Move to Jagran APP

'कोविड-19 से हुई मौतों के लिए मुआवजा कोई इनाम नहीं है', बॉम्बे HC ने क्यों की ऐसी टिप्पणी?

बॉम्बे हाई कोर्ट की औरंगाबाद पीठ ने एक हैंडपंप सहायक की विधवा की याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि कोविड - 19 से हुई मौतों के लिए मुआवजा कोई इनाम नहीं है। मामलों को लापरवाही से नहीं निपटाया जा सकता है। यह आदेश नांदेड़ जिले की कंचन हामशेट्टे द्वारा दायर याचिका पर पारित किया गया था जिन्होंने सरकार से 50 लाख रुपये की अनुग्रह राशि मांगी थी।

By Agency Edited By: Nidhi Avinash Published: Tue, 16 Apr 2024 03:16 PM (IST)Updated: Tue, 16 Apr 2024 03:16 PM (IST)
बॉम्बे HC ने क्यों की ऐसी टिप्पणी (Image: ANI)

पीटीआई, मुंबई। कोविड-19 से हुई मौतों के लिए मुआवजा कोई इनाम नहीं है। मामलों को लापरवाही से नहीं निपटाया जा सकता है। ये टिप्पणी करते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट की औरंगाबाद पीठ ने एक हैंडपंप सहायक की विधवा की याचिका खारिज कर दी।

loksabha election banner

न्यायमूर्ति रवींद्र घुगे और न्यायमूर्ति आर एम जोशी की खंडपीठ ने कहा कि 50 लाख रुपये के मुआवजे की मांग करने वाली महिला की अर्जी खारिज करने के महाराष्ट्र सरकार के आदेश में कुछ भी 'विकृत या गलत' नहीं था।

याचिकाकर्ता ने की थी यह मांग

यह आदेश नांदेड़ जिले की कंचन हामशेट्टे द्वारा दायर याचिका पर पारित किया गया था, जिन्होंने सरकार से 50 लाख रुपये की अनुग्रह राशि मांगी थी। दरसअल, याचिकाकर्ता ने दावा किया है कि उनके पति को सरकार द्वारा तैनात किया गया था और उनकी कोरोना वायरस से संक्रमित होने के बाद मृत्यु हो गई थी।

महामारी के दौरान राज्य सरकार ने शुरू की थी यह नीति

बता दें कि महामारी के दौरान, राज्य सरकार ने उन कर्मचारियों के लिए 50 लाख रुपये का व्यापक व्यक्तिगत दुर्घटना कवर पेश किया था जो सर्वेक्षण, ट्रेसिंग, ट्रैकिंग, परीक्षण, रोकथाम और उपचार और राहत गतिविधियों से संबंधित सक्रिय ड्यूटी पर थे। हैमशेटे ने अपनी याचिका में कहा कि उनके पति, जिनकी अप्रैल 2021 में मृत्यु हो गई, एक ऐसा कार्य कर रहे थे जो आवश्यक सेवाओं की श्रेणी में आता है।

क्या दिया बॉम्बे HC ने फैसला?

हैमशेटे ने उच्च न्यायालय से राज्य सरकार द्वारा नवंबर 2023 में जारी उनके आवेदन को खारिज करने वाले एप्लीकेशन को रद्द करने की मांग की। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि इस बात पर कोई बहस नहीं हो सकती कि ऐसे मामलों को संवेदनशीलता और सावधानी से निपटाया जाना चाहिए। अदालत ने कहा कि एक तरफ, ऐसे मामलों की गहन जांच की जानी चाहिए, लेकिन दूसरी तरफ, यह ध्यान में रखना होगा कि जो मामले अनुग्रह राशि के रूप में 50 लाख रुपये के भुगतान के लिए योग्य नहीं हैं। उन पर ऐसी रकम के रूप में विचार नहीं किया जा सकता है।

क्यों खारिज की गई याचिका?

अदालत ने कहा कि अगर ऐसे मामलों को लापरवाही से निपटाया जाता है और मुआवजा राशि दी जाती है, तो ऐसे मुआवजे के लिए अयोग्य लोगों को करदाताओं के पैसे से 50 लाख रुपये मिलेंगे। उच्च न्यायालय ने सरकार की इस दलील को स्वीकार कर लिया कि याचिकाकर्ता का पति एक हैंडपंप सहायक था और उसे किसी भी सक्षम प्राधिकारी द्वारा COVID-19 ड्यूटी के लिए नियुक्त नहीं किया गया था।

यह भी पढ़ें: 3 बार रेकी, 5 राउंड फायरिंग; दोनों शूटर ने बनाया था 'भाईजान' के लिए बेहद खतरनाक प्लान; मुंबई पुलिस ने किया खुलासा

यह भी पढ़ें: Maharashtra: पहले चरण में नागपुर समेत इन सीटों पर मुकाबला, कौन से मुद्दे तय करेंगे हार-जीत?


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.