Devendra Fadnavis: अयोग्य ठहराए गए तब भी शिंदे बने रहेंगे मुख्यमंत्री, डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस का बड़ा बयान
महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने कहा कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे अयोग्य नहीं ठहराए जाएंगे। यदि ऐसा हुआ भी तो उन्हें विधानपरिषद के सदस्य के तौर पर निर्वाचित किया जाएगा। वह पद पर बने रहेंगे। अगला चुनाव उन्हीं के नेतृतव में होगा।

पीटीआई, मुंबई। महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने कहा कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे अयोग्य नहीं ठहराए जाएंगे। यदि ऐसा हुआ भी तो उन्हें विधानपरिषद के सदस्य के तौर पर निर्वाचित किया जाएगा। वह पद पर बने रहेंगे। अगला चुनाव उन्हीं के नेतृतव में होगा।
सुप्रीम कोर्ट में याचिका की गई है दायर
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 17 अक्टूबर को महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष राहुल नार्वेकर को शिवसेना के दोनों गुटों की ओर से दायर याचिकाओं पर फैसला करने के लिए एक समय-सीमा बताने का अंतिम अवसर दिया था। पार्टी में टूट के बाद ये याचिकाएं एक-दूसरे गुट के विधायकों को अयोग्य घोषित करने के लिए एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे नीत गुटों की ओर से दायर की गई थीं।
सुप्रीम कोर्ट में सोमवार का दिन अहम
सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट और राकांपा के शरद पवार गुट द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई होनी है। इन याचिकाओं में कुछ विधायकों के खिलाफ दाखिल अयोग्यता याचिकाओं पर जल्द निर्णय लेने के लिए नार्वेकर को निर्देश देने का अनुरोध किया गया है। फडणवीस एक समाचार चैनल से बातचीत कर रहे थे।
सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उनके विश्वस्त कई विधायकों को अयोग्य घोषित करने के लिए उद्धव गुट द्वारा दायर याचिकाओं पर फैसला करने में देरी को लेकर विधानसभा अध्यक्ष के प्रति नाखुशी जताते हुए कहा था कि वह शीर्ष न्यायालय के आदेशों की अनदेखी नहीं कर सकते हैं। इसी तरह की अयोग्यता याचिकाएं शिंदे गुट ने भी उद्धव के प्रति निष्ठा रखने वाले विधायकों के खिलाफ दायर की हैं। सुप्रीम कोर्ट ने 18 सितंबर को विधानसभा अध्यक्ष को याचिकाओं पर निर्णय के लिए समय सीमा बताने का निर्देश दिया था।
विधानसभा अध्यक्ष नार्वेकर दिल्ली रवाना
महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष राहुल नार्वेकर रविवार को नई दिल्ली रवाना हो गए। वहां वह सालिसिटर जनरल तुषार मेहता और अन्य लोगों से मुलाकात करेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने 17 अक्टूबर को नार्वेकर को शिवसेना के दोनों गुटों की ओर से दायर याचिकाओं पर फैसला करने के लिए एक वास्तविक समय-सीमा बताने का अंतिम अवसर दिया था।
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