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    Maharashtra Politics: शिवाजी पुराने आदर्श, गडकरी नए; कोश्यारी के बयान का शिवसेना उद्धव गुट ने किया विरोध

    By AgencyEdited By: Sachin Kumar Mishra
    Updated: Sat, 19 Nov 2022 05:04 PM (IST)

    Maharashtra Politics महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने कहा कि अगर कोई आपसे पूछता है कि आपका आदर्श कौन है तो आपको उसे खोजने के लिए बाहर जाने की जरूरत नहीं है वे आपको यहीं महाराष्ट्र में मिल जाएंगे।

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    छत्रपति शिवाजी पुराने आदर्श, नितिन गडकरी नए; भगत सिंह कोश्यारी के विवादित बोल। फोटो एएनआइ

    मुंबई, एजेंसी। Maharashtra Politics: सावरकर पर राहुल गांधी की टिप्पणी पर मचे सियासी घमासान के बीच महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी (Bhagat Singh Koshyari) ने छत्रपति शिवाजी महाराज पर विवादित बयान दिया है। एनसीपी और शिवसेना उद्धव गुट ने कोश्यारी के बयान का विरोध किया है।

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    जानें, क्या कहा कोश्यारी ने

    एएनआइ के मुताबिक, महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने शनिवार को कहा कि अगर कोई आपसे पूछता है कि आपका आदर्श कौन है, तो आपको उसे खोजने के लिए बाहर जाने की जरूरत नहीं है, वे आपको यहीं महाराष्ट्र में मिल जाएंगे। छत्रपति शिवाजी महाराज (Chhatrapati Shivaji Maharaj) अब एक पुरानी मूर्ति बन गए हैं, आप बाबा साहब अंबेडकर से लेकर नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) तक नए पा सकते हैं। 

    एनसीपी-शिवसेना उद्धव गुट ने कोश्यारी के बयान का किया विरोध 

    प्रेट्र के मुताबिक, महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज ''पुराने दिनों'' के प्रतीक थे, जबकि बीआर आंबेडकर और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी नए आदर्श हैं। कोश्यारी ने औरंगाबाद में आयोजित कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) अध्यक्ष शरद पवार को डी. लिट डिग्री प्रदान करने के बाद यह टिप्पणी की। उनके इस बयान का विरोध भी शुरू हो गया है।

    जानें, क्या कहा राज्यपाल

    राज्यपाल कोश्यारी ने कहा 'पहले, जब आपसे पूछा जाता था कि आपका आइकन कौन हैं - जवाहरलाल नेहरू, सुभाष चंद्र बोस और महात्मा गांधी जवाब हुआ करते थे। महाराष्ट्र में आपको कहीं और देखने की जरूरत नहीं है, यहां इतने सारे आदर्श हैं। छत्रपति शिवाजी महाराज पुराने समय के आदर्श हैं, जबकि बीआर आंबेडकर और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी नए आदर्श हैं। 

    कोश्यारी को वापस बुलाने पर विचार करें राष्ट्रपतिः एनसीपी

    राज्यपाल की टिप्पणी का विरोध करते हुए राकांपा ने उन पर महाराष्ट्र को नीचा दिखाने का आरोप लगाया। पार्टी प्रवक्ता क्लाइड क्रेस्टो ने कहा कि कोश्यारी ने गडकरी की तुलना छत्रपति शिवाजी महाराज से भी की है। उन्होंने मांग की कि राज्यपाल कोश्यारी जो लगातार आपत्तिजनक बयान देते हैं को वापस बुलाने पर राष्ट्रपति विचार करें।

    राज्यपाल का बयान निंदनीयः शिवसेना उद्धव गुट

    एएनआइ के अनुसार, शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट के प्रवक्ता आनंद दुबे ने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज हमारे प्रेरणास्त्रोत हैं। वह हमेशा हम सभी के आदर्श रहेंगे। उन्होंने कहा कि राज्यपाल का बयान निंदनीय है।

    कोश्यारी पहले भी दे चुके हैं विवादित बयान

    महाराष्ट्र में सावरकर पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी की टिप्पणी के चौतरफा विरोध के बीच राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के छत्रपति शिवाजी महाराज पर विवादित बयान पर भी सियासत गरमा सकती है। कोश्यारी इससे पहले भी कई बार विवादित बयान दे चुके हैं। 

