उज्जैन में बाबा महाकाल को फूलों की बड़ी व भारी माला पहनाने पर रोक, 1 जनवरी से बदलेगी व्यवस्था
उज्जैन के महाकाल मंदिर में भगवान महाकाल को भारी फूल-मालाएं पहनाने की परंपरा बंद होगी। मंदिर समिति ने सुरक्षा कारणों से यह निर्णय लिया है। भक्तों से अज ...और पढ़ें

डिजिटल डेस्क, इंदौर। पावन नगरी उज्जैन में स्थित ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में भगवान महाकाल को भारी और लंबी फूल-मालाएं पहनाने की परंपरा अब बंद होने जा रही है। मंदिर समिति ने सुरक्षा और व्यवस्था संबंधी कारणों से ऐसी मालाओं पर प्रतिबंध लगाने की तैयारी पूरी कर ली है। उद्घोषणा कक्ष से लगातार भक्तों को नए नियम की जानकारी दी जा रही है और उनसे अनुरोध किया जा रहा है कि वे भगवान के लिए अजगर जैसी बड़ी मालाएं न खरीदें। इस संबंध में आदेश जारी कर दिए गए हैं और प्रतिबंध एक जनवरी 2026 से प्रभावी हो जाएगा।
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का क्षरण रोकने के लिए वर्ष 2017 में लगी एक जनहित याचिका पर सुनाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने क्षरण की जांच तथा उसे रोकने के उपाय करने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) तथा भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) के विशेषज्ञों की टीम गठित की थी। विशेषज्ञों ने वर्ष 2019 से जांच शुरू की तथा ज्योतिर्लिंग को सुरक्षित रखने के लिए अनेक सुझाव दिए। इसमें एक सुझाव भगवान महाकाल को फूलों की छोटी माला तथा समिति मात्रा में फूल अर्पण का था।
हालांकि, पिछले कुछ समय से विशेषज्ञों के सुझाव को दरकिनार करते हुए भगवान को फूलों की मोटी व बड़ी माला पहनाई जा रही थी। मंदिर के आसपास हार-फूल की दुकानों पर भी 10 से 15 किलो वजनी मालाओं का विक्रय किया जा रहा था। 500 से 2100 रुपये तक बिकने वाली इन अजगर मालाओं को भक्त खरीद रहे थे। मंदिर के भीतर इन्हें भगवान को पहनाया जा रहा था।
प्रवेश द्वार पर पड़ताल के बाद मिलेगा प्रवेश
नया नियम लागू होने के बाद मंदिर के विभिन्न द्वारों पर तैनात गार्ड भक्तों द्वारा भगवान को अर्पण करने के लिए लाई जा रही पूजन सामग्री की जांच करेंगे। बड़ी व भारी फूल माला को गेट पर ही अलग रखवा दिया जाएगा। किसी भी सूरत में बड़ी फूल माला मंदिर के भीतर जाने नहीं दी जाएगी। यह व्यवस्था एक जनवरी से सख्ती से लागू होगी।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित एक्सपर्ट कमेटी के सुझाव पर भगवान महाकाल को फूलों की बड़ी व भारी माला अर्पित करने पर रोक लगाई जा रही है। एक जनवरी से इस पर सख्ती से रोक रहेगी।
- प्रथम कौशिक, प्रशासक, श्री महाकालेश्वर मंदिर समिति

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