Move to Jagran APP

Bombay High court: शिवसेना पार्षद की हत्या मामले में गैंगस्टर अरुण गवली को उम्रकैद

2008 में शिवसेना पार्षद कमलाकर जामसांडेकर की हत्या मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने गैंगस्टर अरुण गवली को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।

By Babita kashyapEdited By: Published: Mon, 09 Dec 2019 01:59 PM (IST)Updated: Mon, 09 Dec 2019 01:59 PM (IST)
Bombay High court: शिवसेना पार्षद की हत्या मामले में गैंगस्टर अरुण गवली को उम्रकैद
Bombay High court: शिवसेना पार्षद की हत्या मामले में गैंगस्टर अरुण गवली को उम्रकैद

मुंबई, एएनआइ। बॉम्बे हाईकोर्ट ने 2008 में शिवसेना पार्षद कमलाकर जामसांडेकर की  हत्या के मामले में गैंगस्टर अरुण गवली को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। गैंगस्टर गवली को 2012 में दोषी ठहराया गया था। वह 2016 से नागपुर केंद्रीय कारावास में थे। गैंगस्टर गवली शिवसेना पार्षद कमलाकर जामशांडेकर की हत्या मामले में सजा काट रहा था। उसे 2012 में दोषी ठहराया गया था। 

loksabha election banner

गौरतलब है कि अरुण गवली ने अखिल भारतीय सेना नामक पार्टी बनायी थी और 2004 में विधायक चुना गया था। मुंबई के अंडरवल्र्ड डॉन, गैंगस्टर और माफिया नेता अरुण गवली सेंट्रल मुंबई के एक चॉल में रहता था और हमेशा सफेद कुर्ता, टोपी ही पहनता था। 

गवली की सुरक्षा के लिए हमेशा हथियार बंद लोग तैनात रहते थे। पुलिस भी उसकी इजाजत के बिना वहां नही आ सकती थी। मुंबई में 1990 में गैंगवार का काफी बोलबाला था ऐसे में अरुण गवली ही एकमात्र ऐसा गैंगस्टर था जो मुंबई छोड़कर नहीं भागा था। 

क्या है अरुण गवली की कहानी?

अहमदनगर में जुलाई 1955 में जन्मे अरुण गवली के डॉन बनने की कहानी 1970 से शुरू हुई थी। दरअसल मुंबई की एक कपड़े की फैक्ट्री के बंद होने के बाद लाखों की संख्या में मजदूर बेरोजगार हो गये और भूखे मरने लगे उस समय परेशान होने की वजह से चॉल में रहने वाले ये मजदूर अंडरवल्र्ड की चपेट में आने लगे। इन्हीं में से एक नाम अरुण गवली का भी था। पैसे कमाने के लिए गवली भी हफ्ता वसूली करने लगा, धीरे-धीरे और बदमाशों से मिलकर उसने भी एक गैंग बना लिया। 

इसके बाद वो राजनीति में कूद पड़ा और उसने अखिल भारतीय सेना नामक पार्टी भी बनायी और विधायक चुना गया। उसे घमंड हो गया कि अब पुलिस उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकती। 2008 में गवली ने शिवसेना पार्षद कमलाकर की हत्या के लिए 30 लाख रुपये की सुपारी ली और उसका कत्ल करवा दिया। जिसके बाद उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई गयी। जिसे 2012 में हाइकोर्ट ने बरकरार रखा। पहली बार किसी अदालत ने गवली को दोषी मानकर सजा का एलान किया था। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.