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    'आप तो राज्य का रत्न हैं', महाराष्ट्र विधानसभा ने CJI बीआर गवई को किया सम्मानित

    Updated: Tue, 08 Jul 2025 09:46 PM (IST)

    मुख्य न्यायाधीश भूषण रामचंद्र गवई ने कहा कि भारत के संविधान में रक्तहीन क्रांति लाने की शक्ति है। उन्होंने बाबासाहेब आंबेडकर के संविधान की सर्वोच्चता के विचार पर जोर दिया और न्यायपालिका की स्वतंत्रता की वकालत की। मुख्यमंत्री फडणवीस ने गवई की संविधान के प्रति प्रतिबद्धता की सराहना की। उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने उनकी सामाजिक जागरूकता की प्रशंसा की।

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    महाराष्ट्र विधानसभा ने सीजेआई भूषण रामचंद्र गवई को किया सम्मानित।(फाइल फोटो)

    राज्य ब्यूरो, मुंबई। भारत के मुख्य न्यायाधीश भूषण रामचंद्र गवई ने कहा है कि भारत के संविधान में रक्तहीन क्रांति लाने की शक्ति है। उन्होंने कहा कि बाबासाहेब डॉ.भीमराव आंबेडकर ने संविधान की सर्वोच्चता की बात की थी और उनका मानना था कि न्यायपालिका को कार्यपालिका के हस्तक्षेप से मुक्त होना चाहिए।

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    मुख्य न्यायाधीश गवई ने मंगलवार को अपने गृहराज्य महाराष्ट्र के मुंबई स्थित विधानमंडल के केंद्रीय कक्ष में सम्मानित होने के बाद भारत के संविधान पर व्याख्यान देते हुए कहा कि डॉ. आंबेडकर ने कहा था कि हम सभी संविधान की सर्वोच्चता में विश्वास करते हैं, जो शांति और युद्ध के दौरान देश को एकजुट रखेगा।

    नागरिकों के अधिकारों के प्रहरी के रूप में काम करे न्यायपालिका: सीजेआई

    मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि संविधान लोकतंत्र के तीनों अंगों - कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका को अधिकार देता है। संविधान के अनुसार न्यायपालिका को नागरिकों के अधिकारों के प्रहरी और संरक्षक के रूप में काम करना चाहिए।

    आंबेडकर ने यह भी कहा है कि न्यायपालिका को कार्यपालिका के हस्तक्षेप से मुक्त होना चाहिए और संविधान स्थिर नहीं रह सकता, इसे निरंतर विकसित होते रहना चाहिए। गवई ने कहा कि वह स्वयं को भारतीय संविधान का विद्यार्थी मानते हैं।

    उन्होंने रक्तहीन क्रांति लाने में संविधान के महत्त्व पर बल दिया तथा संविधान निर्माताओं की दूरदर्शिता की प्रशंसा की। गवई ने अपने जीवन के प्रारंभिक वर्षों का उल्लेख करते हुए कहा कि उन्होंने अपने प्रारंभिक वर्ष उस भवन में बिताए, जहां आज उनका सम्मान किया जा रहा है। तब उनके पिता आर.एस. गवई महाराष्ट्र विधानसभा के उपसभापति थे।

    इस अवसर पर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने गवई की पृष्ठभूमि और हाशिए पर पड़े लोगों के अधिकारों के लिए उनके संघर्ष के बारे में बात कहते हुए कहा कि संविधान के प्रति गवई की प्रतिबद्धता और जटिल समस्याओं का समाधान खोजने की उनकी क्षमता की प्रशंसनीय है। फडणवीस ने कहा कि गवई की मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति राज्य के लिए गर्व की बात है और यह देश की न्यायपालिका में राज्य के योगदान को दर्शाता है।

    उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने गवई की सामाजिक जागरूकता और संविधान के प्रति प्रतिबद्धता की प्रशंसा करते हुए कहा कि गवई की उपलब्धि सभी के लिए प्रेरणा है, जबकि उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने गवई के शीर्ष न्यायिक पद पर पदोन्नति को सामाजिक समानता की जीत बताया। विधान परिषद के सभापति राम शिंदे ने कहा कि गवई की उपलब्धि इस बात का प्रमाण है कि प्रतिभा और कड़ी मेहनत किसी को भी सर्वोच्च पदों पर पहुंचा सकती है।

    उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने सीजेआई गवई को "महाराष्ट्र का रत्न" और हाशिए पर पड़े लोगों के लिए न्याय का प्रतीक बताया।

    अंबादास दानवे ने संविधान के प्रति गवई की प्रतिबद्धता की प्रशंसा की

    विधान परिषद में विपक्ष के नेता अंबादास दानवे ने संविधान के प्रति गवई की प्रतिबद्धता की प्रशंसा की और कहा कि जटिल समस्याओं का समाधान खोजने की उनकी क्षमता सभी के लिए प्रेरणास्रोत है। दानवे ने कहा कि गवई की उपलब्धि राज्य के मूल्यों और देश की न्यायपालिका में इसके योगदान का प्रतिबिंब है।

    विपक्षी नेताओं ने विधानसभा में विपक्ष के नेता की लंबित नियुक्ति के मामले में मुख्य न्यायाधीश गवई से हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया है। उन्होंने मुख्य न्यायाधीश गवई को एक पत्र सौंपकर उनसे स्थिति पर ध्यान देने और संवैधानिक प्रावधानों का पालन सुनिश्चित करने का अनुरोध भी किया ।