महाराष्ट्र में एक करोड़ 'लड़की बहनों' के खाते में पहुंचे तीन हजार रुपये, क्या चुनाव में गेमचेंजर साबित होगी योजना?
Maharashtra Ladki Bahini Yojana महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री माझी लड़की बहिन योजना के तहत एक करोड़ से अधिक महिलाओं के खाते में तीन हजार रुपये से अधिक की राशि जमा की जा चुकी है। लोकसभा चुनाव के निराशाजनक प्रदर्शन के बाद विधानसभा चुनाव में वापसी का प्रयास कर रहे महायुति गठबंधन को उम्मीद होगी कि योजना गेमचेंजर साबित हो। इस योजना पर राज्य की सियासत भी गरमा गई है।

ओमप्रकाश तिवारी, मुंबई। महाराष्ट्र सरकार द्वारा महिलाओं के लिए घोषित की गई मुख्यमंत्री माझी लड़की बहिन योजना की औपचारिक शुरुआत से पहले ही करीब एक करोड़ बहनों के खाते में योजना की दो किस्तों के तीन हजार रुपये पहुंच चुके हैं। खाते में यह राशि आने से एक ओर महिलाओं के चेहरे पर रौनक है तो दूसरी ओर भाजपानीत महायुति को भी आसन्न विधानसभा चुनावों में उम्मीद की किरण दिखाई देने लगी है। योजना की औपचारिक शुरुआत श्निवार को पुणे में हुई।
लोकसभा चुनाव में राज्य की 48 में से सिर्फ 17 सीटें जीतने वाली सत्तारूढ़ महायुति को चार महीने बाद ही होने वाले विधानसभा चुनावों में भी अंधकार का ही आभास होने लगा था, लेकिन, सोच-विचार के बाद मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार की तर्ज पर महाराष्ट्र में भी गरीब महिलाओं को आर्थिक मदद देने की योजना बनाई गई और राज्य के बजट में इसकी घोषणा भी कर दी गई।
एक करोड़ से अधिक लाभार्थी
राज्य की महिला एवं बाल विकास मंत्री अदिति तटकरे कहती हैं कि योजना घोषित होने के बाद से अब तक 1.64 करोड़ लाभार्थियों के आवेदन स्वीकार किए जा चुके हैं। इनमें से 1.36 करोड़ आवेदनों की पुष्टि भी हो चुकी है। इस योजना के तहत महिलाओं को राशि भेजने का औपचारिक कार्यक्रम रक्षा बंधन के दिन 19 अगस्त को पुणे में रखा गया है, क्योंकि सबसे ज्यादा 8.5 लाख आवेदन पुणे जिले से ही प्राप्त हुए हैं, लेकिन, इससे पहले ही हजारों महिलाओं के खाते में जुलाई और अगस्त माह की किस्त स्वरूप तीन हजार रुपये 95 लाख महिलाओं के खाते में पहुंच भी चुके हैं।
गौरतलब है कि इस योजना का लाभ उन्हीं महिलाओं को मिलना है, जिनके परिवार की मासिक आय 2.5 लाख रुपये से कम है, लेकिन महाराष्ट्र में ऐसे परिवारों की संख्या भी कम नहीं है। पिछले वर्ष बजट से पहले आए आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार राज्य के 11 जिलों में प्रति व्यक्ति आय का औसत 1,69,496 रुपये से कम ही है।
विदर्भ और मराठवाड़ा में स्थिति सबसे खराब
इनमें भी सबसे खराब स्थिति विदर्भ और मराठवाड़ा के परिवारों की है। ग्रामीण क्षेत्रों के अलावा शहरी क्षेत्रों में घरों में काम करने वाली महिलाओं की भी बड़ी संख्या इस योजना से मिलने वाले लाभ को लेकर उत्साहित हैं, क्योंकि महीने के डेढ़ हजार रुपये उनके लिए बड़ा सहारा बन सकते हैं। मुंबई की ऐसी ही एक घरेलू कामगार गीता बेटकर कहती हैं यह राशि उनके लिए एक घर में काम से मिलने वाली पगार के बराबर होगी। गीता ने भी अपने घर के पास इस योजना के लिए हो रहे पंजीकरण केंद्र पर जाकर अपना विवरण दर्ज करा दिया है।
अनेक लाभार्थी महिलाएं भाजपा नेताओं को बांधेंगी राखी
विपक्षी दलों को यह योजना फूटी आंखों नहीं सुहा रही है। वह इसकी आलोचना कर रहे हैं। सरकार इस योजना में 31 अगस्त तक अधिक से अधिक महिलाओं को पंजीकृत करने के लिए जोर-शोर से प्रचार कर रही है। वहीं, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, दोनों उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार भी अपने-अपने राजनीतिक कार्यक्रमों में इस योजना के बारे में विस्तार से बता रहे हैं। रक्षा बंधन के अवसर पर अनेक लाभार्थी महिलाएं इन तीनों नेताओं को राखियां बांधने भी पहुंच रही हैं। रविवार को ऐसा ही एक कार्यक्रम देवेंद्र फडणवीस के लिए मुंबई में रखा गया है।
उद्धव ने इसे बताया लुटेरों द्वारा बहनों को दी जा रही रिश्वत
शिवसेना (यूबीटी) के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे जहां इस योजना को लुटेरों द्वारा बहनों को दी जा रही रिश्वत बता रहे हैं तो अजित पवार की चचेरी बहन एवं राकांपा (शरदचंद्र पवार) की सांसद सुप्रिया सुले तंज कसते हुए कहती हैं कि राज्य सरकार ने भाई-बहन के रिश्ते को भी चुनावी राजनीति से जोड़ दिया है। जब पैसा और रिश्ते जुड़ जाते हैं तो रिश्ता बरकरार नहीं रहता।
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