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    Bombay High Court: बॉम्बे HC ने नाबालिग दुष्कर्म पीड़िता को गर्भपात की अनुमति देने से किया इनकार, जानें वजह

    By Jagran NewsEdited By: Babli Kumari
    Updated: Wed, 28 Jun 2023 08:39 AM (IST)

    Bombay High Court बॉम्बे हाईकोर्ट ने 15 वर्षीय दुष्कर्म पीड़िता को 28 सप्ताह के गर्भ को गिराने की अनुमति देने से इनकार कर दिया है। हाईकोर्ट ने इस फैसले में डॉक्टरों के सुझाव का हवाला दिया। 15 साल की दुष्कर्म पीड़िता के मेडिकल परीक्षण के बाद डॉक्टरों ने राय दी कि इस चरण में जबरन प्रसव कराने पर भी बच्चा जीवित पैदा होगा।

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    बॉम्बे HC ने नाबालिग दुष्कर्म पीड़िता को गर्भपात की अनुमति देने से किया इनकार

    मुंबई, ऑनलाइन डेस्क। बॉम्बे हाईकोर्ट ने 15 वर्षीय 'दुष्कर्म पीड़िता' को 28 सप्ताह के गर्भ को गिराने की अनुमति देने से इनकार कर दिया है। हाईकोर्ट ने इस फैसले में डॉक्टरों के सुझाव का हवाला दिया। 15 साल की दुष्कर्म पीड़िता के मेडिकल परीक्षण के बाद डॉक्टरों ने राय दी कि इस चरण में जबरन प्रसव कराने पर भी बच्चा जीवित पैदा होगा।

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    मेडिकल बोर्ड ने लड़की की जांच के बाद हाईकोर्ट को बताया था कि अभी प्रेग्नेंसी खत्म करने पर जो बच्चा पैदा होगा उसमें समस्याएं आ सकती हैं। बच्चा पूरी तरह विकसित नहीं हो पाएगा और जन्म के बाद उसे केयर यूनिट में रखना होगा। इसमें लड़की की जान को भी खतरा होगा।

    पीड़िता की मां ने  गर्भ गिराने को लेकर की थी याचिका

    नाबालिग दुष्कर्म पीड़िता की मां की ओर से दाखिल याचिका में उन्होंने अपनी बेटी के 28 हफ्ते के गर्भ को गिराने की अनुमति मांगी थी। याचिका में मां की ओर से कहा गया कि उनकी बेटी फरवरी में लापता हो गई थी और तीन महीने बाद राजस्थान में मिली थी। जहां एक शख्स ने उसके साथ दुष्कर्म किया, जिससे वो गर्भवती हो गई थी। आरोपी शख्स के खिलाफ पॉक्सो अधिनियम (POCSO Act) के तहत मामला दर्ज किया गया था। वहीं, लड़की अपने परिवार के पास लौट आई थी।

    हाईकोर्ट ने कहा, "अगर किसी भी मामले में बच्चा पैदा होने वाला है और प्राकृतिक प्रसव सिर्फ 12 हफ्ते दूर है तो हमारा मानना ​​है कि बच्चे के स्वास्थ्य और उसके शारीरिक-मानसिक विकास पर विचार करने की जरूरत है।"

    बच्चे को अनाथालय में देने को आजाद होगी नाबालिग- बॉम्बे HC

    बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि जब आज भी एक जीवित बच्चा पैदा होने वाला है तो हम बच्चे को 12 हफ्ते के बाद और चिकित्सकीय सलाह के तहत पैदा होने दे सकते हैं। अगर बाद में याचिकाकर्ता बच्चे को अनाथालय में देना चाहती है तो उसे ऐसा करने की आजादी होगी। हाईकोर्ट ने कहा कि अगर बच्चा अच्छी तरह से विकसित है और स्वाभाविक रूप से पूर्ण अवधि के बच्चे के रूप में पैदा हुआ है तो कोई विकृति नहीं होगी और गोद लेने की संभावना बढ़ जाएगी।