Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    कभी गंभीर चुनावी मुद्दा नहीं बन सका महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा विवाद, MES ने चुनावी मैदान में उतारे छह उम्मीदवार

    By Jagran NewsEdited By: Anurag Gupta
    Updated: Wed, 26 Apr 2023 11:39 PM (IST)

    महाराष्ट्र कर्नाटक के 814 मराठीभाषी गांवों और तीन शहरों बेलगावी कारवार एवं निपाणी पर 1957 से अपना दावा करता आ रहा है। इन क्षेत्रों को महाराष्ट्र में शामिल कराने के लिए ही महाराष्ट्र एकीकरण समिति बनी हुई है।

    Hero Image
    कभी गंभीर चुनावी मुद्दा नहीं बन सका महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा विवाद

    ओमप्रकाश तिवारी, मुंबई। कर्नाटक के मराठीभाषी क्षेत्रों को महाराष्ट्र में शामिल करने की समर्थक महाराष्ट्र एकीकरण समिति (एमईएस) ने कर्नाटक विधानसभा के चुनाव में छह उम्मीदवार खड़े किए हैं।

    शिवसेना का उद्धव ठाकरे गुट इन उम्मीदवारों का प्रचार करने की चुनौती मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे एवं उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को दे रहा है, लेकिन वास्तविकता यह है कि कई दशक पुराना यह सीमा विवाद आज तक कभी भी गंभीर चुनावी मुद्दा नहीं बन सका है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    महाराष्ट्र कर्नाटक के 814 मराठीभाषी गांवों और तीन शहरों बेलगावी, कारवार एवं निपाणी पर 1957 से अपना दावा करता आ रहा है। इन क्षेत्रों को महाराष्ट्र में शामिल कराने के लिए ही महाराष्ट्र एकीकरण समिति बनी हुई है।

    महाराष्ट्र के सभी राजनीतिक दल समय-समय पर इस समिति के साथ अपनी सहानुभूति दर्शाते रहते हैं। विधानसभा चुनाव आने पर हर बार यह समिति अपने उम्मीदवार भी खड़े करती है। इसके कुछ सदस्य भाजपा और कांग्रेस जैसे राष्ट्रीय दलों के टिकट पर चुनाव लड़कर भी विधानसभा में पहुंच चुके हैं।

    MES ने चुनावी मैदान में उतारे छह उम्मीदवार

    इसके बावजूद आज तक किसी सरकार ने गंभीरता से इस सीमा विवाद को सुलझाने की कोशिश नहीं की है। यहां तक कि उस समय भी यह मुद्दा नहीं सुलझ सका, जब दोनों राज्यों में एक ही दल की सरकारें भी रही हों। इस बार विधानसभा चुनाव में एमईएस ने छह उम्मीदवार खड़े किए हैं।

    शिवसेना उद्धव गुट इसे अपनी राजनीति चमकाने के लिए सुनहरे मौके के रूप में देख रहा है। उद्धव गुट के प्रवक्ता एवं राज्यसभा सदस्य संजय राउत ने इसी राजनीति के तहत मुख्यमंत्री शिंदे और उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को एमईएस उम्मीदवारों के पक्ष में प्रचार करने की चुनौती दी है।

    उनका कहना है कि वह तीन से चार मई को इन उम्मीदवारों के समर्थन में प्रचार करने कर्नाटक जाएंगे। यदि शिंदे और फडणवीस को कर्नाटक के मराठीभाषियों की फिक्र है, तो वे भी इनके पक्ष में प्रचार करने के लिए हमारे साथ आएं। यदि वे नहीं आते, तो माना जाएगा कि सीमावर्ती मराठीभाषियों के प्रति उनकी सहानुभूति खोखली है।

    बता दें कि पिछले वर्ष के अंतिम महीनों में यह मसला इतना तूल पकड़ गया था कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों को बुलाकर बैठक करनी पड़ी थी। उन्होंने इस मामले में लंबित सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने से पहले कोई कदम न उठाने की चेतावनी भी दोनों मुख्यमंत्रियों को दी थी। 

    comedy show banner
    comedy show banner