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    'हेमंत करकरे पुलिस अधिकारी की गोली से मारे गए', आतंकी अजमल कसाब की कहानी छेड़कर बुरी फंसी कांग्रेस

    Updated: Sun, 05 May 2024 08:42 PM (IST)

    महाराष्ट्र विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष वडेट्टीवार ने कहा है कि 26-11 के हमले में मारे गए एटीएस प्रमुख हेमंत करकरे पाकिस्तानी आतंकी अजमल कसाब की गोली से नहीं बल्कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से संबंध रखने वाले एक पुलिस अधिकारी की गोली से मारे गए थे। वडेट्टीवार ने उत्तर-मध्य मुंबई से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे वरिष्ठ वकील उज्ज्वल निकम को भी गद्दार कहकर संबोधित किया है।

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    हेमंत करकरे पर महाराष्ट्र के कांग्रेसी नेता विजय वड्डेटीवार के बयान से एक नया विवाद खड़ा होता दिख रहा है।

    ओमप्रकाश तिवारी, मुंबई। लगभग 15 वर्ष पहले मुंबई में हुए आतंकी हमले में बलिदान हुए वरिष्ठ पुलिस अधिकारी हेमंत करकरे पर महाराष्ट्र के कांग्रेसी नेता विजय वड्डेटीवार के बयान से एक नया विवाद खड़ा होता दिख रहा है। एक तरह से आतंकी अजमल कसाब की कहानी छेड़कर कांग्रेस फिर फंसती नजर आ रही है।

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    महाराष्ट्र विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष वडेट्टीवार ने कहा है कि 26-11 के हमले में मारे गए एटीएस प्रमुख हेमंत करकरे पाकिस्तानी आतंकी अजमल कसाब की गोली से नहीं, बल्कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से संबंध रखने वाले एक पुलिस अधिकारी की गोली से मारे गए थे। वडेट्टीवार ने उत्तर-मध्य मुंबई से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे वरिष्ठ वकील उज्ज्वल निकम को भी गद्दार कहकर संबोधित किया है। निकम ने ही सरकारी वकील के रूप में कसाब को मृत्युदंड की सजा दिलवाकर उसे फांसी के तख्ते तक पहुंचाने का काम किया था।

    विजय वडेट्टीवार ने उक्त बयान शनिवार को उत्तर-मध्य मुंबई से कांग्रेस की उम्मीदवार वर्षा गायकवाड का प्रचार करते हुए दिया। उन्होंने कहा कि मुंबई हमले में आइपीएस अधिकारी हेमंत करकरे की हत्या कसाब या आतंकियों की गोली से नहीं, बल्कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के वफादार एक पुलिस अधिकारी की गोली से हुई थी।

    इसी कड़ी में वडेट्टीवार ने वर्षा गायकवाड के प्रतिद्वंद्वी भाजपा उम्मीदवार उज्ज्वल निकम पर भी निशाना साधते हुए कहा कि निकम ने यह कहकर कांग्रेस सरकार को बदनाम करने का काम किया कि जेल में कसाब को बिरयानी दी जा रही है। यह कैसा वकील है। यह गद्दार है, जिसने कोर्ट में सच छुपाने का काम किया। उन्होंने भाजपा पर भी यह कहकर निशाना साधा कि भाजपा सच छुपाने वाले गद्दार को टिकट दे रही है।

    'किसी भी हद तक गिर सकती है कांग्रेस'

    वडेट्टीवार के इस बयान से कांग्रेस खुद घिरती नजर आने लगी है। इसका जवाब देते हुए भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावड़े ने कहा कि कांग्रेस अपने खास वोट बैंक को खुश करने के लिए किसी भी हद तक गिर सकती है।

    ऐसा कहकर कांग्रेस नेता ने 26-11 के आतंकियों को क्लीन चिट दे दी है। तावड़े ने सवाल किया कि क्या हेमंत करकरे पर कसाब ने गोली नहीं चलाई थी। कांग्रेस को बिल्कुल भी शर्म नहीं आ रही है।

    'गोली मारने की स्वीकारोक्ति स्वयं कसाब ने अदालत में की थी'

    उज्ज्वल निकम ने भी वडेट्टीवार को जवाब देते हुए कहा कि बलिदान हुए पुलिस अधिकार कामटे और करकरे को गोली मारने की स्वीकारोक्ति खुद कसाब ने अदालत में की थी, और आप कह रहे हैं कि कसाब ने ऐसा किया ही नहीं। ये पाप कहां जाकर फूटेगा। स्वयं को गद्दार कहे जाने पर दुख जताते हुए निकम ने कहा कि आपके इस बयान का उपयोग पाकिस्तान कहां-कहां कर सकता है, आपको इसका अंदाजा भी नहीं है। आप पाकिस्तान की मदद कर रहे हैं, ये संदेश गया तो क्या परिस्थिति होगी, पता है आपको।

    वहीं, बयान देकर स्वयं को घिरता देख विजय वडेट्टीवार ने सफाई देते हुए कहा है कि ये शब्द मेरे नहीं हैं। मैंने वही कहा है, जो पूर्व पुलिस अधिकारी एसएम मुश्रिफ की किताब में लिखा है। बता दें कि महाराष्ट्र में आईजी के पद पर रह चुके एस एम मुश्रिफ ने मुंबई पर हुए आतंकी हमले के बाद एक पुस्तक लिखी थी, जिसका शीर्षक था- 'हू किल्ड करकरे?।' मुश्रिफ ने इसी पुस्तक में करकरे के मारे जाने पर कई सवाल खड़े किए थे।

    दिग्विजय सिंह भी उठा चुके हैं सवाल

    मुंबई हमले के समय महाराष्ट्र के एटीएस प्रमुख रहे हेमंत करकरे की मौत पर वरिष्ठ कांग्रेसी नेता दिग्विजय सिंह भी सवाल उठा चुके हैं। उन्होंने यह सवाल आतंकी हमले के कुछ समय बाद ही एक उर्दू पत्रकार की पुस्तक '26-11 आरएसएस की साजिश' का मुंबई में लोकार्पण करते हुए उठाया था।

    इस लोकार्पण समारोह में 'हू किल्ड करकरे' पुस्तक लिखने वाले पूर्व पुलिस अधिकारी एस एम मुश्रिफ भी उपस्थित थे। लेकिन इस कार्यक्रम में दिग्विजय के दिए बयान पर हेमंत करकरे की पत्नी कविता करकरे द्वारा नराजगी जताने पर दिग्विजय अपने बयान से पलटते नजर आए थे। पहले उन्होंने कहा था कि उन्हें खुद हेमंत करकरे ने फोन कर मालेगांव कांड के बाद अपनी जान को खतरा बताया था। बाद में वह कहते लगे कि फोन उन्होंने करकरे को किया था।

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