    जब कोश्यारी को मांफी मांगनी पड़ी

    अगस्त, 2022 में महाराष्ट्र के राज्यपाल को माफी मांगनी पड़ गई थी। दरअसल, राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने मारवाड़ी समाज के कार्यक्रम में कहा था कि महाराष्ट्र से, खासतौर से मुंबई और ठाणो से गुजराती और राजस्थानी समाज के लोग दूर जाने का फैसला कर लें तो यहां का सारा पैसा खत्म हो जाएगा और मुंबई देश की आर्थिक राजधानी रह ही नहीं जाएगी। कोश्यारी का यह बयान गुजराती और राजस्थानी समाज के व्यावसायिक कौशल की तारीफ करने के लिए था, लेकिन शिवसेना ने राज्यपाल के बयान को राजनीतिक मुद्दा बना दिया था।

    कोश्यारी ने यह कहकर मुसीबत मोल ले ली

    महाराष्ट्र योजना आयोग के तत्कालीन उपाध्यक्ष डा. रत्नाकर महाजन के नेतृत्व में तैयार इस रिपोर्ट में दूसरे राज्यों से आए लोगों के मुंबई की अर्थव्यवस्था में योगदान की चर्चा भी की गई थी। रिपोर्ट में कहा गया था कि अन्य राज्यों से आए लोगों ने मुंबई में ज्यादातर मेहनतवाले काम संभाले और मुंबई की अर्थव्यवस्था संभालने में मददगार साबित हुए। जब मुंबई के देश की आर्थिक राजधानी होने की चर्चा होती है तो यह भुलाया नहीं जा सकता कि सात जुलाई, 1854 को मुंबई में पहली काटन टेक्सटाइल मिल स्थापित करनेवाले एक पारसी उद्योगपति कावसजी नानाभाई डावर थे।

    तब कही थी ये बात

    इसके बाद तो मुंबई में छोटी-बड़ी करीब 130 कपड़ा मिलें स्थापित हुईं। इस इतिहास से भी मुंह नहीं चुराया जा सकता कि कोंकण और मराठवाड़ा से आए लाखों मराठी परिवारों पर रोजी-रोटी का संकट भले 1982 में डा. दत्ता सामंत द्वारा करवाई गई हड़ताल के बाद आया हो, लेकिन कपड़ा मिलों पर यूनियन की दादागीरी 1960 में शिवसेना की यूनियन भारतीय कामगार सेना के नेतृत्व में ही शुरू हो गई थी। जबकि मुंबई को समृद्धि देने वाली इन कपड़ा मिलों के ज्यादातर मालिक बाद के दौर में वही गुजराती और राजस्थानी थे, जिनकी प्रशंसा में राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने कुछ शब्द कहकर मुसीबत मोल ले ली थी।

    सावरकर पर राहुल के बयान का चौतरफा विरोध

    कांग्रेस नेता राहुल गांधी के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी विनायक दामोदर सावरकर पर दिए गए बयान का चौतरफा विरोध हो रहा है। भाजपा और मनसे ने शुक्रवार को जहां राज्य भर में विभिन्न स्थानों पर प्रदर्शन कर राहुल के बयान पर विरोध जताया, वहीं शिवसेना नेता संजय राउत ने भी माना कि सावरकर पर दिया गया राहुल गांधी का बयान महाविकास आघाडी में दरार डाल सकता है।

    जानें, क्या कहा था राहुल गांधी ने

    एक दिन पहले ही राहुल गांधी ने वाशिम में आदिवासी नेता बिरसा मुंडा को श्रद्धांजलि देते हुए राहुल गांधी वीर सावरकर की निदा पर उतर आए थे। उन्होंने कहा कि अंग्रेजों ने बिरसा मुंडा को जमीन देने का प्रस्ताव किया था। लेकिन उन्होंने झुकने से इन्कार कर दिया और मृत्यु को चुना था। जबकि भाजपा और आरएसएस के लिए अंग्रेजों की दया मांगने वाले, पेंशन स्वीकार करनेवाले सावरकर जी ही आदर्श हैं।

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