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महाराष्ट्र सरकार ने स्वीकारीं मराठा-कुनबी पर शिंदे समिति की रिपोर्टें, फिर भी संतुष्ट क्यों नहीं हैं मनोज जरांगे?

Maharashtra महाराष्ट्र सरकार ने मराठा समुदाय के कुनबी संबंधों को लेकर दी गई दो रिपोर्टें स्वीकार कर ली हैं। हालांकि रिपोर्टें स्वीकृत होने के बाद भी जरांगे पाटिल की प्रतिक्रिया संतोषजनक नहीं रही है। माना जा रहा है कि आज लिया गया सरकार का निर्णय विधानसभा चुनाव से ठीक पहले मराठा और ओबीसी समुदाय में टकराव और बढ़ा सकता है।

By Jagran News Edited By: Sachin Pandey Updated: Mon, 30 Sep 2024 09:58 PM (IST)
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रिपोर्टें स्वीकृत होने के बाद भी जरांगे पाटिल की प्रतिक्रिया संतोषजनक नहीं रही है। (फोटो- एएनआई)

राज्य ब्यूरो, मुंबई। महाराष्ट्र के शिंदे मंत्रिमंडल ने न्यायमूर्ति संदीप शिंदे (सेवानिवृत्त) द्वारा मराठा समुदाय के कुनबी संबंधों को लेकर दी गई दो रिपोर्टें सोमवार को स्वीकार कर लीं। इस समिति का गठन मराठा आंदोलनकर्ता मनोज जरांगे पाटिल की मांग पर किया गया था, लेकिन ये रिपोर्टें स्वीकृत होने के बाद भी जरांगे पाटिल की प्रतिक्रिया संतोषजनक नहीं रही है।

मनोज जरांगे पाटिल ने पिछले वर्ष मराठा आरक्षण को लेकर जालना स्थित अपने गांव में अंतरवली सराटी गांव में अनशन शुरू किया था। बाद में उन्होंने अपनी मांग बदल कर मराठवाड़ा के सभी मराठाओं को कुनबी (खेती करनेवाला मराठा) प्रमाण पत्र देकर उन्हें अन्य पिछड़ा वर्ग के तहत आरक्षण देने की मांग शुरू कर दी थी।

समिति ने दिसंबर में सौंपी थी रिपोर्ट

सरकार ने उनकी इस मांग मानते हुए ही मराठा-कुनबी पहचान के लिए न्यायमूर्ति संदीप शिंदे (सेवानिवृत्त) की अध्यक्षता में अगस्त 2023 में शिंदे समिति का गठन किया था। इस समिति ने अपनी दूसरी रिपोर्ट दिसंबर 2023 में ही सरकार को सौंप दी थी, जिसे अब तक स्वीकृत नहीं किया गया था।

माना जा रहा है कि मनोज जरांगे पाटिल के आक्रामक रुख एवं गरीब मराठा समाज में उनके समर्थकों की बड़ी संख्या का दबाव देखते हुए शिंदे मंत्रिमंडल ने आज मंत्रिमंडल की बैठक में समिति की पहली और दूसरी, दोनों रिपोर्टें स्वीकृत करने का निर्णय किया है, लेकिन ये रिपोर्टें स्वीकृत होने के बावजूद मनोज जरांगे पाटिल संतुष्ट नहीं दिख रहे हैं।

महाराष्ट्र के सभी मराठों को कुनबी प्रमाणपत्र देने की मांग

हाल ही में छठवीं बार अपना अनशन तोड़कर एक अस्पताल में इलाज करा रहे जरांगे अब महाराष्ट्र के सभी मराठों को और उनके सगे-संबंधियों को भी कुनबी प्रमाणपत्र देने की मांग कर रहे हैं। दूसरी ओर राज्य का ओबीसी समाज उनकी इस मांग को लेकर अपने आरक्षण पर खतरा महसूस कर रहा है। माना जा रहा है कि आज लिया गया सरकार का निर्णय विधानसभा चुनाव से ठीक पहले मराठा और ओबीसी समुदाय में टकराव और बढ़ा सकता है।

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