Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    बॉम्बे HC ने पेंशन रोकने पर महाराष्ट्र सरकार को लगाई फटकार, कहा- यह है बुनियादी अधिकार, नहीं लगाई जा सकती रोक

    By AgencyEdited By: Mohd Faisal
    Updated: Wed, 22 Nov 2023 03:22 PM (IST)

    बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक व्यक्ति के सेवानिवृत्ति के दो साल से अधिक समय तक बकाया नहीं चुकाने को लेकर महाराष्ट्र सरकार को फटकार लगाई। न्यायमूर्ति जीएस कुलकर्णी और न्यायमूर्ति जितेंद्र जैन की खंडपीठ ने 21 नवंबर को कहा कि इस तरह की स्थिति पूरी तरह से अनुचित है। सेवानिवृत्त कर्मचारियों को इसके भुगतान से वंचित नहीं किया जा सकता है।

    Hero Image
    बॉम्बे HC ने पेंशन रोकने पर महाराष्ट्र सरकार को लगाई फटकार (फाइल फोटो)

    पीटीआई, मुंबई। बॉम्बे हाई कोर्ट ने रिटायर्ड कर्मचारियों के लिए पेंशन को बुनियादी अधिकार बताया। बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा कि पेंशन एक बुनियादी अधिकार है और सेवानिवृत्त कर्मचारियों को इसके भुगतान से वंचित नहीं किया जा सकता है।

    बॉम्बे हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को लगाई फटकार

    बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक व्यक्ति के सेवानिवृत्ति के दो साल से अधिक समय तक बकाया नहीं चुकाने को लेकर महाराष्ट्र सरकार को फटकार लगाई। न्यायमूर्ति जीएस कुलकर्णी और न्यायमूर्ति जितेंद्र जैन की खंडपीठ ने 21 नवंबर को कहा कि इस तरह की स्थिति पूरी तरह से अनुचित है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    जयराम मोरे की याचिका पर HC ने की सुनवाई

    दरअसल, बॉम्बे हाई कोर्ट जयराम मोरे द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिका के मुताबिक, जयराम मोरे ने 1983 से सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय में हमाल (कुली) के रूप में काम करते थे। मोरे ने अपनी याचिका में दावा किया कि विश्वविद्यालय द्वारा राज्य सरकार के संबंधित विभाग को सभी आवश्यक दस्तावेज जमा करने के बावजूद पेंशन का भुगतान नहीं किया जा रहा है।

    मई 2021 में रिटायर्ड हुए थे जयराम मोरे

    इस याचिका पर सुनवाई करते हुए पीठ ने कहा कि मोरे ने सराहनीय और बेदाग सेवा प्रदान की है, लेकिन फिर भी उन्हें मई 2021 में सेवानिवृत्ति के दो साल की अवधि के बाद भी पेंशन का भुगतान नहीं किया गया है। पीठ ने कहा, ‘मौजूदा कार्यवाही की शुरुआत से ही हम सोच रहे थे कि जिसने व्यक्ति ने लंबे समय तक इस तरह से सेवा की हो, क्या वह इस तरह की दुर्दशा का शिकार हो सकता है।'

    पीठ ने सुप्रीम कोर्ट का आदेश का किया जिक्र

    पीठ ने कहा कि रिटायर्ड कर्मचारी को पेंशन के मूल अधिकार से वंचित नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के चार दशक पुराने आदेश का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि पेंशन एक बुनियादी अधिकार है और इसका भुगतान सरकार के विवेक पर निर्भर नहीं करता है और यह नियमों द्वारा शासित होगा।

    पीठ ने कहा कि इस अदालत में बड़ी संख्या में ऐसे मामले आ रहे हैं, जिनमें लोग अपनी पेंशन राशि का भुगतान करने की मांग कर रहे हैं। ऐसा लगता है कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश वास्तविक भावना के साथ लागू करने के बजाए भुला दिया गया है।

    यह भी पढ़ें- Bombay High Court: 'अपराध के शिकार पीड़ितों को मुआवजा दिलाना अदालतों का कर्तव्य', बॉम्बे हाई कोर्ट ने की टिप्पणी

    सरकार ने दी हाई कोर्ट में जानकारी

    हाई कोर्ट ने अपने पहले के आदेश में कहा था कि मोरे को तीन साल तक पीड़ा झेलनी पड़ी है और सरकार को चार सप्ताह के भीतर पेंशन लाभ जारी करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने का निर्देश दिया था। हालांकि, सरकार की ओर से पीठ को बताया गया है कि मोरे की बकाया पेंशन जारी कर दी गई है और उन्हें मिल भी गई है।

    यह भी पढ़ें- DGCA ने एयर इंडिया पर लगाया 10 लाख रुपए का वित्तीय जुर्माना, 3 नवंबर को जारी किया गया था कारण बताओ नोटिस