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    राममंदिर आंदोलन के प्रमुख संत डॉ. रामविलास वेदांती का रीवा में निधन, कोहरे के कारण भोपाल एयरलिफ्ट नहीं किया जा सका

    Updated: Mon, 15 Dec 2025 02:32 PM (IST)

    राममंदिर आंदोलन के अग्रणी संत डॉ. रामविलास दास वेदांती का 77 वर्ष की आयु में रीवा में निधन हो गया। कथा महोत्सव के दौरान उनकी तबीयत बिगड़ी और उन्हें अस ...और पढ़ें

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    डिजिटल डेस्क, जबलपुर। पूर्व सांसद और राममंदिर आंदोलन के अग्रणी संत डॉ. रामविलास दास वेदांती का सोमवार को रीवा में दुखद निधन हो गया। 77 वर्षीय वेदांती महाराज की तबीयत कथा महोत्सव के दौरान अचानक बिगड़ गई थी, जिसके बाद उन्हें रीवा के सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में भर्ती कराया गया। बेहतर उपचार के लिए भोपाल शिफ्ट करने की तैयारी थी, लेकिन घने कोहरे के कारण उन्हें एयर लिफ्ट नहीं किया जा सका। अंततः उपचार के दौरान उन्होंने अंतिम सांस ली।

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    कथा के दौरान बिगड़ी तबीयत

    डॉ. वेदांती महाराज विनोद लाल गांव के समीप भटवा गांव में चल रही कथा का वाचन कर रहे थे, जो 17 दिसंबर तक प्रस्तावित थी। कथा के बीच उन्हें सीने में तेज दर्द और घबराहट महसूस हुई। स्थिति गंभीर होने पर शिष्यों ने उन्हें तत्काल रीवा के सुपर स्पेशलिटी अस्पताल पहुंचाया, जहां प्राथमिक उपचार किया गया।

    ramvilas vedanti mahara in ambulance 2154

    कोहरे ने रोकी भोपाल शिफ्टिंग

    डॉक्टरों की सलाह पर शिष्यों ने उन्हें एयर एंबुलेंस से भोपाल के बड़े अस्पताल में ले जाने की व्यवस्था की। रविवार दोपहर बाद एयर एंबुलेंस भोपाल के लिए रवाना भी हुई, लेकिन वहां अत्यधिक कोहरा और कम दृश्यता के चलते लैंडिंग संभव नहीं हो सकी। मजबूरी में उन्हें वापस रीवा लाया गया और दोबारा सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में भर्ती किया गया। डॉक्टरों ने भी पुष्टि की कि खराब विजिबिलिटी के कारण शिफ्टिंग नहीं हो पाई।

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    डॉक्टरों ने बताई मौत की वजह

    अस्पताल सूत्रों के अनुसार, डॉ. वेदांती को सेप्टीसीमिया नामक गंभीर संक्रमण हो गया था। इसके चलते उनका ब्लड प्रेशर अत्यधिक कम हो गया और सेप्टिसेमिक शॉक की स्थिति बन गई। सोमवार सुबह उन्हें कार्डियक अरेस्ट आया। डॉक्टरों ने उन्हें बचाने का भरसक प्रयास किया, लेकिन सफलता नहीं मिल सकी।

    उनके निधन की खबर फैलते ही रीवा जिले में शोक की लहर दौड़ गई। अस्पताल परिसर में उनके दर्शन के लिए शिष्यों और भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी। डॉ. रामविलास वेदांती का जाना धार्मिक और सामाजिक जगत के लिए अपूरणीय क्षति माना जा रहा है।