिकांत दुबे
वहीं, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के अध्यक्ष राज ठाकरे ने बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे पर विवादित बयान दिया है, जो इन दिनों राज्य की सियासत में सुर्खियां बटोर रहा है। दरअसल निशिकांत ने राज ठाकरे पर निशाना बोलते हुए कहा था कि "मराठी लोगों को हम यहां पर पटक-पटक कर मारेंगे।" इसपर पलटवार करते हुए राज ठाकरे ने कहा, "तुम मुंबई आओ। मुंबई के समंदर में डुबा-डुबा कर मारेंगे।"
विपक्ष के निशाने पर क्यों है महाराष्ट्र सरकार?
बता दें कि महाराष्ट्र सरकार ने हाल ही में तीन भाषायी नीति लागू की थी, जिसे बाद में रद कर दिया गया। इस आदेश के अनुसार राज्य में मराठी और अंग्रेजी के अलावा हिंदी को अनिवार्य बना दिया गया था। हालांकि, अब सरकार ने हिंदी को विकल्प के रूप में स्कूलों में शामिल करने का फैसला किया है।
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