Badlapur Encounter: 'न्याय न केवल किया जाना चाहिए, बल्कि...', कोर्ट का आदेश- पांच पुलिसकर्मियों के खिलाफ दर्ज हो एफआईआर
बदलापुर स्कूल यौन उत्पीड़न मामले में सुनवाई करते हुए बॉम्बे उच्च न्यायालय ने कहा कि आरोपी अक्षय शिंदे की हिरासत में मौत के लिए जिम्मेदार पांच पुलिसकर्मियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करे। अदालत ने कहा कि मजिस्ट्रेट की रिपोर्ट के अवलोकन के बाद हम इस बात से संतुष्ट हैं कि हिरासत में हुई मौत (शिंदे की) की गहन जांच की आवश्यकता है।
मिड डे, मुंबई। बदलापुर स्कूल यौन उत्पीड़न मामले के आरोपी की हिरासत में मौत को मामले को लेकर आज (07 अप्रैल) बॉम्बे उच्च न्यायालय में सुनवाई हुई। कोर्ट ने कहा कि आरोपी अक्षय शिंदे की हिरासत में मौत के लिए जिम्मेदार पांच पुलिसकर्मियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करे।
कोर्ट ने एक विशेष जांच दल गठित करने का दिया आदेश
न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति नीला गोखले की खंडपीठ ने पुलिस की अपराध शाखा के संयुक्त आयुक्त को मामले की जांच के लिए एक विशेष जांच दल गठित करने का निर्देश दिया।
अदालत ने कहा, "मजिस्ट्रेट की रिपोर्ट के अवलोकन के बाद हम इस बात से संतुष्ट हैं कि हिरासत में हुई मौत (शिंदे की) की गहन जांच की आवश्यकता है, क्योंकि उसकी मौत पुलिस द्वारा चलाई गई गोली के कारण हुई थी।"
'कोर्ट को एसआईटी पर भरोसा है'
पीठ ने कहा, "न्याय न केवल किया जाना चाहिए, बल्कि ऐसा प्रतीत होना चाहिए कि न्याय हुआ है। हमें उम्मीद है और भरोसा है कि एसआईटी साजिश का पर्दाफाश करेगी। पुलिस अधिकारियों का कर्तव्य है कि वे कानून के प्रावधानों का पालन करें और यह सुनिश्चित करें कि जांच की जाए और जब प्रथम दृष्टया अपराध का खुलासा हो तो उसे तार्किक निष्कर्ष तक पहुंचाया जाए।
अदालत ने पुलिस के अपराध शाखा के संयुक्त आयुक्त को पुलिस उपायुक्त की निगरानी में एक विशेष जांच दल गठित करने और एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया। अदालत ने सरकार के वकील अमित देसाई द्वारा मांगे गए अपने आदेश पर स्थगन देने से भी इनकार कर दिया।
क्या है पूरा मामला?
बता दें कि ठाणे जिले के बदलापुर स्थित एक स्कूल में दो नाबालिग लड़कियों के यौन उत्पीड़न के मामले में अक्षय शिंदे को गिरफ्तार किया गया था। पुलिस हिरासत के दौरान आरोपी शिंदे की 23 सितंबर 2024 को पुलिस द्वारा कथित तौर पर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी, जब उसे तलोजा जेल से कल्याण ले जाया जा रहा था।
मजिस्ट्रेट की जांच रिपोर्ट में पांच पुलिसकर्मियों को दोषी ठहराया गया था और उन्हें हिरासत में हुई मौत के लिए जिम्मेदार ठहराया गया था। रिपोर्ट में कहा गया है कि शिंदे के माता-पिता के दावे में दम है कि यह एक फर्जी मुठभेड़ थी।
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