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    MP के मलाजखंड में बड़ा हादसा, मजदूरों से भरी बस अंडरग्राउंड खदान में पलटी, 22 घायल

    Updated: Tue, 11 Nov 2025 08:06 PM (IST)

    मध्य प्रदेश के मलाजखंड स्थित एशिया की सबसे बड़ी तांबा खदान में एक मिनी बस दुर्घटनाग्रस्त हो गई, जिसमें 22 मजदूर घायल हो गए। बस मलाजखंड ताम्र परियोजना की अंडरग्राउंड खदान में पलट गई, जिसका कारण ब्रेक फेल होना बताया जा रहा है। गंभीर रूप से घायल मजदूरों को भिलाई रेफर किया गया है, जबकि अन्य का इलाज मलाजखंड, भिलाई और गोंदिया में चल रहा है।

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    हादसे के बाद मौके पर अफरातफरी मच गई।

    डिजिटल डेस्क, जबलपुर। मध्य प्रदेश के मलाजखंड स्थित एशिया की सबसे बड़ी तांबा खदान में मंगलवार को हादसा हो गया। मलाजखंड ताम्र परियोजना (एमसीपी) की अंडरग्राउंड खदान में श्रमिकों से भरी मिनी बस पलट गई, जिसमें 22 मजदूर घायल हो गए। हादसे की वजह बस का ब्रेक फेल होना बताई जा रही है। गनीमत यह रही कि हादसे में कोई जनहानि नहीं हुई।

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    घटना के तुरंत बाद सभी घायलों को मलाजखंड अस्पताल ले जाया गया, जहां से गंभीर रूप से घायल चार-पांच मजदूरों को भिलाई रेफर किया गया है। शेष घायलों का इलाज भिलाई और गोंदिया में किया जा रहा है। देर शाम तक घायलों को एंबुलेंस और निजी वाहनों से रेफर किया गया।

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    दूसरी पाली में काम पर जा रहे थे मजदूर

    यह हादसा एसएमएस कंपनी की खदान में हुआ, जो मलाजखंड कॉपर प्रोजेक्ट के लिए काम करती है। दूसरी पाली (सेकंड शिफ्ट) में मजदूर बस से भूमिगत खदान के भीतर जा रहे थे, तभी अचानक बस पलट गई। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि बस की रफ्तार कम थी, जिससे बड़ा हादसा टल गया। चालक की सूझबूझ से कई जानें बच गईं।

    बिरसा थाना प्रभारी रेवल सिंह बरडे ने बताया कि हादसे में किसी की मौत नहीं हुई है, लेकिन 22 मजदूर घायल हैं, जिनमें से कुछ को भिलाई रेफर किया गया है।

    अस्पताल में अफरा-तफरी, स्वास्थ्य सुविधाएं नाकाफी

    हादसे के बाद मलाजखंड अस्पताल में अफरा-तफरी का माहौल बन गया। घायलों के परिजनों और मजदूरों की भीड़ अस्पताल परिसर में उमड़ पड़ी। सीमित संसाधनों के चलते बिरसा स्वास्थ्य केंद्र से अतिरिक्त स्टाफ और स्ट्रेचर बुलाने पड़े।

    घायलों के परिजनों ने अस्पताल में स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी और माइन प्रबंधन की लापरवाही पर नाराजगी जताई। स्थानीय लोगों का कहना है कि खदान में सुरक्षा मानकों की बार-बार अनदेखी की जा रही है, मजदूरों को पर्याप्त सुरक्षा उपकरण नहीं दिए जाते और नियमित जांच भी नहीं की जाती।