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    उज्जैन: महाकाल की नगरी में होगा नागों का संरक्षण, बनेगी देश की पहली सर्पमित्र सिटी

    Updated: Fri, 12 Dec 2025 01:33 PM (IST)

    उज्जैन, महाकाल की नगरी, देश की पहली सर्पमित्र नगरी बनने की ओर अग्रसर है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की पहल पर सांपों के संरक्षण और मानवीय व्यवहार को बढ ...और पढ़ें

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    इंडियन कोबरा (प्रतीकात्मक चित्र)

    डिजिटल डेस्क, इंदौर। महाकाल की पावन नगरी उज्जैन अब देश की पहली सर्पमित्र नगरी बनने की ओर बढ़ रही है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की पहल पर यहां सांपों के संरक्षण और मानवीय व्यवहार को बढ़ावा देने का अनूठा अभियान शुरू किया गया है। जिले के 100 से अधिक हायर सेकंडरी स्कूलों में छात्रों को सांपों के प्रति संवेदनशील व मित्रवत व्यवहार का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

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    अब इस पहल को और व्यापक बनाते हुए अगले चरण में डॉक्टर, हेल्थ वर्कर, किसान और ग्राम पंचायत सचिवों को भी इस प्रशिक्षण से जोड़ा जाएगा।

    सह-अस्तित्व पर जोर

    गौरतलब है कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जैव विविधता, वन्य जीव व सरीसृप के संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण कार्य कर रहे हैं। हाल ही में उन्होंने ओंकारेश्वर के समीप नर्मदा में मगरमच्छ को नया आवास दिया है। कोबरा सांप के संरक्षण की दिशा में भी काम शुरू हो गया है। सीएम की मंशा है कि न सांप किसी को काटे और न सांप को कोई मारे। दोनों में मित्रता का रिश्ता पर्यावरण संतुलन का काम करेगा।

    उज्जैन बनेगा सर्प संरक्षण का नोडल जिला

    सर्प विशेषज्ञ डॉ. मुकेश इंगले बताते हैं कि उज्जैन को देश में सर्प संरक्षण का नोडल जिला बनाने की प्रक्रिया चल रही है। मुख्यमंत्री का यह भी मानना है कि सांप भगवान शिव के गले का आभूषण हैं, इसलिए उनके संरक्षण की शुरुआत महाकाल की नगरी से ही होना स्वाभाविक है।

    डॉ. यादव ने दो दशक पहले, उज्जैन विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष रहते हुए, नानाखेड़ा में सरीसृप संरक्षण संस्थान की स्थापना कर इस दिशा में नींव रखी थी। यह संस्थान अब भी सांपों के संरक्षण पर निरंतर कार्य कर रहा है।

    महाकाल महोत्सव में जागरूकता का विशेष सत्र

    आगामी साल 14 से 18 जनवरी तक होने वाले महाकाल महोत्सव में सर्प संरक्षण को प्रमुख रूप से शामिल किया जाएगा। इसके लिए एक विशेष समिति गठित की गई है, जो शहरभर में जागरूकता अभियान चलाएगी।

    दुनिया में 3600 प्रजातियां

    यहां पर यह बता दें कि विश्वभर में सांपों की लगभग 3600 प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें से 333 प्रजातियां भारत में मौजूद हैं। ऐसे में उज्जैन का यह कदम देश में सर्प संरक्षण को नई दिशा देने वाला साबित हो सकता है।