Madhya Pradesh में बिजली सप्लाइ की लाइनों पर ड्रोन से रखी जाएगी नजर, 1 अक्टूबर से होगी पहल की शुरुआत
Madhya Pradesh में बिजली के ऊंचे टावरों की निगरानी अब ड्रोन्स की मदद से की जाएगी। इससे पहले तक यह काम मैनुअली किया जाता था जिसमें वक्त और मेहनत दोनों अधिक लगता है। ड्रोन्स की मदद से यह काम आसानी से हो जाएगी।
जबलपुर, एजेंसी। राज्य द्वारा संचालित मध्य प्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड (MPPTCL) जल्द ही बिजली सप्लाई की लाइनों की निगरानी के लिए ड्रोन्स को काम में लगाने जा रहा है। कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने सोमवार को कहा कि यहां 10,000 हाइ वोल्टेज टावरों की निगरानी ड्रोन्स के जरिए की जाएगी। इस पहल की शुरुआत 1 अक्टूबर से होगी।
कंपनी के प्रबंध निदेशक सुनील तिवारी ने समाचार एजेंसी पीटीआई से बात करते हुए दावा किया, 'ऐसा देश में पहली बार होने जा रहा है जब ड्रोन्स बिजली की सुगम आपूर्ति के लिए सभी ऊंचे टावरों की निगरानी ड्रोन्स से की जाएगी। उन्होंने कहा कि ड्रोन्स की मदद से टावरों के वीडियोज और करीब से तस्वीरें ली जाएंगी।'
ड्रोन्स से टावर की हर एंगल से ली जाएगी तस्वीर
प्रबंध निदेशक ने यह भी बताया कि अब तक टावरों की निगरानी मैनुअली होता रहा है। विद्युत विभाग के कर्मचारी टावर में चढ़कर उपकरणों की जांच करते हैं। इस प्रक्रिया में वक्त और मेहनत ज्यादा लगता है। अब ड्रोन की मदद से यह काम आसानी से होगा। अधिकारी ने कहा, इससे फायदा यह होगा कि ड्रोन टेक्नोलाजी की मदद से टावर में लगे उपकरणों की करीब से और हर एंगल से ली गई तस्वीरें और वीडियोज आसानी से मिल सकेंगे।
पहले 10,000 टावरों की ड्रोन्स से की जाएगी निगरानी
तिवारी ने कहा कि परीक्षण के आधार पर कुछ महीनों तक ड्रोन्स को टावरों की निगरानी के काम में लगाया था। इसका हमें शानदार उत्साहजनक नतीजा मिला। अधिकारी ने कहा, 'मध्य प्रदेश में बिजली की सप्लाई के लिए 80,000 हाइ वोल्टेज वाले टावर लगे हैं। इनमें से 10,000 टावरों की निगरानी अगले महीने से ड्रोन की मदद से की जाएगी।'
बाकी के 70,000 टावर बाद में होंगे शामिल
उन्होंने कहा, 'पहले चरण में निगरानी के लिए 10,000 टावरों को शामिल किया जा रहा है। इनके अलावा, बाकी के 70,000 टावरों की निगरानी बाद में की जाएगी। तिवारी ने यह भी कहा कि इन टावरों की निगरानी मेंटेनेंस के तहत समय-समय पर किया जाता है। उन्होंने बताया, हमारे इंजीनियर्स ड्रोन की गतिविधि पर नजर रखेंगे। ड्रोन की तैनाती की जिम्मेदारी एक निजी कंपनी को दी गई है।'