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    जहां औरंगजेब की कब्र पर छिड़ा विवाद, वहां बढ़ी उर्दू में रामायण और महाभारत किताब की मांग; क्यों खरीद रहे लोग?

    Updated: Sat, 05 Apr 2025 03:29 PM (IST)

    छत्रपति संभाजी नगर में मिर्जा कय्यूम नदवी की किताबों की दुकान पर उर्दू में रामचरित मानस और रामायण के संस्करण बिक रहे हैं। मिर्जा कय्यूम 30 से अधिक पुस्तकालय चला रहे हैं जहां बच्चों को पढ़ने की आदत डाली जा रही है। इसके अलावा देहाती पुस्तक भंडार उर्दू में सनातनी ग्रंथों का प्रकाशन कर रहा है जो अब भी हरिद्वार और जम्मू जैसे स्थानों पर बिकते हैं।

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    उर्दू में बिक रहे हैं रामायण और महाभारत (फाइल फोटो)

    जेएनएन, मुंबई। महाराष्ट्र का छत्रपति संभाजी नगर (पूर्व नाम औरंगाबाद) इन दिनों औरंगजेब की कब्र के कारण चर्चा में है, लेकिन यहां उर्दू में रामचरित मानस और रामायण के संस्करण भी बिक्री में हैं। उर्दू जाननेवाले लोग भी प्रभु राम के जीवन को समझने के लिए इन धार्मिक ग्रंथों को खरीद रहे हैं।

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    मिर्जा अब्दुल कय्यूम नदवी की किताबों की दुकान

    छत्रपति संभाजी नगर की कैसर कालोनी में मिर्जा अब्दुल कय्यूम नदवी पिछले 20 सालों से मिर्जा वर्ल्ड बुक हाउस नाम से किताबों की दुकान चला रहे हैं। उनकी दुकान में उर्दू में गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित रामचरित मानस और महर्षि वाल्मीकि की रामायण के संस्करण उपलब्ध हैं।

    मिर्जा कय्यूम अपनी बेटी मरियम मिर्जा की प्रेरणा से 30 से अधिक छोटे पुस्तकालय भी चला रहे हैं, जहां बच्चों को पढ़ने की आदत डाली जा रही है।

    सनातनी धार्मिक ग्रंथों का उर्दू में वितरण

    मिर्जा कय्यूम के पास उर्दू में महाभारत, श्री विष्णु महापुराण, श्री शिवपुराण, ऋग्वेद और श्रीमद्भगवतगीता जैसे ग्रंथ भी बिकते हैं। वह बताते हैं कि उनके पास दाराशिकोह द्वारा फारसी में अनूदित 50 उपनिषदों का सेट भी उपलब्ध है।

    इसके अलावा, उन्होंने 25 उर्दू विद्यालयों के पुस्तकालयों को सनातनी धार्मिक ग्रंथों का सेट तैयार कर दिया है। इन ग्रंथों की बिक्री उनके शहर से बाहर भी हो रही है और वो इंटरनेट पर इनका प्रचार भी करते रहते हैं।

    देहाती पुस्तक भंडार द्वारा उर्दू में सनातनी ग्रंथों का प्रकाशन

    देहाती पुस्तक भंडार, जो सनातनी ग्रंथों का उर्दू में प्रकाशन करता है करीब 90 वर्षों से इन पुस्तकों का वितरण कर रहा है। इसके संस्थापक धूमीमल अग्रवाल ने सनातनी धार्मिक पुस्तकों को उर्दू में प्रकाशित करने का निर्णय लिया था, ताकि उर्दू जाननेवाले लोग भी इन्हें पढ़ सकें।

    अब उनके पौत्र विकास अग्रवाल इन पुस्तकों का प्रकाशन और वितरण करते हैं। हालांकि, अब उर्दू जाननेवालों की संख्या में कमी आई है फिर भी ये किताबें हरिद्वार और जम्मू जैसे स्थानों पर अच्छी संख्या में बिकती हैं।

    इस तरह, छत्रपति संभाजी नगर में उर्दू में सनातनी ग्रंथों की बिक्री एक नई दिशा में बढ़ रही है और लोग धार्मिक ग्रंथों के माध्यम से भारतीय संस्कृति और इतिहास को जानने की कोशिश कर रहे हैं।

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