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    'महाराष्ट्र में नहीं थोपी जा रही हिंदी', सीएम फडणवीस ने त्रि-भाषा विवाद के बीच दी सफाई

    महाराष्ट्र में हिंदी को तीसरी अनिवार्य भाषा बनाने के फैसले पर विवाद गहराया। मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा कि मराठी अनिवार्य रहेगी हिंदी थोपी नहीं जा रही। भाषा समिति ने फैसला रद्द करने की मांग की क्योंकि एनईपी मातृभाषा पर जोर देती है। तमिलनाडु के उदयनिधि स्टालिन ने त्रि-भाषा नीति और नीट को हिंदी थोपने की साजिश बताया। मनसे ने आरएसएस से हस्तक्षेप की मांग की।

    By Jagran News Edited By: Chandan Kumar Updated: Mon, 21 Apr 2025 06:00 AM (IST)
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    महाराष्ट्र, तमिलनाडु में हिंदी को तीसरी अनिवार्य भाषा बनाने पर विवाद। (फाइल फोटो)

    पीटीआई, मुंबई। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने रविवार को कहा कि राज्य में हिंदी भाषा नहीं थोपी जा रही है। राज्य में मराठी अनिवार्य भाषा बनी रहेगी। उनका यह बयान शिवसेना (यूबीटी) एवं महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के उन आरोपों के बीच आया है, जिसमें कहा गया है कि महाराष्ट्र में हिंदी थोपी जा रही है।

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    इस बीच, महाराष्ट्र सरकार की भाषा परामर्श समिति ने फडणवीस से अनुरोध किया है कि कक्षा एक से पांच तक के छात्रों के लिए हिंदी को तीसरी अनिवार्य भाषा बनाने के फैसले को रद्द किया जाए।

    हिंदी को अनिवार्य बनाने पर विवाद

    फडणवीस ने पत्रकारों से बातचीत में कहा, "हमें यह समझना होगा कि मराठी के स्थान पर हिंदी को अनिवार्य नहीं किया गया है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) में तीन भाषाओं को सीखने का अवसर मिला है। भाषाएं सीखना महत्वपूर्ण है। नियम कहता है कि इन तीन भाषाओं में से दो भाषाएं भारतीय होनी चाहिए। मराठी पहले ही अनिवार्य है। आप हिंदी, तमिल, मलयालम या गुजराती के अलावा कोई और भाषा नहीं ले सकते। हिंदी भाषा के शिक्षक उपलब्ध हैं। अन्य क्षेत्रीय भाषाओं के शिक्षक उपलब्ध नहीं हैं।"

    उधर, प्रदेश सरकार की भाषा परामर्श समिति के प्रमुख लक्ष्मीकांत देशमुख ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर दावा किया कि राजकीय शिक्षा अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) ने उसके विचारों व सुझावों पर गौर नहीं किया।

    भाषा समिति की आपत्ति और मांग

    पत्र में कहा गया है, "राष्ट्रीय शिक्षा नीति में किसी भाषा को अनिवार्य नहीं किया गया है। एनईपी कहती है कि शिक्षा मातृभाषा में दी जानी चाहिए। इसलिए हिंदी को तीसरी अनिवार्य भाषा बनाना ठीक नहीं है।"

    वहीं, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के नेता संदीप देशपांड ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत को पत्र लिखकर हिंदी को तीसरी अनिवार्य भाषा बनाने के फैसले में हस्तक्षेप करने और उसे रद्द कराने का आग्रह किया है।

    तमिलनाडु में भी हिंदी थोपने का आरोप

    तमिलनाडु के उपमुख्यमंत्री उदयनिधि स्टालिन ने रविवार को आरोप लगाया कि भाजपा के नेतृत्व वाले राजग का त्रि-भाषा नीति, राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) एवं राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू करने के पीछे का सोच तमिलनाडु में किसी तरह हिंदी थोपना है।

    उदयनिधि ने कहा, "आपको इन साजिशों और केंद्र द्वारा शिक्षा पर पैदा किए गए खतरों को समझना चाहिए। आपको यह पता होना चाहिए कि अगर आप अपने रुख पर अडिग रहेंगे तो हमारे शत्रु हमारे विरुद्ध विजयी नहीं हो सकते।"

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