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    Maharashtra: एटीएस ने मनसुख हिरेन प्रकरण सुलझाने का किया दावा

    By Sachin Kumar MishraEdited By:
    Updated: Sun, 21 Mar 2021 08:35 PM (IST)

    Maharashtra एटीएस के डीआइजी शिवदीप वामनराव लांडे ने अपनी फेसबुक पोस्ट में अपने एटीएस के साथियों को बधाई देते हुए लिखा कि अति संवेदनशील मनसुख हिरेन हत् ...और पढ़ें

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    एटीएस ने मनसुख हिरेन प्रकरण सुलझाने का किया दावा। फाइल फोटो

    मुंबई, राज्य ब्यूरो। Maharashtra: महाराष्ट्र एटीएस के डीआइजी शिवदीप वामन राव लांडे ने दावा किया कि मनसुख हिरेन की संदिग्ध मौत का मामला सुलझा लिया गया है। इस मामले में रविवार को दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है। एक दिन पहले ही इस मामले की भी जांच केंद्र सरकार एनआइए को सौंप चुकी है। एटीएस के डीआइजी शिवदीप वामनराव लांडे ने अपनी फेसबुक पोस्ट में अपने एटीएस के साथियों को बधाई देते हुए लिखा कि अति संवेदनशील मनसुख हिरेन हत्या की गुत्थी सुलझ गई है। मैं अपने एटीएस पुलिस फोर्स के सभी साथियों को दिल से सैल्यूट करता हूं, जिन्होंने पिछले कई दिनों से रात-दिन एक करके इस केस में न्यायपूर्ण तरीके से परिणाम निकाला। ये केस मेरे पुलिस कैरियर का अब तक के सबसे जटिल केसों में से एक रहा है।

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    ठाणे एटीएस ने इस मामले में दो लोगों को गिरफ्तार किया है। इनमें से एक नरेश रमणीक लाल गोर क्रिकेट का बुकी, तो दूसरा विनायक बाला साहब शिंदे महाराष्ट्र पुलिस का एक सजायाफ्ता कांस्टेबल है। विनायक को इससे पहले मुंबई के लखन भैया फर्जी एनकाउंटर मामले में सजा हो चुकी है। इन दिनों पैरोल पर जेल से बाहर विनायक शिंदे एनकाउंटर स्पेशलिस्ट इंस्पेक्टर प्रदीप शर्मा व सचिन वाझे का करीबी रहा है। एटीएस की ओर से जारी प्रेसनोट में कहा गया कि नरेश गोर ने इस अपराध के लिए पांच बेनामी सिमकार्ड इस मामले के मुख्य आरोपित सचिन वाझे व विनायक शिंदे को उपलब्ध कराए थे। एटीएस ने गिरफ्तारी के बाद नरेश व विनायक दोनों को ठाणे की अदालत में पेश किया था। कोर्ट ने दोनों को 30 मार्च तक पुलिस रिमांड पर भेज दिया है। शनिवार को एटीएस ने सचिन वाझे की भी रिमांड मांगी थी। कोर्ट ने 25 मार्च के बाद वाझे को एटीएस की हिरासत में देने की बात कही है। फिलहाल वाझे अंटीलिया मामले में एनआईए की हिरासत में है।

    25 फरवरी को उद्योगपति मुकेश अंबानी के घर के निकट एक स्कार्पियो कार में विस्फोटक जिलेटिन की 20 छड़ें पाए जाने के बाद इस मामले की शुरूआत हुई थी। करीब एक सप्ताह बाद ही इस स्कार्पियो के कथित मालिक मनसुख हिरेन का शव ठाणे में ही एक समुद्री खाड़ी में पाया गया था। विपक्षी दल भाजपा के हंगामे के बाद राज्य सरकार ने इस मामले की जांच ठाणे एटीएस को सौंप दी थी। एटीएस ने आईपीसी की धाराओं 302, 201, 120 (बी) व 34 के तहत प्राथमिकी दर्ज करके जांच शुरू की थी। मनसुख हिरेन की पत्नी विमला हिरेन की ओर से लिखाई गई प्राथमिकी में हत्या का शक तत्कालीन सीआयू के प्रमुख सचिन वाझे पर जताया गया था।

    एटीएस तभी से इस मामले की जांच कर रही है। चूंकि अंटीलिया के बाहर मिली स्कार्पियो व मनसुख हत्याकांड का एक-दूसरे से गहरा संबंध है, इसलिए विपक्ष लगातार इन दोनों मामलों की जांच केंद्रीय एजेंसी एनआईए से कराने की मांग कर रहा था। दो दिन पहले ही एनआइए के अधिकारियों ने मुंबई के नए पुलिस आयुक्त हेमंत नगराले से मुलाकात कर अंटीलिया प्रकरण एवं मनसुख प्रकरण की चर्चा की थी। माना जा रहा था कि उसी समय नए पुलिस आयुक्त ने भी मनसुख प्रकरण की जांच एनआइए को सौंपने के प्रति सहमति जता दी थी। शनिवार को केंद्र सरकार ने इस मामले की जांच एनआइए को सौंप दी है। इस बीच, दो गिरफ्तारियों को एटीएस अपने स्तर पर बड़ी सफलता मान रही है। इस मामले में आगे की जांच एनआइए ही आगे बढ़ाएगी।