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2008 मालेगांव बम विस्‍फोट मामले में सुनवाई के दौरान पलटा एक और गवाह, अब तक 24 बयान से मुकरे

Malegaon Blast 2008 मालेगांव बम विस्‍फोट मामले में 23 अगस्‍त को हुई सुनवाई के दौरान एक और गवाह अपने बयान से पलट गया। इस मामले में अब तक 24 गवाह अपने बयान से मुकर चुके हैं।ये घटना 29 सितंबर 2008 की रात को हुई थी।

By Babita KashyapEdited By: Published: Wed, 24 Aug 2022 10:37 AM (IST)Updated: Wed, 24 Aug 2022 10:37 AM (IST)
2008 Malegaon blast: 2008 के मालेगांव बम विस्‍फोट मामले का एक और गवाह अपने बयान से मुकर गया।

मुंबई, एजेंसी। 2008 Malegaon Blast Case : 2008 के मालेगांव बम विस्‍फोट मामले की सुनवाई के दौरान एक और गवाह मंगलवार को विशेष एनआइए कोर्ट के समक्ष मुकर गया। समाचार एजेंसी एएनआइ के मुताबिक 23अगस्‍त को अदालत में पेश हुए गवाह ने बयान देने से इनकार कर दिया।

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गवाही देने वाला शख्‍स आरोपी सुधाकर चतुर्वेदी (Sudhakar Chaturvedi) का मकान मालिक था जिसके यहां 2006-07 में कुछ समय के लिए वह रहा था। इस मामले में वह 24वें गवाह है जो अपने बयान से मुकर गए।

-2008 में मालेगांव विस्फोट मामले में एक आरोपी को कथित रूप से गोला-बारूद बेचने वाला एक लाइसेंसी हथियार डीलर 29 जून, 2022 को सुनवाई के दौरान मुकर गया था। गवाह ने कथित तौर पर मामले के एक आरोपी लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित को गोला-बारूद बेचा था।

ज्ञात हो कि बंबई उच्‍च न्‍यायालय (Bombay High court) ने 2008 में हुए मालेगांव विस्‍फोट मामले पर चिंता जातते हुए पिछले माह जुलाई में भी एनआइए की विशेष अदालत (NIA Special Court) को सुनवाई की स्थिति से संबंधित इससे संबंधित रिपोर्ट हर पखवाड़े भेजने का आदेश दिया था।

जानिए क्या है मालेगांव ब्लास्ट केस

ये घटना 29 सितंबर 2008 की रात की है जब मालेगांव में शकील गुड्स ट्रांसपोर्ट कंपनी (Shakeel Good Transport Company) के सामने एक बाइक में विस्फोट हो गया था। विस्‍फोट से छह लोगों की मौत हो गई थी और 101 लोग घायल हो गए थे। जिस बाइक में धमाका हुआ था, वह प्रज्ञा ठाकुर के नाम पर दर्ज है और इसी आधार पर उसे 2008 में गिरफ्तार किया गया था।

बॉम्बे हाईकोर्ट ने 2017 में प्रज्ञा ठाकुर (Pragya Thakur) को जमानत दे दी थी। विस्‍फोट के अगले दिन मालेगांव के आजाद नगर (Azad Nagar) थाना क्षेत्र में मामला दर्ज किया गया था। तत्कालीन महाराष्ट्र सरकार (Maharashtra Government) के आदेश के बाद मामले की जांच महाराष्ट्र एटीएस (Maharashtra ATS) को सौंप दी गई थी क्योंकि इसे आतंकवाद से जोड़ा गया था।


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