चेहरे पर घने बाल, बच्चे मारते थे पत्थर; रतलाम के इस लड़के का नाम गिनीज बुक में हुआ दर्ज
मध्यप्रदेश के रतलाम का रहना वाला ललित एक दुर्लभ बीमारी के साथ पैदा हुआ था। उसके चेहरे पर घने बाल हैं। बचपन से उसे काफी कुछ झेलना पड़ा इन बालों की वजह से लेकिन अब ललित को इन्हीं बालों की वजह से ख्याति मिल रही है। ललित का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड में दर्ज हुआ है। इटली में उसे सर्टिफिकेट और मैडल मिला है।
जेएनएन, मध्य प्रदेश। दुनिया में की तरह की दुर्लभ बीमारियां है और काफी कम लोगों को ऐसी बीमारी अपने चपेट में लेती है। कुछ बीमारी जन्म के साथ ही किसी के अंदर आ जाती है। ऐसी ही एक दुर्लभ बीमारी मध्यप्रदेश के रतलाम जिले के ग्राम नांदलोटा निवासी 19 वर्षीय ललित पाटिदार को है।
जब ललित का जन्म हुआ था, तो उस वक्त उसके चेहरे पर घने बाल थे। ललित चेहरे पर बाल लिए बड़ा होता चला गया और कई मौकों पर उसे काफी परेशानियों का सामना भी करना पड़ा।
लेकिन अब ललित की यही विकृति उसकी ख्याति का करण बन गई है। बचपन में बच्चे उससे दूर भागते थे और कई बार तो पत्थर भी फेंक कर मारते थे।
वेयलवोल्फ सिंड्रोम के चलते ललित को एक दुर्लभ बीमारी है। इसके चलते उसके चेहरे पर किसी भी पुरुष से अधिक 201.72 सेमी बाल हैं और अब उसका नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड में दर्ज किया गया है।
इटली में ललित को मिला गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड का सर्टिफिकेट और मैडल
गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड की टीम ने ललित से करीब दो साल पहले संपर्क किया था। इसके बाद 8 फरवरी को ललित अपने एक परिचित सहयोगी के साथ इटली गया। मिलान शहर में छह दिन तक विशेषज्ञों ने जांच की और इसके बाद 13 फरवरी को ललित को लो शो देई रिकॉर्ड के सेट पर सत्यापन के बाद सर्टिफिकेट और मैडल दिया गया।
डॉक्टरों की माने तो दुनिया में केवल ऐसे 50 लोग ही हैं, जिन्हें ये बीमारी है। यह बहुत ही ज्यादा असामान्य बीमारी है। ललित ने जन्मजात बीमारी की वजह से अपने जीवन में अभी तक कई तरह की चीजों का सामना किया है। इसमें कुछ अच्छे और कुछ बुरे एक्सपीरियंस शामिल है।
चार बहनों का इकलौता भाई है ललित
ललित की मां पर्वतबाई और पिता बंकटलाल खेती किसानी का काम करते हैं। ललित गांव के ही शासकीय स्कूल में 12वीं का छात्र है। ललित खेलकूद में भी अच्छा है और वो बाइक भी चला लेता है। ललित चार बहनों का इकलौता भाई है।
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