'भारत को इतिहास से सबक लेकर बढ़ना चाहिए आगे',दत्तात्रेय होसबाले ने कहा- संबंधों को रखना होगा जीवित
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने मुंबई में प्रो. अशोक गजानन मोडक की पुस्तक 'एकात्म मानववाद' का विमोचन किया। उन्होंने कहा कि भारतीय समाज को इतिहास से सीख लेकर वर्तमान के अनुभव के साथ भविष्य की ओर बढ़ना चाहिए। होसबाले ने पश्चिमी आदर्शवाद के विपरीत भारतीय दर्शन की बात की और ई-कॉमर्स के दौर में समाप्त हो रहे पारंपरिक सामाजिक संबंधों को बनाए रखने तथा समाज के कमजोर अंगों को मजबूत करने पर जोर दिया। यह पुस्तक पंडित दीनदयाल उपाध्याय के एकात्म मानववाद के सिद्धांतों की व्याख्या करती है।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले। (फोटो- जेएनएन)
राज्य ब्यूरो, मुंबई। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने कहा है कि भारतीय समाज कभी भी अतीत पर ध्यान नहीं देता। लेकिन भारत को इतिहास से सीख लेकर, वर्तमान के अनुभव के साथ भविष्य की ओर बढ़ने की जरूरत है।
मंगलवार को मुंबई विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह सभागार में प्रो. अशोक गजानन मोडक की नवप्रकाशित अंग्रेजी पुस्तक इंटीग्रल ह्यूमनिज्म–ए डिस्टिंक्ट पैराडिग्म ऑफ डेवलपमेंट (एकात्म मानववाद -विकास का विशिष्ट प्रतिमान) का लोकार्पण करने के बाद उन्होंने यह बात कही।
इस पुस्तक में प्रोफेसर मोडक ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय द्वारा प्रतिपादित एकात्म मानववाद के सिद्धांतों की आधुनिक भारत के परिप्रेक्ष्य में व्याख्या की है। पुस्तक का प्रकाशन भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएसएसआर) द्वारा किया गया है।
पुस्तक के बारे में बात करते हुए सरकार्यवाह ने कहा कि एकात्म मानववाद पुस्तक में भारतीय दर्शन पर आधारित समसामयिक विवरण है। इसे मनुष्य को जीवन की दिशा दिखाने वाला कालजयी ग्रंथ कहा जा सकता है। पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने एकात्म मानव दर्शन के माध्यम से जो संदेश दिया, उसी संदेश को पुस्तक के माध्यम से समाज तक पहुंचाने का काम अशोकराव मोडक ने किया है।
पश्चिमी सभ्यता आदर्शवाद में विश्वास करती है
होसबाले ने कहा कि पश्चिमी सभ्यता आदर्शवाद में विश्वास करती है। जिसमें किसी परिस्थिति विशेष को आदर्श मान लिया जाता है, और सब सो उसी का पालन करना पड़ता है। जबकि हमारे पूर्वजों ने दर्शन को जन्म दिया। जिसमें आप अपने जीवन की रचना स्वयं करते हैं, अपना रास्ता स्वयं ढूंढते हैं।
ई-कामर्स के दौर में ये संबंध हो रहे समाप्त
सरकार्यवाह ने कहा कि आज विकास के कई मॉडलों पर चिंतन चल रहा है। इसी प्रक्रिया में बाजारोन्मुखी व्यवस्था ने समाज नामक इकाई को समाप्त सा कर दिया है। हमारे समाज में लोग एक-दूसरे पर भरोसा करके लेन-देन करते थे, संबंध बनाते और निभाते थे। अब ई-कामर्स के दौर में ये संबंध समाप्त होते जा रहे हैं। हमें इस बात पर विचार करना होगा कि हम कैसे नई व्यवस्था को अपनाते हुए भी अपने परंपरागत सामाजिक संबंधों को जीवित रखें। इसी के साथ समाज का जो अंग कमजोर है उसे बलवान बनाने का काम भी हमारा ही है।
कार्यक्रम के दौरान महाराष्ट्र के उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री चंद्रकांतदादा पाटिल, आईसीएसएसआर के सदस्य सचिव प्रो. धनंजय सिंह और मुंबई विश्वविद्यालय के उपकुलपति प्रो. रवींद्र कुलकर्णी भी उपस्थित थे। मंत्री चंद्रकांतदादा पाटिल ने कहा कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने अपने कार्यकाल में 'एकात्म मानववाद' के विचार के आधार पर काम किया। आने वाले समय में एकात्म मानववाद का विचार शैक्षणिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण होगा।
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