राज्य ब्यूरो, मुंबई। हाल ही में हुए नासिक स्नातक क्षेत्र विधान परिषद चुनाव में महाविकास आघाड़ी की हार के बाद कांग्रेस में कलह तेज हो गई है। इस सीट पर कांग्रेस के बागी उम्मीदवार सत्यजीत तांबे की जीत हुई है। अब तांबे की जीत के बाद महाराष्ट्र कांग्रेस में अंदरूनी कलह तेज हो गई है। पिछले साल जून में हुए विधान परिषद चुनाव के दिन ही शिवसेना में बड़ी बगावत हो गई थी। जिसके परिणामस्वरूप अगले महीने की उद्धव ठाकरे की सरकार गिर गई और सत्ता परिवर्तन के बाद राज्य में एकनाथ शिंदे एवं देवेंद्र फडणवीस की सरकार चल रही है।
बागी उम्मीदवार सत्यजीत तांबे ने दर्ज की है जीत
पिछले सप्ताह विधान परिषद की पांच और सीटों के परिणाम आते ही कांग्रेस में कलह तेज हो गई है। क्योंकि यहां से कांग्रेस के बागी उम्मीदवार सत्यजीत तांबे को भारी बहुमत से जीत हासिल हुई है, और कांग्रेस-राकांपा-शिवसेना की संयुक्त उम्मीदवार शुभांगी पाटिल को हार का सामना करना पड़ा है। स्नातक क्षेत्र की इस सीट से सत्यजीत तांबे के पिता डॉ.सुधीर तांबे तीन बार विधान परिषद सदस्य रह चुके हैं। उम्मीद की जा रही थी कि इस बार कांग्रेस उनके बेटे सत्यजीत तांबे को विधान परिषद का टिकट देगी।
नर्दलीय भरा था पर्चा
सत्यजीत को अंतिम समय तक जब कांग्रेस का अधीकृत उम्मीदवारी फार्म नहीं मिला, तो उन्होंने निर्दलीय पर्चा भर दिया और भाजपा के समर्थन से भारी बहुमत से जीत भी गए। चूंकि तांबे परिवार महाराष्ट्र कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व प्रदेश अध्यक्ष बालासाहब थोरात आपस में रिश्तेदार है। इसलिए सत्यजीत तांबे का कहना है कि उनके रिश्तेदार थोरात की परेशानी बढ़ाने के लिए ही उन्हें जानबूझकर कांग्रेस ने उम्मीदवारी नहीं दी। एक दिन पहले ही अपना 70वां जन्मदिन मना रहे थोरात ने भी कहा है कि उन्होंने इस प्रकरण की सूचना कांग्रेस आलाकमान तक पहुंचा दी है।
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