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    बिना पराली जलाए खेत में फसल उगाकर विज्ञानियों ने निकाला प्रदूषण का हल; जबलपुर, कटनी व छिंदवाड़ा में प्रयोग हुआ सफल

    Updated: Wed, 29 May 2024 05:31 PM (IST)

    बीसा इंस्टीट्यूट के वरिष्ठ विज्ञानिक डा. रवि गोपाल सिंह ने बताया कि इस प्रयोग ने न केवल मिट्टी के नुकसान को कम किया बल्कि खेती की लागत भी कम हुई। उन्ह ...और पढ़ें

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    बिना पराली जलाए खेत में फसल उगाकर विज्ञानियों ने निकाला प्रदूषण का हल (File Photo)

    अतुल शुक्ला, जबलपुर। फसल कटाई के बाद खेतों का कचरा (पराली) जलाने से किसानों को रोकने के प्रयास में अब प्रशासन के साथ कृषि विज्ञानी भी जुट गए हैं। इसमें बीसा यानि बोरलाग इंस्टीट्यूट आफ साउथ एशिया के जबलपुर स्थित केंद्र के विज्ञानियों ने एक सफल प्रयोग किया है। विज्ञानियों ने मध्य प्रदेश के तीन जिले, जबलपुर, कटनी और छिंदवाड़ा के 500 से ज्यादा किसानों को जागरूक करते हुए अभियान से जोड़ा। उनकी 800 एकड़ कृषि भूमि में बिना पराली जलाए और बिना जुताई किए मूंग की खेती की। हैप्पी सीडर नामक कृषि यंत्र से खेतों में सूखी पराली के बीच ही मूंग के बीज बो दिए गए। बीज डालने के बाद विज्ञानियों व किसानों ने खेतों की लगातार निगरानी की। इस दौरान फसल को दिए जाने वाले पौष्टिक तत्व में कोई बदलाव नहीं किया। इसका परिणाम अच्छा रहा और मूंग की अच्छी फसल हुई।

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    बीसा के विज्ञानी डॉ रवि गोपाल सिंह बताते हैं कि खेतों में फसल की कटाई के बाद पराली जलाने के मामले में मध्य प्रदेश देश में दूसरे नंबर पर है। उन्होंने बताया कि जिस तरह प्रदेश में पराली जलाने का क्रम बढ़ा है उस हिसाब से यह पंजाब को पीछे छोड़ देगा। पर्यावरण और भूमि संरक्षण के उद्देश्य से बीसा ने किसानों को उनके खेतों में जाकर लाइव डेमो दिया और पराली जलाने और न जलाने, दोनों के फायदे-नुकसान बताए। इसके बाद गेहूं की कटाई के चंद घंटों बाद पराली जलाए बिना ही खेतों में मूंग लगा दी। लगभग 72 दिन में तैयार होने वाली मूंग की फसल की कटाई में एक सप्ताह से कम का समय बचा है।

    अन्य प्रदेश के किसानों के सामने रखा जाएगा परिणाम

    बीसा इंस्टीट्यूट के वरिष्ठ विज्ञानिक डा. रवि गोपाल सिंह ने बताया कि इस प्रयोग ने न केवल मिट्टी के नुकसान को कम किया बल्कि खेती की लागत भी कम हुई। उन्होंने कहा कि किसान, किताब से ज्यादा प्रयोग करके सीखता है, इसलिए हमने उनके खेत में ही यह प्रयोग किया जो सफल रहा है। इस परिणाम को देश के अन्य प्रदेश के किसानों के सामने रखा जाएगा।

    फसल के लिए उपयोगी है पराली का आर्गनिक कार्बन

    बीसा इंस्टीट्यूट के बाद विज्ञानिक डा. महेश मस्के ने बताया कि पराली में आर्गनिक कार्बन होता है, जो ठीक इंसानों के हिमोग्लोबिन की तरह काम करता है। यह आर्गनिक कार्बन मिट्टी की ताकत बढ़ाता और उसे स्वस्थ रखता है, लेकिन इसे जला देने से यह नष्ट हो जाता है। उन्होंने बताया कि जहां तक मूंग लगाने की बात है तो गेहूं और चावल आदि जिंस मिट्टी से पौषक तत्व लेते हैं, लेकिन मूंग देती है। इसमें मौजूद नाइट्रोजन से मिट्टी उपजाऊ होती है।

    बिना पराली जलाए की सफल खेती

    कटनी के निकट बोहरीबंद के किसान सत्येंद्र कुमार के खेत में यह प्रयोग किया गया। वह बताते हैं कि शुरू में तो उन्हें अटपटा लगा। बार-बार यह सवाल मन में उठता रहा कि बिना पराली जलाए, दूसरी फसल कैसे पनपेगी, पर बीसा के विज्ञानी डा. महेश ने हमारे खेत में बिना पराली जलाए मूंग लगाई। आज फसल लहलहा रही है। इसी गांव के किसान छलकन सिंह ने बताया कि बिना पराली जलाए मूंग की अच्छी उपज ली जा सकती है।

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