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    Mumbai Train Blast के दोषी को ऑनलाइन परीक्षा की अनुमति‍ दे सकते हैं क्‍या? बॉम्‍बे HC ने मुंंबई वि‍वि से मांगा जवाब

    By Agency Edited By: Prateek Jain
    Updated: Sun, 12 May 2024 02:16 PM (IST)

    Maharashtra News बॉम्बे हाईकोर्ट ने मुंबई विश्वविद्यालय से जानना चाहा है कि क्या वह 7/11 सिलसिलेवार बम विस्फोट मामले के एक दोषी को कानून की परीक्षा ऑनलाइन देने की अनुमति दे सकता है। न्यायमूर्ति मकरंद कार्णिक और न्यायमूर्ति कमल खाता की खंडपीठ ने शुक्रवार को कहा कि सुरक्षा कारणों से स्थिति यह हो सकती है कि उम्मीदवार मोहम्मद साजिद मरगूब अंसारी को अपनी परीक्षा ऑनलाइन देने की अनुमति दी जाए।

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    बॉम्बे हाईकोर्ट ने मुंबई विश्वविद्यालय से ब्‍लास्‍ट के दोषी को ऑनलाइन एग्‍जाम की अनुमत‍ि पर जवाब मांगा है। (फाइल फोटो)

    पीटीआई, मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने मुंबई विश्वविद्यालय से जानना चाहा है कि क्या वह 7/11 सिलसिलेवार बम विस्फोट मामले के एक दोषी को कानून की परीक्षा ऑनलाइन देने की अनुमति दे सकता है।

    न्यायमूर्ति मकरंद कार्णिक और न्यायमूर्ति कमल खाता की खंडपीठ ने शुक्रवार को कहा कि सुरक्षा कारणों से, स्थिति यह हो सकती है कि उम्मीदवार मोहम्मद साजिद मरगूब अंसारी को अपनी परीक्षा ऑनलाइन देने की अनुमति दी जाए। 11 जुलाई, 2006 को मुंबई में कुछ लोकल ट्रेनों के डिब्बों में सात बम विस्फोट हुए थे, जिनमें 189 लोग मारे गए और 824 अन्य घायल हुए थे।

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    2015 में अंसारी दोषी साबि‍त हुआ था

    सितंबर 2015 में एक विशेष अदालत ने विस्फोट मामले में अंसारी और अन्य को दोषी ठहराया था। अंसारी ने दक्षिण मुंबई में सिद्धार्थ लॉ कॉलेज द्वारा 3 मई से 15 मई तक आयोजित दूसरे सेमेस्टर की कानून परीक्षाओं में शामिल होने की अनुमति मांगी थी।

    अदालत ने तब उसे शारीरिक रूप से परीक्षा में शामिल होने की अनुमति दी थी और नासिक केंद्रीय जेल अधिकारियों को परीक्षा की तारीखों पर उसे कॉलेज ले जाने का निर्देश दिया था। 10 मई को अंसारी ने एक आवेदन देकर कहा कि वह 3 और 9 मई को होने वाले पेपर में शामिल नहीं हो पाएगा।

    अभियोजन पक्ष ने कहा कि नासिक केंद्रीय जेल अधिकारियों द्वारा किए गए वास्तविक प्रयासों के बावजूद, अंसारी को समय पर कॉलेज नहीं ले जाया जा सका। पीठ ने जेल अधीक्षक को 5 जून तक हलफनामा दाखिल कर यह बताने का निर्देश दिया कि देरी क्यों हुई।

    मुबंई विव‍ि के व‍कील ने दी ये दलील

    अदालत ने मुंबई विश्वविद्यालय की ओर से पेश वकील रुई रोड्रिग्स से भी पूछा कि क्या अंसारी को ऑनलाइन परीक्षा में बैठने की अनुमति दी जा सकती है, जिस पर उन्होंने कहा कि ऐसी कोई सुविधा नहीं है।

    हाईकोर्ट ने कहा कि मौजूदा मामले जैसे अजीबोगरीब तथ्यों में, सुरक्षा चिंताओं को ध्यान में रखते हुए, उम्मीदवार को ऑनलाइन मोड के माध्यम से उपस्थित होने की अनुमति दी जा सकती है।

    अदालत ने मुंबई विश्वविद्यालय को ऐसे उम्मीदवारों को ऑनलाइन मोड के माध्यम से उपस्थित होने की अनुमति देने के लिए अपना रुख स्पष्ट करने का निर्देश दिया।

    अदालत ने कहा,

    हम मुंबई विश्वविद्यालय के सक्षम प्राधिकारी से इस पहलू पर गौर करने और एटीएस (महाराष्ट्र आतंकवाद निरोधक दस्ता) सहित सभी संबंधित पक्षों से परामर्श करने के बाद अपना रुख रिकॉर्ड पर रखने का अनुरोध करते हैं।

    पीठ ने विश्वविद्यालय से यह भी बताने को कहा कि क्या अंसारी द्वारा अपने नियंत्रण से बाहर की परिस्थितियों के कारण छूटी दो परीक्षाओं को पुनर्निर्धारित किया जा सकता है। उच्च न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई 10 जून को तय की है। 2015 में अंसारी को कानून की डिग्री पाठ्यक्रम को आगे बढ़ाने के लिए अदालत से अनुमति मिल गई थी।

    2023 में उसे पहले सेमेस्टर की परीक्षा देने की इजाजत मिल थी। उच्च न्यायालय ने अंसारी को दूसरे सेमेस्टर की परीक्षा में बैठने की अनुमति देते हुए कहा कि उसने 17 साल से अधिक समय तक वास्तविक कारावास भुगता है और कारावास के दौरान उसने आगे की शिक्षा हासिल की है। अभियोजन पक्ष ने यह दावा करते हुए उसकी याचिका का विरोध किया कि वह एक उच्च जोखिम वाला कैदी है।