एकनाथ शिंदे के साथ दलित नेता जोगेंद्र कवाड़े का आना, उद्धव गुट के 'शिवशक्ति-भीमशक्ति' नारे की माना जा रहा काट
आंबेडकरवादी आंदोलन से ही जुड़े दूसरे प्रमुख नेता प्रोफेसर जोगेंद्र कवाड़े का मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के साथ आना उद्धव गुट के शिवशक्ति-भीमशक्ति के नारे की काट माना जा रहा है। उन्होंने मुख्यमंत्री शिंदे के साथ एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए एक बयान जारी किया।
मुंबई, राज्य ब्यूरो। महाराष्ट्र के प्रमुख दलित नेता जोगेंद्र कवाड़े ने शिवसेना का एकनाथ शिंदे गुट (बालासाहेबांची शिवसेना) के साथ आने की घोषणा की है। यह घोषणा उन्होंने बुधवार को मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के साथ एक संवाददाता सम्मेलन में की। पिछले कुछ दिनों से आंबेडकरवादी आंदोलन से जुड़े प्रमुख नेता एवं डा.भीमराव आंबेडकर के पौत्र प्रकाश आंबेडकर के शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट (शिवसेना उद्धव बालासाहब ठाकरे) के साथ आने की चर्चा गर्म है।
आंबेडकरवादी आंदोलन से ही जुड़े दूसरे प्रमुख नेता
इसलिए, आंबेडकरवादी आंदोलन से ही जुड़े दूसरे प्रमुख नेता प्रोफेसर जोगेंद्र कवाड़े का मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के साथ आना उद्धव गुट के 'शिवशक्ति-भीमशक्ति' के नारे की काट माना जा रहा है। उन्होंने मुख्यमंत्री शिंदे के साथ एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए एक बयान जारी किया। इसमें कहा गया है कि शिव, साहू, फुले और डा. आंबेडकर का सामाजिक परिवर्तन का नारा ही उनके गठबंधन का वैचारिक आधार है।
उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र के विकास एवं समाज के सभी वर्गों को अधिकार दिलाने के लिए मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे प्रतिबद्ध नजर आते हैं। इसलिए, हम उनके साथ आए हैं। प्रोफेसर कवाड़े के अनुसार, उन्होंने मुख्यमंत्री शिंदे से चुनाव में अपनी पार्टी पीपुल्स रिपब्लिकन पार्टी (पीआरपी) के लिए 41 सीटों की मांग की है, जिस पर मुख्यमंत्री का रुख सकारात्मक है। प्रोफेसर कवाड़े 1998-99 में एक बार महाराष्ट्र की चिमुर लोकसभा सीट से सांसद एवं एक बार विधान परिषद के सदस्य रह चुके हैं।
महाराष्ट्र के नवबौद्ध दलितों की अच्छी पैठ
महाराष्ट्र के नवबौद्ध दलितों के एक वर्ग में उनकी अच्छी पैठ मानी जाती है। बता दें कि महाराष्ट्र में दलितों की आबादी लगभग 12 प्रतिशत है। इनमें छह प्रतिशत दलित नवबौद्ध हैं। इस वर्ग ने 14 अक्टूबर, 1956 को डा. भीमराव आंबेडकर के साथ नवबौद्ध की दीक्षा ग्रहण की थी। लेकिन, उनके निधन के बाद उनके द्वारा स्थापित राजनीतिक दल रिपब्लिकन पार्टी आफ इंडिया के सभी प्रमुख नेता अधिक समय तक एक साथ नहीं रह सके। वे अलग-अलग गुटों में बंटते गए।
1990 आते-आते सभी रिपब्लिकन नेताओं ने अपने पृथक गुट बना लिए और अपनी सुविधानुसार बड़े राजनीतिक दलों से गठबंधन करने लगे।ऐसे ही गुटों में से एक रिपब्लिकन पार्टी आफ इंडिया (आठवले) का गठबंधन 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद से भाजपा के साथ है। डा. भीमराव आंबेडकर के पौत्र प्रकाश आंबेडकर की पार्टी वंचित बहुजन आघाड़ी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआइएमआइएम से गठबंधन किया।
वोट बैंक की राजनीती
लेकिन, इसका लाभ सिर्फ ओवैसी को मिला और उनकी पार्टी औरंगाबाद की लोकसभा सीट जीत गई। लेकिन बदले में मुस्लिमों के वोट प्रकाश आंबेडकर को नहीं मिले। वह सोलापुर और अकोला दो स्थानों से चुनाव लड़े और दोनों सीटें हार गए। कुछ दिनों से उनके शिवसेना उद्धव गुट से हाथ मिलाने की चर्चा चल रही है। इसी प्रकार एक और आंबेडकरवादी नेता प्रोफेसर जोगेंद्र कवाड़े पिछले कुछ दिनों से हाशिए पर नजर आ रहे थे। अब उन्होंने अपनी पीआरपी का गठबंधन शिवसेना के एकनाथ शिंदे गुट के साथ करने का फैसला किया है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।