IAS यूएस कमल, डीपी तिवारी, बिल्डर मनीष कलानी व राकेश शर्मा की याचिकाएं निरस्त
जबलपुर हाई कोर्ट ने मास्टर प्लान में हेरफेर से जुड़े मामले में आईएएस यूएस कामल, डीपी तिवारी, बिल्डर मनीष कालानी और राकेश शर्मा की याचिकाएं खारिज कर दी ...और पढ़ें

हाईकोर्ट ने आइएएस यूएस कामल, डीपी तिवारी, इंदौर के बिल्डर मनीष कालानी की याचिकाएं निरस्त कीं
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल व न्यायमूर्ति रामकुमार चौबे की युगलपीठ ने मास्टर प्लान में हेरफेर करने से जुड़े एक मामले में आइएएस यूएस कामल, डीपी तिवारी, इंदौर के बिल्डर मनीष कालानी और नगर निगम इंदौर में भवन अधिकारी रहे राकेश शर्मा की याचिकाएं निरस्त कर दीं।
सभी ने उनके विरुद्ध अधीनस्थ अदालत द्वारा भ्रष्टाचार व भादंवि की अन्य धाराओं के तहत तय आरोपों को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। हाई कोर्ट ने मामले में हस्पक्षेप से इनकार करते हुए याचिकाएं निरस्त कर दी। इंदौर की ट्रायल कोर्ट में यह मामला विचाराधीन है।
दरअसल, इस मामले में ईओडब्ल्यू में शिकायत के बाद उक्त सभी के विरुद्ध प्रकरण दर्ज किया गया। इंदौर की ट्रायल कोर्ट ने सभी के विरुद्ध भ्रष्टाचार व अन्य धाराओं के तहत चार्ज फ्रेम किए। सभी ने याचिका दायर कर ईओडब्ल्यू की ओर से प्रस्तुत चार्जशीट को भी चुनौती दी थी।
यूएस कामल और डीपी तिवारी की ओर से यह दलील दी गई कि उनके विरुद्ध आरोप नहीं लगाए जा सकते क्योंकि प्रकरण दायर करने से पहले अभियोजन स्वीकृति नहीं ली गई है। सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने कहा कि प्रकरण के अंतिम निराकरण के दौरान यह निर्धारित करना उचित होगा कि प्रकरण में आरोपितों के विरुद्ध आरोप पत्र दाखिल करते समय अभियोजन स्वीकृति नहीं लिया जाना उचित है या नहीं।
इसलिए इस मामले में हस्तक्षेप आवश्यक नहीं है। हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि जहां तक आरोप तय करने का सवाल है, उसमें कुछ भी अवैधानिक नहीं है। याचिकाकर्ताओं के विरुद्ध आईपीसी की धारा 120-बी और 420 के साथ धारा 120-बी के अंतर्गत लगाए गए आरोप ट्रायल कोर्ट के समक्ष रखे गए सबूतों पर आधारित हैं।

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