'जमानत देते समय अपराध की गंभीरता पर विचार जरूरी', यौन उत्पीड़न मामले पर बॉम्बे HC की सख्त टिप्पणी
यौन उत्पीड़न के आरोप में गिरफ्तार स्कूल बस ड्राइवर ने बॉम्बे हाईकोर्ट में जमानत याचिका दायर की थी। आरोपी ने मांग की थी कि वह मार्च 2023 से जेल में है और दोषी पाए जाने पर उसे दी जाने वाली अधिकतम सजा का एक तिहाई हिस्सा वह पूरा कर चुका है। जमानत को लेकर कोर्ट ने महत्वपूर्णी टिप्पणी की है।

मिड डे, मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक नाबालिग छात्रा के यौन उत्पीड़न के आरोप में गिरफ्तार स्कूल बस ड्राइवर को जमानत देने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि यह अपराध "गंभीर, गंभीर और जघन्य" है। न्यायमूर्ति माधव जामदार की एकल पीठ ने मामले की सुनवाई शीघ्र पूरी करने का भी निर्देश दिया।
न्यायमूर्ति जामदार ने कहा कि आरोपी को बच्चों को सुरक्षित रूप से स्कूल लाने-ले जाने का काम सौंपा गया था। ड्राइवर ने बच्ची का सुनसान जगह पर यौन उत्पीड़न किया। यह गंभीर और जघन्य अपराध है। पीठ ने आरोपी की जमानत याचिका खारिज कर दिया।
जमानत को लेकर कोर्ट ने की महत्वपूर्ण टिप्पणी
अभियोजन पक्ष के अनुसार, आरोपी ने कक्षा 2 की छात्रा का यौन उत्पीड़न किया था। आरोपी ने यह कहते हुए जमानत मांगी कि वह मार्च 2023 से जेल में है और दोषी पाए जाने पर उसे दी जाने वाली अधिकतम सजा का एक तिहाई हिस्सा वह पूरा कर चुका है। न्यायमूर्ति जामदार ने कहा कि लंबी कैद के आधार पर जमानत देते समय भी अदालत को किए गए अपराध की प्रकृति और गंभीरता पर विचार करना होगा।
अदालत ने कहा, "रिकॉर्ड में मौजूद सामग्री से स्पष्ट रूप से पता चलता है कि आवेदक आरोपी एक बहुत ही गंभीर और जघन्य अपराध में शामिल है, जहां आठ साल की बच्ची के साथ यौन उत्पीड़न किया गया है।"
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