गरीब छात्रों को राहत! MP हाई कोर्ट ने ‘मुख्यमंत्री मेधावी योजना’ को बताया संवैधानिक, फीस भरने के दिए निर्देश
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने मुख्यमंत्री मेधावी छात्र योजना को संवैधानिक करार दिया है। निजी मेडिकल कॉलेजों की आपत्ति को खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा कि गरीब छात्रों को मुफ्त शिक्षा देना गैरकानूनी नहीं है। साथ ही शासन को निर्देश दिए कि तीन महीने में छात्रों की वार्षिक फीस छात्र-संस्थान के संयुक्त खाते में जमा की जाए। अनुत्तीर्ण छात्रों की छात्रवृत्ति भी रोकी नहीं जाएगी।

जेएनएन, जबलपुर। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति विवेक जैन की युगलपीठ ने निजी मेडिकल कालेजों में लागू मुख्यमंत्री मेधावी छात्र योजना को संवैधानिक करार दिया।
हाई कोर्ट ने साफ किया कि इस योजना के तहत समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के गरीब छात्रों को यदि मुफ्त में शासन द्वारा शिक्षा दिलाई जाती है तो उसे असंवैधानिक या अनुचित नहीं ठहराया जा सकता है।
दरअसल, मध्य प्रदेश के निजी मेडिकल कालेजों की ओर से याचिका दायर कर राज्य सरकार की मुख्यमंत्री मेधावी छात्र योजना को बाध्यकारी करने को चुनौती दी गई थी।
दलील दी गई कि कमजोर वर्ग के छात्रों का राज्य शासन द्वारा निजी संस्थानों में प्रवेश तो करा दिया जाता है, लेकिन उनका शिक्षण शुल्क समय पर नहीं दिया जाता। कई बार तो संस्थानों को कई वर्ष तक यह भुगतान नहीं किया जाता है। याचिकाकर्ताओं की ओर से इस योजनाओं को असंवैधानिक और अनुचित बताया गया, जिसे हाई कोर्ट ने नहीं माना।
फीस भुगतान के लिए जारी किए दिशा-निर्देश
कोर्ट ने ऐसे छात्रों की फीस भुगतान के लिए कुछ दिशा-निर्देश भी जारी किए हैं। कोर्ट ने कहा है कि निम्न आय परिवार के नीट उत्तीर्ण छात्रों के प्रवेश लेने के तीन माह के भीतर शासन उनकी पूरी वार्षिक फीस व शुल्क का भुगतान कर दे। यह राशि संस्थान के खाते में नहीं, वरना छात्र और संस्थान के संयुक्त खाते में जमा होगी। ये खाता छात्र के आधार, पैन आदि से लिंक होगा, ताकि एक छात्र के नाम पर दो बार फीस जमा नहीं हो पाए।
कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर छात्र किसी सत्र में फेल होता है तो शासन उसकी छात्रवृत्ति रोक नहीं सकता। निजी संस्थानों की जिम्मेदारी होगी कि वह योजना के तहत दाखिला लेने वाले छात्रों की पूरी जानकारी सरकार को भेजे, ताकि समय पर फीस जमा हो सके।
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