Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    बांबे हाई कोर्ट ने मनोज जरांगे पाटिल का मुंबई प्रवेश रोकने से किया इनकार, कहा- सरकार सुनिश्चित करे शहर की सड़कें न हो जाम

    Updated: Thu, 25 Jan 2024 04:30 AM (IST)

    बांबे हाई कोर्ट ने बुधवार को मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे पाटिल को अपने समर्थकों के साथ मुंबई में प्रवेश करने से रोकने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि जरांगे पाटिल के मुंबई में आने पर शहर की सड़कें जाम न हों। दूसरी ओर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने जरांगे पाटिल से आंदोलन न करने की अपील की है।

    Hero Image
    आरक्षण की मांग को लेकर जारंग मुंबई में 26 जनवरी को करेंगे प्रवेश।

    राज्य ब्यूरो, मुंबई। बांबे हाई कोर्ट ने बुधवार को मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे पाटिल को अपने समर्थकों के साथ मुंबई में प्रवेश करने से रोकने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि जरांगे पाटिल के मुंबई में आने पर शहर की सड़कें जाम न हों। दूसरी ओर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने जरांगे पाटिल से आंदोलन न करने की अपील की है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    जस्टिस एएस गडकरी और जस्टिस श्याम चांडक की खंडपीठ ने कहा कि सरकार के पास यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कार्रवाई करने की शक्ति है कि कानून-व्यवस्था बिगड़ने न पाए और शहर की सड़कें अवरुद्ध न हों। जरांगे पाटिल ने सरकारी नौकरियों और शिक्षा में मराठा समुदाय के लिए आरक्षण की मांग पर जोर देने के लिए 20 जनवरी को जालना जिले में अपने गांव अंतरवाली सराटी से मुंबई तक मार्च शुरू किया है। इस मार्च में हजारों लोग शामिल होते जा रहे हैं। मार्च 26 जनवरी को मुंबई में प्रवेश करेगा।

    अदालत ने कहा कि सरकार रास्तों को अवरुद्ध होने से रोकने के लिए सभी आवश्यक उपाय करे और आंदोलनकारियों के शांतिपूर्ण आंदोलन के लिए एक उचित स्थान निर्धारित करने का प्रयास करें। बता दें कि यह आदेश वरिष्ठ वकील गुणरत्न सदावर्ते द्वारा दायर एक याचिका पर पारित किया गया है। सदावर्ते ने ही मराठा कोटा पर महाराष्ट्र सरकार के पहले के फैसले के खिलाफ अदालत का रुख किया था और वह सुप्रीम कोर्ट से मराठा कोटा पर रोक लगवाने में सफल रहे थे। इस बार दायर याचिका में सदावर्ते ने जरांगे के शहर में प्रवेश पर रोक लगाने की मांग करते हुए कहा था कि इससे कानून - व्यवस्था की समस्या खड़ी हो सकती है।

    याचिका पर सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से पेश महाधिवक्ता बीरेंद्र सराफ और लोक अभियोजक हितेन वेनेगांवकर ने कहा कि अगर अदालत उचित समझे तो वह मराठा कार्यकर्ता जरांगे के मार्च को रोक सकती है। सराफ ने कहा कि राज्य लोगों को विरोध प्रदर्शन करने से नहीं रोक सकता। लेकिन यह उस तरीके से नहीं किया जाना चाहिए, जैसा जरांगे ने करने की बात कही है। वह बैलगाड़ियों और ट्रैक्टरों में लाखों लोगों को मुंबई लाना चाहते हैं।

    इसके बाद पीठ ने दिल्ली के शाहीन बाग में विरोध प्रदर्शन से संबंधित मामले में सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश का उल्लेख किया, जिसमें कहा गया था कि सार्वजनिक मार्गों पर इस तरह का कब्जा स्वीकार्य नहीं है। राज्य यह सुनिश्चित करने के लिए उचित उपाय कर सकता है कि सड़कें अवरुद्ध न हों। इसके बाद सराफ ने अदालत को आश्वासन दिया कि सरकार कानून के मुताबिक सभी कदम उठाएगी।

    बता दें कि जरांगे ने घोषणा की है कि प्रदर्शनकारी तब तक दक्षिण मुंबई के आजाद मैदान में बैठे रहेंगे जब तक सरकार उनकी मांगें पूरी नहीं कर देती। शिंदे ने कहा कि पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट मिलते ही वह विधानमंडल का विशेष सत्र बुलाकर मराठा समाज को आरक्षण देने की घोषणा कर देंगे।