अयोध्या में राम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा के दौरान देश की ‘सच्ची स्वतंत्रता’ प्रतिष्ठित हुई : RSS चीफ मोहन भागवत
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने अयोध्या में भगवान राम के मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा की तिथि प्रतिष्ठा द्वादशी के रूप में मनाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि कई सदियों से दुश्मन का आक्रमण भारत झेल रहा था। इस दिन ही देश को सच्ची स्वतंत्रता प्रतिष्ठित हुई। भागवत ने कहा 5000 साल की हमारी परंपरा क्या है? जो भगवान राम भगवान कृष्ण और भगवान शिव से शुरू हुई।

एएनआई, इंदौर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने सोमवार को कहा कि अयोध्या में भगवान राम के मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा की तिथि ‘प्रतिष्ठा द्वादशी' के रूप में मनाई जानी चाहिए, क्योंकि कई सदियों से परचक्र (दुश्मन का आक्रमण) झेलने वाले भारत की सच्ची स्वतंत्रता इस दिन प्रतिष्ठित हुई थी।
भागवत ने श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के महासचिव चंपत राय को इंदौर में ‘राष्ट्रीय देवी अहिल्या पुरस्कार' प्रदान करने के बाद एक समारोह में यह बात कही।
#WATCH | Indore, Madhya Pradesh | RSS Chief Mohan Bhagwat says, "What is our tradition of 5000 years? The one which started from Lord Ram, Lord Krishna and Lord Shiva. That is our own. There was a movement for the awakening of our own. In the meetings, college students used to… pic.twitter.com/7COq5Csgjm
— ANI (@ANI) January 14, 2025
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा, 5000 साल की हमारी परंपरा क्या है? जो भगवान राम, भगवान कृष्ण और भगवान शिव से शुरू हुई। वो हमारी अपनी है। अपने स्वयं के जागरण के लिए एक आंदोलन था। बैठकों में, कॉलेज के छात्र सवाल पूछते थे कि आपने लोगों की आजीविका की चिंता छोड़कर मंदिर क्यों बनाए। किसी ने उन्हें यह पूछने के लिए कहा होगा। तो मैं उन्हें बताता था कि यह 80 का दशक है, हमें 1947 में आजादी मिली, इजरायल और जापान ने हमसे शुरुआत की और वे बहुत ऊंचाइयों पर पहुंचे। हम हर समय लोगों की आजीविका की चिंता करते थे। हमने समाजवाद की बात की और सारे नारे दिए लेकिन क्या इससे मदद मिली?... भारत की आजीविका का रास्ता भी श्री राम मंदिर से होकर जाता है। इसे ध्यान में रखें। तो यह पूरा आंदोलन भारत के आत्म जागरण के लिए था।
समारोह में ज्ञात-अज्ञात कारसेवकों और राम मंदिर निर्माण के सहभागियों को समर्पित सम्मान राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय को प्रदान किया गया।
वहीं, राय ने पुरस्कार ग्रहण करने के बाद कहा कि वह यह पुरस्कार राम मंदिर आंदोलन में शामिल उन सभी ज्ञात-अज्ञात लोगों को समर्पित करते हैं, जिन्होंने अयोध्या में यह मंदिर बनाने में सहयोग किया।
उन्होंने राम मंदिर आंदोलन के अलग-अलग संघर्षों का जिक्र करते हुए कहा कि अयोध्या में बना यह मंदिर ‘हिंदुस्तान की मूंछ' (राष्ट्रीय गौरव) का प्रतीक है और वह इस मंदिर के निर्माण के निमित्त मात्र हैं।
इस अवसर पर लोकसभा की पूर्व अध्यक्ष सुमित्रा महाजन भी मौजूद रहीं।
उन्होंने कहा कि हमारा स्व राम, कृष्ण और शिव हैं। राम उत्तर से दक्षिण भारत को जोड़ते हैं। कृष्ण पूरब से पश्चिम को जोड़ते हैं। शिव भारत के कण-कण में व्याप्त हैं। सत्य का साक्षात्कार हमें राम जन्म भूमि मुक्ति यज्ञ ने कराया। यह यज्ञ शुरू इसलिए नहीं हुआ था कि किसी का विरोध करना है, किसी से झगड़ा होना है। पौष शुक्ल द्वादशी का नया नामकरण हुआ है। पहले हम कहते थे कि वैकुंठ एकादशी, वैकुंठ द्वादशी, अब प्रतिष्ठा द्वादशी कहना है, क्योंकि अनेक शतक से परचक्र झेलने वाले भारत की सच्चे स्वतंत्रता की प्रतिष्ठा हो गई।
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