भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग पर असम का विज्ञापन महाराष्ट्र में बना राजनीतिक मुद्दा, सुप्रिया सुले ने भी भाजपा को घेरा
असम सरकार का एक विज्ञापन महाराष्ट्र में राजनीतिक मुद्दा बनता दिखाई दे रहा है। इस विज्ञापन में भारतवर्ष के छठे ज्योतिर्लिंग भीमशंकर को कामरूप के डाकिनी पहाड़ पर स्थित बताया गया है। इस विज्ञापन ने महाराष्ट्र में राजनीतिक उबाल ला दिया है।

ओमप्रकाश तिवारी, मुंबई। देश भर के प्रमुख समाचार पत्रों में दिया गया असम सरकार का एक विज्ञापन महाराष्ट्र में राजनीतिक मुद्दा बनता दिखाई दे रहा है। मंगलवार को प्रकाशित इस विज्ञापन में भारतवर्ष के छठे ज्योतिर्लिंग भीमशंकर को कामरूप के डाकिनी पहाड़ पर स्थित बताया गया है। जबकि देश के लोग वर्षों से भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने महाराष्ट्र के पुणे जिले में आते रहे हैं।
मंगलवार को समाचार पत्रों में प्रकाशित पूर्ण पृष्ठ के इस विज्ञापन ने महाराष्ट्र में राजनीतिक उबाल ला दिया है। इस विज्ञापन में असम के मुख्यमंत्री डॉ.हिमंत विश्व शर्मा भक्तों का स्वागत करते दिखाई दे रहे हैं। विपक्षी दल इसी बहाने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री को घेरने की कोशिश में लग गए हैं।
संजय राउत ने असम हिमंत विश्व शर्मा पर कसा तंज
शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा है कि हमारे मुख्यमंत्री का असम और कामाख्या देवी से विशेष लगाव है। देखते हैं, वह इस पर क्या कहते हैं ! राउत का इशारा मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे द्वारा पिछले वर्ष जून में शिवसेना से बगावत के बाद अपने समर्थक करीब 50 विधायकों के साथ असम की राजधानी गुवाहाटी के एक पांचसितारा होटल में ठहरने एवं उसी दौरान मां कामाख्या देवी के दर्शन की ओर है।
राकंपा की सांसद सुप्रिया सुले ने भी यह कहकर सरकार को घेरने की कोशिश की है कि अब भाजपा उद्योगों के साथ-साथ महाराष्ट्र की सांस्कृतिक विरासतों को भी यहां से खींचकर ले जाना चाहती है। प्रदेश कांग्रेस महासचिव सचिन सावंत ने भी इसी लाइन पर सरकार को घेरते हुए कहा कि उद्योग छोड़िए, अब तक भाजपा भगवान शिव को भी महाराष्ट्र से खींचकर ले जाना चाहती है। शिंदे और फडणवीस को इस पर जवाब देना चाहिए।
महाराष्ट्र में धार्मिक स्थल को लेकर पहले भी हो चुका है विवाद
मुख्यमंत्री शिंदे पर अक्सर तंज कसनेवाले शिवसेना के युवा नेता आदित्य ठाकरे ने भी कहा है कि यह गंभीर बात है कि अब वे महाराष्ट्र की भावनाओं को भी ठेस पहुंचा रहे हैं। असम में भी ज्योतिर्लिंग हो सकता है। हम उसका सम्मान करते हैं। लेकिन महाराष्ट्र को हमेशा ठेस पहुंचाकर उसे उत्तेजित करना कतई सहन नहीं किया जाएगा।
दरअसल यह पहला अवसर नहीं है, जब महाराष्ट्र में मान्य किसी धार्मिक स्थल पर किसी अन्य राज्य द्वारा दावा ठोका गया हो। इससे पहले महाराष्ट्र के ही त्र्यंबकेश्वर स्थित अंजनेरी पहाड़ी पर हनुमान जी के जन्म को लेकर विवाद खड़ा हो चुका है। तब कर्नाटक के किष्किंधा क्षेत्र से नासिक आए महंत गोविंद दास ने यह दावा किया था कि हनुमान जी का जन्मस्थान कर्नाटक के किष्किंधा में था।
असम सरकार द्वारा भीमाशंकर पर किया जा रहा दावा
उन्होंने नासिक के संतों को चुनौती दी थी कि वे शास्त्रों के आधार पर सिद्ध करें कि भगवान हनुमान का जन्मस्थान त्र्यंबकेश्वर स्थित अंजनेरी पर्वत ही है। अब असम सरकार द्वारा भीमाशंकर पर दावा किया जा रहा है। जबकि पुणे की भीमा नदी के किनारे ऊंची पर्वत श्रृंखला पर स्थित अति प्राचीन भीमाशंकर मंदिर के बारे में यहां के पुजारी महेश गावंडे कहते हैं कि द्वादश ज्योतिर्लिंग के बारे में आदि शंकराचार्य जो श्लोक लिख गए हैं, उससे स्पष्ट है कि पुणे का भीमाशंकर मंदिर ही ज्योतिर्लिंग है। इसके बारे में अनेक प्रमाण पुराणों में भी मिलते हैं।
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