JNU की कुलपति शांतिश्री धूलिपुड़ी ने पूछा- क्या तीस्ता सीतलवाड़ की तरह हम लोगों के लिए खुलेगा रात में कोर्ट
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) के कुलपति शांतिश्री धूलिपुड़ी पंडित ने आश्चर्य जताया कि क्या सुप्रीम कोर्ट हम लोगों के साथ वैसा ही व्यवहार करेगा जैसा उसने तीस्ता सीतलवाड़ को राहत देने के लिए किया था। उन्होंने कहा कि वामपंथी विचारधारा अभी भी मौजूद है। तीस्ता सीतलवाड़ को जमानत देने के लिए सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने एक जुलाई को रात में कोर्ट खोला था

मुंबई, पीटीआई। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) के कुलपति शांतिश्री धूलिपुड़ी पंडित ने आश्चर्य जताया कि क्या सुप्रीम कोर्ट हम लोगों के साथ वैसा ही व्यवहार करेगा, जैसा उसने तीस्ता सीतलवाड़ को राहत देने के लिए किया था।
वामपंथी विचारधारा अभी भी मौजूद है- जेएनयू वीसी
जेएनयू वीसी रविवार को 2002 के गोधरा कांड के बाद हुए दंगों के मामलों में निर्दोष लोगों को फंसाने के लिए सुबूत गढ़ने के मामले में सीतलवाड़ को गिरफ्तारी से एक जुलाई को सुप्रीम कोर्ट द्वारा अंतरिम राहत देने का जिक्र कर रही थी। उन्होंने कहा कि वामपंथी विचारधारा अभी भी मौजूद है। तीस्ता सीतलवाड़ को जमानत देने के लिए सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने एक जुलाई को रात में कोर्ट खोला था। क्या यह व्यवस्था हम लोगों के साथ भी होगा।

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मराठी पुस्तक के विमोचन के अवसर पर बोलीं JNU कुलपति
उन्होंने पुणे में मराठी पुस्तक 'जगला पोखरनारी डेवी वालवी' (विश्व को कमजोर करने वाले वामपंथी दीमक) के विमोचन के अवसर पर बोलते हुए ये बातें कहीं। उन्होंने ने महाराष्ट्र में सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान विभाग में प्रोफेसर के रूप में कार्य किया था। उन्होंने कहा कि राजनीतिक शक्ति बनाए रखने के लिए आपको कथात्मक शक्ति की आवश्यकता है। हमें इसे प्राप्त करने की आवश्यकता है। जब तक हम इसे हासिल नहीं कर लेते हम एक दिशाहीन जहाज की तरह रहेंगे।
आरएसएस से जुड़े संगठनों के साथ अपने बचपन के जुड़ाव को किया याद
उन्होंने आरएसएस से जुड़े संगठनों के साथ अपने बचपन के जुड़ाव को याद किया। उन्होंने कहा कि मैं बचपन में बाल सेविका थी। मुझे मेरे संस्कार आरएसएस से ही मिले हैं। मुझे यह कहने में गर्व है कि मैं आरएसएस से हूं और मैं बिल्कुल भी नहीं झिझकती हूं। उन्होंने कहा कि गर्व से कहती हूं मैं हिंदू हूं, दर्शकों ने जय श्री राम के नारे लगाए।
पिछले साल किया गया था जेएनयू का वीसी
उन्होंने कहा कि वामपंथ और आरएसएस अलग-अलग विचारधाराएं हैं। 2014 के बाद इन दोनों विचारधाराओं के बीच संघर्ष में एक बड़ा बदलाव आया है। शांतिश्री को पिछले साल फरवरी में जेएनयू वीसी के रूप में नियुक्त किया गया था। उन्होंने कहा कि कुछ लोगों ने विश्वविद्यालय परिसर में राष्ट्रीय ध्वज और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तस्वीर लगाने के उनके फैसले का विरोध किया। पंडित ने कहा कि मैं उन लोगों से कहना चाहती हूं कि वे करदाताओं के पैसे से परिसर में मुफ्त भोजन का आनंद ले रहे हैं और उन्हें राष्ट्रीय ध्वज और पीएम मोदी की तस्वीर के सामने झुकना चाहिए।

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