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    Maharashtra: कालिदास कोलंबकर बने प्रोटेम स्पीकर; कभी बाल ठाकरे के थे खास, फिर कैसे फडणवीस के हो गए कायल?

    कालिदास कोलंबकर को महाराष्ट्र की 15वीं विधानसभा का प्रोटेम स्पीकर बनाया गया है। शुक्रवार को राजभवन में राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने उन्हें शपथ दिलाई। कोलंबकर नई विधानसभा के सबसे वरिष्ठ सदस्य हैं। वह वडाला सीट से नौवीं बार विधायक चुने गए थे। कोलंबकर ने अपनी सियासी पारी की शुरुआत शिवसेना से की थी। तब वह बाल ठाकरे के बेहद करीबी थे।

    By Jagran News Edited By: Swaraj Srivastava Updated: Fri, 06 Dec 2024 06:30 PM (IST)
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    राज्यपाल ने कालिदास कोलंबकर को प्रोटेम स्पीकर की दिलाई शपथ (फोटो: पीटीआई)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। महाराष्ट्र के नए मु्ख्यमंत्री का शपथ ग्रहण पूरा हो गया है। मुंबई के आजाद मैदान में देवेंद्र फडणवीस की शपथ के बाद अब विधानसभा में स्पीकर का चुनाव होना है।

    इसके लिए महाराष्ट्र विधानसभा का तीन दिवसीय विशेष सत्र बुलाया गया है। इसी क्रम में शुक्रवार को भाजपा विधायक कालिदास कोलंबकर ने प्रोटेम स्पीकर के रूप में शपथ ली। 70 वर्षीय कोलंबकर 9 बार के विधायक हैं और नई विधानसभा के सबसे वरिष्ठ सदस्य होंगे।

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    महाराष्ट्र विधानसभा के तीन दिवसीय विशेष सत्र के दौरान 288 विधायकों को सदन में शपथ दिलाई जाएगी। इस जिम्मेदारी को बतौर प्रोटेम स्पीकर कालिदास कोलंबकर पूरा करेंगे। इसी दौरान विधानसभा के लिए स्पीकर का चुनाव भी होना है।

    कौन हैं कालिदास कोलंबकर?

    23 नवंबर को जब महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के वोटों की गिनती हो रही थी, तब भाजपा के खाते में जो पहली सीट आई थी, वह कालिदास कोलंबकर की ही थी। कोलंबकर की वडाला सीट पर काफी गहरी पकड़ मानी जाती है।

    9वीं बार विधायक चुने गए कालिदास

    (फोटो: @KalidasKolambkr)

    ये उनकी नौवीं जीत थी। उन्होंने इस बार शिवसेना (यूबीटी) के उम्मीदवार श्रद्धा जाधव को 24, 973 वोटों से हराया था। कोलंबकर पहली बार 1990 में शिवसेना के टिकट पर वडाला सीट (पहले नएगांव) से विधायक चुने गए थे।

    जानकार कहते हैं कि कोलंबकर की लोकप्रियता और संगठन पर उनकी पकड़ ने उन्हें बाल ठाकरे का खास बना दिया। लेकिन ये ज्यादा समय तक चल नहीं पाया। 2005 में कालिदास ने नारायण राणे के साथ शिवसेना छोड़ दी और कांग्रेस में शामिल हो गए।

    फडणवीस ने दिया था आश्वासन

    कोलंबकर कांग्रेस में करीब 14 साल तक रहे। लेकिन धीरे-धीरे उनकी नजदीकियां भाजपा से बढ़ने लगीं। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस वडाला के विकास पर ध्यान नहीं दे रही है और क्षेत्र में डेवलपमेंट के कई काम अटके पड़े हैं।

    इसी बीच 2019 की एक रोज तत्कालीन डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस से उनकी मुलाकात हुई। फडणवीस ने उन्हें आश्वासन दिया कि वह सभी अटके कामों को जल्द से जल्द पूरा कराएंगे। इस आश्वासन पर कालिदास कोलंबकर ने भाजपा का दामन थाम लिया।

    शिवसेना से की थी सियासी पारी की शुरुआत

    (फोटो: @KalidasKolambkr)

    अपने लंबे सियासी करियर में कालिदास ने वडाला की सीट पर जीत बरकरार रखी, भले ही वह किसी भी पार्टी में रहे हों। अब भाजपा ने उन्हें प्रोटेम स्पीकर के तौर पर नई जिम्मेदारी दी है। राजभवन में उनके शपथ के दौरान सीएम फडणवीस, मुख्य सचिव सुजाता सौनिक उपस्थित रहे।

    क्या होता है प्रोटेम स्पीकर?

    लैटिन का एक वाक्य है- Pro Tempore, जिसका मतलब होता है- अस्थायी या कुछ समय के लिए। Pro Tempore का ही संक्षिप्त रूप प्रोटेम है। अब जैसा कि नाम से स्पष्ट है कि प्रोटेम स्पीकर का चयन अस्थायी रूप से होता है।

    संविधान के अनुच्छेद 180 में इस बात का जिक्र है कि गवर्नर विधानसभा के संचालन के लिए किसी व्यक्ति की नियुक्ति कर सकता है, जो स्पीकर के तौर पर अस्थायी रूप से कार्य करेगा। प्रोटेम स्पीकर का कार्यकाल सिर्फ तब तक के लिए ही होता है, जब तक स्थायी स्पीकर का चयन नहीं हो जाता।

    प्रोटेम स्पीकर के कार्यों में नव निर्वाचित सदस्यों को शपथ दिलाना, स्पीकर का चुनाव कराना, सदन में फ्लोर टेस्ट कराना और स्थायी स्पीकर चुने जाने तक सदन की गतिविधियों को सुचारू रूप से चलाना होता है।

    कोलंबकर को 2019 में भी प्रोटेम स्पीकर बनाया गया था। आपको बता दें कि महाराष्ट्र की 15वीं विधानसभा का तीन दिवसीय विशेष सत्र 7 दिसंबर से शुरू होगा। वहीं 9 दिसंबर को विधानसभा के स्पीकर का चुनाव होना है।